कोलकाता। पश्चिम बंगाल की सत्ता में साढ़े तीन दशकों तक काबिज रहने के बाद हाशिए पर गए वाममोर्चे के सबसे बड़े घटक दल माकपा ने राज्य में अपनी जड़ें जमाने का मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। पार्टी के बड़े नेता लगातार तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बीच संबंधों होने के बयान जारी कर रहे हैं। पार्टी का लक्ष्य तृणमूल कांग्रेस के वोटबैंक माने जाने वाले राज्य के 28 फीसदी अल्पसंख्यक मतों को अपनी ओर लाना है। बैरकपुर सांसद अर्जुन सिंह की तृणमूल कांग्रेस में वापसी, हावड़ा के छात्र नेता आनिस खान की मौत जैसे मुद्दों पर मुखर माकपा के तृणमूल कांग्रेस पर हमले की धार पंचायत चुनाव से पहले और तेज होने की संभावना भी जताई जा रही है।
राज्य में सत्ता की चाभी माने जाने वाले अल्पसंख्यक मतों पर माकपा का ध्यान बढ़ा है। राजनीतिक विश्रेषज्ञों के मुताबिक इसीलिए पार्टी के राज्य सचिव पद पर मो. सलीम को लाया गया है। वे पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा हैं। धर्म और कर्मकांडों से परहेज करने वाली माकपा भले ही इस बात को नकारे लेकिन राज्य की सत्ता के लिए जरूरी अल्पसंख्यक मतों को वह अपने पाले में लाने का लगातार प्रयास कर रही है। इसलिए भाजपा के अपने कार्यकाल के दौरान अर्जुन सिंह के कट्टर हिंदुत्व वाले एजेंडे को उसके नेता सामने लाने की कोशिश में हैं।
विधानसभा चुनाव के बाद हुए स्थानीय निकाय चुनाव व उपचुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन और माकपा के मतों में हुए सुधार से पार्टी कार्यकर्ता उत्साहित भी हैं। इसके साथ ही नई पीढ़ी के कई नेताओ ंको सामने लाकर माकपा ने भविष्य की तैयारियों की अपनी रणनीति भी जगजाहिर कर दी है। इस बीच राज्य में शिक्षक नियुक्ति समेत कई घोटालों के सामने आने के बाद माकपा के आंदोंलनों ने गति पकड़ी है। हर रोज उसके युवा व छात्र संगठन राज्य में कहीं न कहीं आंदोलन के सहारे जनमत तैयार करने में लगे हुए हैं। अपने साढ़े तीन दशक की सत्ता को बेदाग बताते हुए ममता के एक दशक के शासन पर लगातार आरोप लगा रहे हैं।