पंडित मनोज कृष्ण, शास्त्री वाराणसी : कहाँ था कर्ण का अंगदेश, किस जगह बनाया गया था लाक्षागृह, क्या महाभारत काल के स्थान आज भी मौजूद हैं? महाभारत में कुछ जगहों का नाम बार-बार आया है। कई जगहों के नाम आज भी वही हैं, लेकिन कई जगहें अब बदल चुकी हैं। जैसे कर्ण को दुर्योधन ने जिस अंगदेश का राजा बनाया था, उसके बारे में लोग कम ही जानते हैं कि वो इस समय भारत में कहां मौजूद है। महाभारत काल की कहानियां और जगहें आज भी लोगों के लिए जिज्ञासा और रहस्य की बात है। जानिए आज कहां और किस नाम से बसी हैं महाभारत काल की ये 11 प्रसिद्ध जगहें…
हस्तिनापुर : महाभारत में सबसे ज्यादा महत्व हस्तिनापुर को दिया गया है, क्योंकि हस्तिनापुर कौरवों का राज्य था और पूरी महाभारत की कथा हस्तिनापुर के आज-पास ही घूमती है। हस्तिनापुर के लिए ही महाभारत का युद्ध हुआ था। यह स्थान वर्तमान में मेरठ शहर के पास बसा है।
तक्षशीला : तक्षशीला जो महाभारत काल में गंधार प्रदेश राजधानी थी, गंधार ही आज कंधार के नाम से जाना जाता है। जो अफगानिस्तान में मौजूद है। कौरवों की माता गंधारी गंधार के राजा सुबल की पुत्री थी। मान्यता है कि यहीं पांडवों के वंशज जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की सांप काटने से मृत्यु के बाद क्रोधित होकर सर्पयज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें हजारों नाग जलकर भस्म हो गए थे।
उज्जानिक : महाभारत में जिस उज्जानिक नामक स्थान का जिक्र किया गया है वह वर्तमान काशीपुर है, जो उत्तराखंड में स्थित है। यहां पर गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को शिक्षा दी थी। यहां स्थित द्रोणसागर झील के बारे में कहा जाता है कि पांडवों ने इस झील का निर्माण किया था।
वारणावत : महाभारत में वारणावत का वर्णन पाया जाता है। यह वहीं स्थान है जहां कौरवों ने लाक्षागृह में पांडवों को जलाकर मारने का प्रयास किया था। यह लाक्षागृह आज उत्तर प्रदेश के बागपत में स्थित है।
पांचाल : द्रौपदी के पिता राजा द्रुपद का राज्य था पांचाल। मान्यताओं के अनुसार, आज यह जगह हिमालय और चंबा नदी के बीच के क्षेत्रों में बसी है। इसी जगह पर पांडवों और द्रौपदी का विवाह हुआ था।
इंद्रप्रस्थ : इंद्रप्रस्थ महाभारत की सबसे खास जगहों में से एक मानी जाती है। हस्तिनापुर से निकाले जाने के बाद पांडवों ने इंद्रप्रस्थ को ही अपनी राजधानी बनाया था।महाभारत कालिन इंद्रप्रस्थ वर्तमान में भारत की राजधानी दिल्ली है।
वृंदावन : महाभारत काल का वृंदावन आज भी इसी नाम से जाना जाता है। वर्तमान में यह उत्तर प्रदेश में स्थित है। इस जगह का खास संबंध भगवान कृष्ण से माना जाता है, यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण गौपियों के साथ रास रचाया करते थें।
अंग प्रदेश : कर्ण के राज्य अंग देश को लेकर मतभेद माना जाता है। कुछ लोगों के अनुसार, बिहार का भागलपुर महाभारत काल का अंगदेश है तो कुछ के अनुसार उत्तरप्रदेश के गोंडा को कर्ण का राज्य माना जाता है।
मथुरा : महाभारत में कंश की नगरी मथुरा का वर्णन भी पाया जाता है। आज भी इस जगह को मथुरा के नाम से ही जाना जाता है। इसी जगह पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि में आज भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
उज्जयिनी : उज्जयिनी जो उस काल में मध्य भारत की राजधानी हुआ करती थी, आज मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर के रूप में जानी जाती है। ये दुनिया के सात सबसे पुराने शहरों में से एक है। यहां भगवान कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से शिक्षा ली थी। उनकी 8 पत्नियों में से एक मित्रवृंदा उज्जैन की ही राजकुमारी थीं।
प्रभास क्षेत्र : ये सोमनाथ (गुजरात) के पास स्थित है। प्रभास क्षेत्र में ही भगवान कृष्ण ने अपनी द्वारिका पुरी बसाई थी। इसी स्थान पर उन्हें भील ने पैर में तीर मारा था, जिसके बाद कृष्ण ने अपनी लीलाएं खत्म कीं।
जोतिर्विद दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
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