कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने शिशु शिक्षा केंद्र (एसएसके) के संविदा शिक्षकों के तबादले पर अंतरिम रोक लगाते हुए राहत की सांस ली। न्यायमूर्ति सुगत भट्टाचार्य की ओर से दिए गए आदेश में कहा गया है कि वादी शिक्षकों का 30 नवंबर तक तबादला नहीं किया जा सकता।
संविदा शिक्षकों के तबादले का मामला तब सुर्खियों में आया, जब प्रदर्शन कर रहीं पांच शिक्षकाओं ने राज्य के शिक्षा विभाग मुख्यालय विकास भवन के सामने जहर खा लिया। उनमें से एक शिक्षका जो हुगली जिले के बालागढ़ की हैं, उनका तबादला उत्तर बंगाल के मालदा जिले के रतुआ में कर दिया गया था।
तबादला आदेश जारी होने के एक दिन बाद शिक्षक ओक्या मंच (शिक्षक एकता मंच) के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने शिकायत की कि सरकार उनसे बदला ले रही है, क्योंकि उन्होंने 16 अगस्त को नबान्ना में राज्य मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया था।
प्राथमिक शिक्षकों के तबादले के खिलाफ लड़ रहे शिक्षक ओक्या मंच के एक शिक्षक और नेताओं में से एक मोइदुल इस्लाम ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष शिकायत की कि गुरुवार को उत्तरी कोलकाता के बेलियाघाट में उनके घर के सामने बड़ी संख्या में पुलिस जमा हो गई और रात को जबरन थाने ले जाने की कोशिश की।
मामले की सुनवाई कर रही अदालत ने कहा कि स्थानांतरण के पीछे कोई उचित कारण नहीं था। न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि स्थानांतरण का कोई नियम नहीं है। संविदा शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए कोई विशेष नीति नहीं है, तो राज्य सरकार ने किस आधार पर उनका तबादला किया? अदालत ने राज्य को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक दिन का समय दिया।
बुधवार को अदालत ने जानना चाहा कि किस आधार पर तबादले किए गए, लेकिन राज्य सरकार उचित जवाब नहीं दे सकी, इसलिए अदालत ने संविदा शिक्षकों के स्थानांतरण पर अंतरिम रोक का आदेश जारी किया।