कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अंग्रेजों के द्वारा बनाया गया हावड़ा ब्रिज की जांच की जाएगी। हुगली नदी पर दो शहरों हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने वाले 80 साल पुराने आइकोनिक हावड़ा ब्रिज की 11 साल के अंतराल के बाद पूरी तरह से जांच की जाएगी। ब्रिज के ढांचे और उसकी मजबूती की जांच होगी। कोलकाता के बंदर एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी। कोलकाता बंदरगाह के अध्यक्ष रथेंद्र रमन ने कहा कि कैंटिलीवर ब्रिज की की गहन जांच आईआईटी चेन्नई के दिशा-निर्देशों के तहत की जाएगी।
अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्होंने कहा कि पुल की जांच नियमित रखरखाव के अलावा किया जाएगा। रमन ने कहा कि हमने 80 साल पुराने हावड़ा ब्रिज के ढांचे की गहन तरीके से जांच करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि एक दशक से भी अधिक समय से ब्रिज की जांच नहीं की गई है। ऐसे में उसके सुचारू रूप से चलने के लिए जांच की आवश्यकता है।
अधिकारी ने कहा कि जांच के जरिए यह पता चल जाएगा कि हावड़ा ब्रिज पर लोग कितने सालों तक आवागमन कर सकते हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 11 साल पहले राइट्स की विशेषज्ञता के साथ पुल की व्यापक जांच की गई थी। हावड़ा ब्रिज को रवींद्र सेतु के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी लंबाई 405 मीटर और चौड़ाई 21.6 मीटर है। 1943 में इसके उद्घाटन के बाद से इसे कोलकाता का प्रतीक माना जाता है।
1926 में सर आर एन मुखर्जी की अध्यक्षता में एक आयोग ने हुगली नदी पर इस पुल के निर्माण की सिफारिश की थी, जिसके बाद पुल का निर्माण शुरू किया गया था। बंदरगाह के अधिकारियों ने पहले ही 80 साल पुरानी संरचना पर बिटुमिनस सड़क की सतह को खत्म करने के लिए काम करना शुरू कर दिया गया है। पुल के भार को कम करने के लिए एक नई परत बिछाई जाएगी।