वाराणसी । ज्योतिष में बुध ग्रह को शिक्षा, बुद्धि, समझदारी, कौशल, वाणी, इंटेलिजेंस का कारक माना जाता है। गुरु को ज्ञानी, उपदेशक, शिक्षक के रूप में देखा जाता है। सूर्य व चन्द्र को सरकारी कार्य, सरकार से लाभ व सरकारी नौकरी के लिए देखा जाता है। कुंडली मे चतुर्थ भाव से शिक्षा, द्वितीय भाव से वाणी कौशल, धन, बैंक बलेंस, पंचम भाव से ज्ञान बुद्धि, पढ़ाने की कला, नवम भाव से उच्च शिक्षा, सम्मान, आदि की गणना की जाती है।
- दशम भाव कर्म, कार्य क्षेत्र, सरकार से लाभ बताता है व षष्ठम भाव नौकरी कम्पीटिशन आदि के लिए देखा जाता है।
* जब कुंडली मे बुध व गुरु की आपस मे युति हो, दृष्टि सम्बद्ध हो या दोनो ग्रह दशम, द्वितीय, पंचम, नवम, चतुर्थ में स्थिति हो तो जातक को शिक्षा विभाग व टीचर आदि में सरकारी नौकरी लगने के योग बनते है।
* जब कुंडली मे सूर्य बुध की युति पर गुरु की दृष्टि हो और इनमें एक ग्रह नवमेश हो तो शिक्षा विभाग में उच्च पद पर नौकरी लगने के योग बनते हैं प्रोफेसर, लेक्चरर आदि। - * जब कुंडली मे पंचमेश, नवमेश, दशमेश की युति लाभ भाव, द्वितीय भाव, दशम व चतुर्थ भाव मे बने तो शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी नौकरी लगने के योग बनते है।
* जब द्वितीयेश, पंचमेश की युति दशमेश के साथ हो तो शिक्षा विभाग में अच्छी नौकरी लगती है।
* षष्ठेश दशमेष की युति दृष्टि हो और नवमेश पंचमेश की दृष्टि हो या साथ हो तो भी शिक्षक बनने के योग बनते है।
* लग्नेश दशमेश या पंचमेश, नवमेश गुरु या बुध हो या अन्य ग्रह हो लेकिन बुध गुरु की युति या दृष्टि में हो तो शिक्षा विभाग में अच्छी सफलता मिलती है।
ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848