पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दहलीज़ में सभी देवी देवता निवास करते हैं, जिस कारण इसका पूजन करना शुभ होता है। कहा जाता है इसकी पूजा करने से घर में बुरी शक्तियों का प्रवेश नहीं होता। वास्तु शास्त्र में भी देहरी को खासा महत्व प्रदान है। कहा जाता है कि यही से घर और घर के सदस्यों के जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इसलिए इसकी पूजा करनी तथा इसका दोष रहित होना अनिवार्य है। परंतु बहुत कम लोग हैं, जिन्हें देहरी पूजा करने की जानकारी है। कैसे करनी चाहिए देहरी पूजा।
ऐसी होनी चाहिए देहरी :
धार्मिक व वास्तु शास्त्र के अनुसार इस बात का खासा ध्यान रखना चाहिए कि देहरी टूटी-फूटी या खंडित न हो तो, अगर ऐसा हो तो उसे ठीक करवा कर उसे मजबूत और सुंदर बना लें। ये भी ख्याल रखें कि जब भी कोई व्यक्ति घर में प्रवेश करे तो दहलीज लांघकर ही आ पाए, सीधे प्रवेश न करें।
करें ये कार्य :
घर को साफ-स्वच्छ कर पांचों दिन देहरी पूजा करें। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग नित्य देहरी पूजा करते हैं, उनके घर में स्थायी लक्ष्मी निवास करती है।
सनातन धर्म के विशेष मौके पर घर के बाहर देली (देहली या डेल) के आसपास स्वस्तिक बनाना चाहिए और कुमकुम हल्दी डालकर उसकी दीपक से आरती उतारनी चाहिए। भगवान का पूजन करने के उपरांत अंत में देहली की पूजा करें। देहली (डेली) के दोनों ओर सातिया बनाकर उसकी पूजा करें। सातिये के ऊपर चावल की एक ढेरी बनाएं और एक-एक सुपारी पर कलवा बांधकर उसको ढेरी के ऊपर रख दें। कहा जाता है इस उपाय से धन लाभ होता है।
न करें ये कार्य :
कभी भी दहलीज पर पैर रखकर खड़े नहीं होते, खासतौर पर दिवाली के अवसर पर ऐसा बिल्कुल नहींं करना चाहिए। इसके अलावा दहलीज पर कभी पैर नहीं पटकने चाहिए। गंदे पैर या चप्पल को रगड़कर साफ नहीं करना चाहिए। दहलीज पर खड़े रहकर कभी किसी के चरण स्वर्श नहीं करने चाहिए। इसके अतिरिक्त कई बार लोग स्वागत दहलीज के अंदर से और विदाई दहलीज के बाहर खड़े रहकर करते हैं, परंतु धार्मिक व वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि कभी भी किसी मेहमान का स्वागत या विदाई दहलीज पर खड़े रहकर नहीं करना चाहिए।
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जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
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