जानिए कुंडली में धन सम्पति योग

वाराणसी। हर आदमी को जिज्ञासा ही होती है की उसके पास कितना धन होगा। कुंडली अनुसार धन के ऊपर आंशिक विश्लेषण प्रस्तुत कर रहा हूँ। जातक की आर्थिक स्थिति का पता दो भाव नवम भाव दशम भाव 11 भाव और 12 भाव से चलता है।

दूसरा घर पैतृक सम्पति दर्शाता है। नवम भाग्य भाव है अर्थात भाग्येश किस रूप में आपको अर्थ लाभ देता है उसका पता चलता है।
दशम भाव से ये पता चलता है की आप किस प्रकार के काम से लाभ कमा सकते हैं।

एकादश भाव से आय का स्वरूप पता चलता है की कब क्या कितनी और कैसे आय प्राप्त होगी और द्वादश भाव से हमारे खर्च का पता चलता है। मुख्य रूप से दूसरे और एकादश का मालिक 6/8/12वें भाव में हो तो धन की हानि करते हैं।

यदि दूसरे भाव का स्वामी शुभ ग्रह हो या इसमे विराजमान हो या उसकी इस पर दृष्टि हो तो जातक की सम्पति निरन्तर बढ़ती रहती है। इसके विपरीत शनि, राहु, केतु आदि पापी ग्रह हो तो सम्पति मे बाधा उत्पन्न करते है। लेकिन राहु कई बार अचानक धन लाभ अवश्य करवा देता है।

एकादश भाव मे सभी ग्रह अच्छे माने जाते है। ग्रह की तासीर के हिसाब से जातक को धन का लाभ प्राप्त होता है। इसी प्रकार जिस भाव का स्वामी दशम भाव मे हो उसके अनुसार जातक को धन लाभ होता है जैसे तीसरे का स्वामी दशम में हो तो जातक अपने बाहुबल से धन लाभ प्राप्त करता है। इसी प्रकार पराक्रमेश और भाग्येश की दशम य एकादश में युति हो तो जातक अल्प परिश्रम से ही ज्यादा धन प्राप्त कर लेता है।

यदि द्वितीयेश य एकादश केंद्र या त्रिकोण मे शुभ स्थिति में हो तो जातक धनी होता है।
यदि द्वितीयेश एकादेश की युति या दृष्टी लग्न द्वितीय भाव य एकादश भाव पर हो तो जातक धनी होता है।
जन्म कुंडली मे दो य दो से अधिक ग्रह ऊंच या स्वराशि मे हो तो भी
जातक धनी होता है।

12वें भाव मे शुक्र हो तो जातक के पास चाहे पैसे न हो लेकिन धनवानों जैसा जीवन जीता है।
नवमेश दशम मे या दशमेश नवम मे या इसी प्रकार कोई भी केंद्र एकादश का योग हो तो लाभदायक होता है।
एककदेश और द्वितीयेश चौथे स्थान में हो या लग्नेश दूसरे स्थान पर दूसरे का स्वामी ग्यारवें स्थान पर और एकादश लग्न मे हो तो अचानक धन लाभ होता है।

केतु अकेला दूसरे भाव मे हो और भाग्येश लग्नेश की उस ओर दृष्टी हो तो जातक को पैतृक धन प्राप्त होता है।
अभी तक वर्णित स्थितियों में जातक तभी धनी माना जायेगा जब जातक का खर्च व्यवस्थित हो।

12वां भाव खर्च का होता है उसमे शुभ ग्रह हो तो शुभ कार्यों पर खर्च और अशुभ ग्रह हो तो अशुभ कार्यों पर खर्च होता है। और दोनो प्रकार के ग्रह हो तो बीमारी राजदंड शत्रुओं पर खर्च होता है।
इनके अलावा यदि एककदेश 12वें भाव मे हो तो जातक जो कमाता जायेगा वो खर्च होता जायेगा।

द्वितीयेश 12वें भाव मे हो तो पैतृक सम्पति नष्ट होने का योग होता है और ज़ातक के परिवार के लोग उसे हड़प जाते है।
12वें भाव मालिक जिन ग्रहों के साथ हो उन ग्रहों के कारकत्व के अनुसार खर्च करवाते है।
यदि द्वितीयेश और एककदेश दोनो 12वें भाव मे हो तो जातक को निर्धन बना देते है।

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो.9993874848

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

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