Kolkata : ‘स्वास्थ्य साथी’ कार्ड होने के बावजूद अस्पताल ने वसूला साढ़े 8 लाख रुपये

कोलकाताः मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बार-बार निर्देश के बावजूद महानगर के प्राइवेट अस्पतालों पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा है। राज्य सरकार का निर्देश है कि ‘स्वास्थ्य साथी’ कार्ड को स्वीकार करना होगा। राज्य सरकार ने मरीजों के इलाज के लिए सभी प्राइवेट अस्पतालों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। लेकिन हकीकत में कुछ प्राइवेट अस्पताल उस निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं। इस सूची में न्यू अलीपुर स्थित कलकत्ता मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआई) अस्पताल भी शामिल है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पश्चिम मेदिनीपुर की रहने वाली पायल रानी मन्ना (22) को कुछ महीने पहले नर्व की समस्या के चलते कोलकाता के सीएमआरआई में भर्ती कराया गया था। मरीज के पिता विश्वजीत मन्ना का आरोप है कि अस्पताल में भर्ती के दौरान एक से अधिक बार ‘स्वास्थ्य साथी’ के बारे में बताया था। लेकिन अस्पताल ने बताया कि ‘स्वास्थ्य साथी’ नहीं करेंगे। मरीज के इलाज के लिए करीब साढ़े 8 लाख रुपये का बिल आया था। परिवार इतना खर्च नहीं उठा सकता था। ऐसे में जमीन बेचकर पैसे जुटाए।

पायल के पिता के मुताबिक, अस्पताल में 15 दिनों तक इलाज के बाद हम आगे यहां इलाज नहीं करा सकते थे। मैं उसे एक सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित करने की योजना बनाई। वहां भी समस्या। आरोप है कि सीएमआरआई प्रबंधन नीलरतन सरकार मेडिकल कॉलेज (एनआरएस) में बेड मिलने के बाद भी मरीज को डिस्चार्ज करने में देरी कर रहा था। काफी समस्याओं के बाद मरीज को छुट्टी मिली। हालांकि अंत में एनआरएस में मरीज की मौत हो गई। जिसके बाद मृतका के पिता ने सीएमआरआई के खिलाफ राज्य स्वास्थ्य नियामक आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी।

मालूम हो कि साल 2020 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद कहा था कि ‘स्वास्थ्य साथी’ कार्ड होने के बावजूद यदि कोई अस्पताल मरीज को लौटाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं, एक अधिसूचना जारी कर कहा गया था कि 10 से अधिक बेडों वाले अस्पतालों को अनिवार्य रूप से ‘स्वास्थ्य साथी’ के दायरे में आना होगा। यदि वे किसी मरीज को लौटाते हैं, तो संबंधित अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच, सीएमआरआई के खिलाफ आरोप सामने आने के तुरंत बाद राज्य स्वास्थ्य नियामक आयोग ने प्रबंधन से बात की। आयोग के चेयरमैन असीम कुमार बनर्जी ने कहा कि अस्पताल के अधिकारियों ने हमें सूचित किया था कि मरीज के परिवार ने प्रवेश के समय ‘स्वास्थ्य साथी’ का उल्लेख नहीं किया था।

हालांकि हमें इसके पक्ष में कोई सबूत नहीं मिला है। पिता अपनी बेटी के इलाज के लिए जमीन बेचने के बाद भी उसे नहीं बचा सका। अस्पताल प्रबंधन को मानवीय दृष्टिकोण से मृतका के परिवार को मुआवजा देने को कहा गया है। सीएमआरआई अधिकारी शुक्रवार को स्वास्थ्य आयोग को सूचित करेंगे कि पायल के परिवार को कितना मुआवजा देंगे।

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