पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी । पितृदोष यानी हमारे पूर्वजों का ठीक से श्राद्ध कर्म ना होने के कारण घर में आने वाली परेशानी। पितृदोष है या नहीं ये जातक की कुंडली से भी पता किया जाता है।अगर कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु-केतु में से कोई एक ग्रह बैठा हो तो इसे पितृदोष कहा जाता है।
पितृदोष का प्रभाव :-
1 – जिस घर में किसी सदस्य को पितृदोष होता है उस घर में अक्सर कोई ना कोई बीमार रहता है।
2 – पितृदोष के कारण घर के बच्चों में हमेशा कलह होता है।
3 – जहां पितृदोष होता है वहां संतान पैदा होने में विलंब होता है।
4 – बिजनेस में लाभ नहीं होता, उधारी बहुत ज्यादा होती है।
5 – इंसान के पैसे उधारी में डूब जाते हैं या बेकार कामों में खर्च हो जाते हैं।
6 – पितृदोष के कारण सरकारी नौकरी से वंचित रहना।
7 – पितृदोष के कारण राजनीति में सफलता से वंचित रहना।
अगर परिवार में पितृदोष हो तो कई सारी समस्याएं आती हैं। इनकी शांति के लिए पितृदोष की पूजा होती है, जिसमें सभी जाने या अनजाने पितरों के लिए तर्पण-श्राद्ध किया जाता है। अगर आपके पास पूजा कराने के लिए समय या संसाधनों का अभाव हो तो आप कुछ छोटे-छोटे उपायों से अपने पितृदोष की शांति कर सकते हैं अथवा करा सकते हैं।
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जोतिर्विद दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
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