कोलकाता : बंगाल में कोरोना महामारी और उच्च न्यायालय के आदेश के बीच शनिवार को महाष्टमी का पर्व फीका रहा और लोगों ने डिजिटल माध्यम से देवी के दर्शन किये। कोलकाता की विश्वविख्यात दुर्गापूजा में हर साल लाखों की भीड़ उमड़ती है लेकिन इस बार पूजा पंडाल वीरान हैं। महाष्टमी को दुर्गा पूजा के चार दिनों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कोविड-19 के नियमों और पंडालों में सीमित संख्या में प्रवेश के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर आयोजकों द्वारा ‘संधि पूजा’, ‘कुमारी पूजा’ और ‘संध्या आरती’ जैसे पारंपरिक अनुष्ठानों का टीवी और अन्य माध्यमों पर सीधा प्रसारण किया गया। कोरोना को लेकर जागरूकता इसकी प्रमुख वजह तो है ही, इसके साथ ही यह कहना भी गलत नहीं होगा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का इसपर व्यापक असर पड़ा है।
प्रसिद्ध ‘काली पूजो’ का डिजिटल माध्यम से बेलूर मठ समेत कई स्थानों पर प्रदर्शन किया गया। इस अनुष्ठान में आठ वर्ष से कम आयु की बच्ची की देवी दुर्गा के रूप में पूजा की जाती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “बेलूर मठ ने विश्व भर में करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए फेसबुक और यूट्यूब पर अनुष्ठान का सीधा प्रसारण किया।” बेहला के जगतपुर खयाली संघ जैसे पूजा आयोजकों ने अनुष्ठान के प्रसारण के लिए ऐप तैयार किये। हालांकि बहुत से लोगों को डिजिटल माध्यम से आयोजित पूजा रास नहीं आई।
सत्यव्रत स्याल ने कहा, “मैं 67 वर्ष का हूं लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ जब मैं पूजा में नहीं गया। कोविड-19 महामारी ने पूरा परिदृश्य बदल दिया है। इस साल मैंने देवी दुर्गा की पूजा डिजिटल माध्यम से की।” बीबीए पाठ्यक्रम के 21 वर्षीय छात्र सुचंद्र भट्टाचार्य ने कहा, “सबसे ज्यादा दुखी करने वाली बात यह है कि आज मौसम अच्छा है लेकिन हम आनंद लेने के लिए बाहर नहीं जा सकते। यह स्वीकार करना बहुत कठिन है लेकिन हमारे हाथ बंधे हुए हैं।”
इस बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों को महाष्टमी पर शुभकामनाएं दी। धनखड़ ने ट्वीट किया, “सभी को दुर्गाष्टमी की शुभकामनाएं। प्रार्थना करता हूं कि मां दुर्गा हम सभी को शांति और कृपा प्रदान करें। आइये हम मां दुर्गा की नौ शक्तियों का आह्वान करें।”