कोलकाता । पश्चिम बंगाल स्थित कलकत्ता उच्च न्यायालय की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की सिंगल बेंच ने देश में गैर कानूनी रूप से रहीं चार रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं को वापस म्यांमार भेजने पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि 10 अगस्त को उनकी याचिका पर दुबारा सुनवाई होने तक उन्हें वापस नहीं भेजा जाए। दरअसल, इन महिलाओं ने अदालत में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि म्यांमार में उनके जीवन को खतरा है, इसलिए उन्हें वापस नहीं भेजा जाए और उन्हें शरणार्थी के तौर पर भारत में ही रहने की इजाजत प्रदान की जाए।
इसी साल जनवरी में दाखिल की गई याचिका में रोहिंग्या महिलाओं ने न्यायालय से यह माँग की है कि बंगाल के विभिन्न बाल सुधार गृहों में रह रहे उनके नाबालिग बच्चों को उनके साथ रहने की इजाजत दी जाए। बता दें कि वर्ष 2016 में चारों महिलाएँ अपने 13 बच्चों के साथ गैर कानूनी रूप से भारत में घुस आई थीं। इस घटना में इन महिलाओं और उनके बच्चों को दोषी माना गया था। वर्ष 2019 में उनकी सजा पूरी हो गई। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें वापस उनके देश भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसके बाद उन्हें बंगाल के दमदम स्थित सुधार गृह में रखा गया है।
इन महिलाओं ने गुरुवार को एक अर्जेंट याचिका दाखिल करते हुए अदालत को बताया है कि उन्हें 5 अगस्त को वापस म्यांमार भेजा जा रहा है। इसलिए इस पर फ़ौरन रोक लगाई जाए और उन्हें भारत में ही रहने की अनुमति दी जाए। याचिका पर सुनवाई करते हुए जज मौसमी भट्टाचार्य की सिंगल बेंच ने राज्य सुधार सेवा विभाग को 4 रोहिंग्या कैदियों को सभी बुनियादी सुविधाएं देने का भी निर्देश दिया है। जस्टिस भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के वकीलों से सवाल किया है कि क्या इस मामले में कोई विशेष निर्देश है।
इस पर केंद्र सरकार के अधिवक्ता धीरज त्रिवेदी और राज्य सरकार के वकील अनिर्बन रॉय ने किसी भी आदेश की जानकारी होने से मना किया। जिसके बाद जस्टिस भट्टाचार्य ने आदेश दिया कि मौजूदा स्थिति में चारों याचिकाकर्ताओं को वापस म्यांमार नहीं भेजा जा सकता। उन्होंने दमदम केंद्रीय सुधार गृह अधिकारियों को उनके रहने की बुनियादी सुविधाओं का प्रबंध करना होगा।