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।।सन् 2022 में वृश्चिक राशि का वार्षिक राशिफल।।
वृश्चिक SCORPIO
(तो, न, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू )
शुभरंग– लाल व गुलाबी,
शुभ अंक– 1 व 8,
शुभधातु– तांबा,
शुभरत्न– इटालियन मूंगा व लाल ऑनिक्स,
शुभदिन– मंगलवार,
इंष्ट– हनुमान, हनुमानचालीस का पाठ लाभ देगा,
शुभमास–चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, मध्यममास– श्रावण, भाद्रपद, आश्विन एवं माघ,
अशुभमास– कार्तिक, पौष, मार्गशीर्ष व स फाल्गुन।
वृश्चिक राशि राशि चक्र की आठवीं राशि है इसका स्वामी मंगल है। स्वभाव में जितना आंतरिक, क्रोधी, चिड़चिड़ाहट रहता है उतना ही शांति, संयम रखते हैं। स्थितियां वातावरण अधिकतर आपके सोच-विचार, स्वभाव के विपरीत रहता है। मानसिकता से सोचकर भी परिवर्तन संभव नहीं होता, कामकाज के प्रति सजग, गंभीर होते हैं। कार्यकुशलता बेहतर रखते हैं। स्वाभाविक कारणों से मित्रता विश्वास कम रहता है। छोटी-बड़ी बात का भी प्रभाव अधिक होता है। चंचलतावश वैचारिक दृष्टिकोण बदलते हैं। पश्चाताप, दुःख में रहते हैं। सहजता से वृश्चिक राशि वालों को लोग सहयोगी समझ
नहीं पाते जिस कारण व्यर्थ की धारणाओं को मन में बनाते हैं, उनको मन विचारों से निकालना मुश्किल होता है। पारिवारिक प्रेम, जवाबदारी रखते हैं स्पष्टता, सत्यता के कार्यों को महत्व देते हैं। स्वयं का विश्वास बनने तक गंभीरता, हठधर्मिता नहीं बना पाते। योजना, उद्देश्य, लाभ को महत्व देते हैं। अनिश्चितता में संयमित रहना कठिन हो पाता है। योग्यता, अनुभव से अधिकार रखते हैं। कार्यकुशलता, समर्पण की स्थिति में स्वयं का प्रभाव रखते हैं। तथा परिणामों की नहीं सोचते।
आतंकित, भयभीत एकदम से नहीं होते, मन-मन दूसरों के प्रति लगन, सद्धाव रखते हैं। अपने कर्तव्यों से उसे दर्शाते हैं। विपरीत स्थिति विवाद में भी स्थिति अनुरूप एक- दूसरे को बाँधकर समझदारी दर्शा पाते हैं। एकदम से अथवा जरूरी न हो तो गुप्त कार्य, बात मन में ही रखते हैं। नजदीकी लोग किन्हीं मामलों में आपसे भय, दूरी रखते हैं जवाबदारी, सामाजिक, पारिवारिक प्रतिष्ठा के प्रति गंभीर रहते हैं। परंपराओं में विश्वास नहीं रहता। मगर जीवन में चमत्कार, अनहोनी के कारण फिर अति विश्वास, धारणाओं को मानते हैं। स्वयं का भी एक दर्शन उद्देश्य जीवन में रहता है।
ये बहुत वफादार दोस्त हो सकते हैं और उसी समय में ये बहुत खतरनाक दुश्मन बनने की भी क्षमता रखते हैं। बदला लेने और बदला पाने की इच्छा इनकी रगों में खून बन कर दौड़ता हैं। इनकी विस्मयकारी शक्ति और रहस्यमय नजरें इनके आस पास के लोगो को सम्मोहित कर देती हैं। ये तीव्र, हावी, क्रूर और प्रतिबद्ध होते हैं और अपने जीवन की लड़ाई अपनी उत्सुक बुद्धि, धैर्य और रचनात्मकता के साथ लड़ने के लिए अभ्यस्त हैं। निश्चित रूप से ये मिलनसार या उदार नहीं होते हैं लेकिन अपने लाभ के लिए जोड़-तोड़ करने वाले या षड्यंत्र करने वाले नहीं होते हैं।
इस वर्ष का गोचर दिनमान तथा ग्रहजनित प्रतिफल सामान्य फलाशय का सूचक बना है। विशेष योगवाही योगों का निर्माण नहीं तथा भाग्योदय-पुण्योदय, कर्मोदय-राज्यपक्ष आदि से सामान्य प्रतिफल चरितार्थ रहे। विशेषकर लेन-देन, व्यय खर्चे पर सन्तुलन का ध्यान रहे तथा निज शक्ति से बाहर कार्य गति का विस्तार नहीं करें। सुयोग का मापक 60 वर्ग का तो कुयोग की गणना 40 प्रतिशत एवं अनुपात से जन-जीवनीय गतिक्रम चरितार्थ होवें। सुयोगवश दिनचर्या – रात्रिचर्या ठीक रहते स्वास्थ्य शरीर सुख पक्ष ठीक रहे। कार्य, व्यवसाय, लाभ, आमदनी का मार्ग यथावत प्रचलित रहे। मांगलिक कार्य रचना, सुयोग तथा मित्र, बान्धव, सहयोगी वर्ग से अनुकूल वातावरण रहे। कुयोगदवश ज्येष्ठ से श्रावण मास मध्य दिनमान पराभव का विशेष सतर्कता से क्रियाशील रहे। रकम लेन-देन, सोदासूत में जल्दबाजी नहीं करें तथा वाहन उपयोग पर भी विशेष ध्यान रखें। व्यर्थ के कार्यों में समय व्यतीत होने का भी कुयोग है।
इस वर्ष 12 अप्रैल से छठे स्थान में राहु नेत्र पीड़ाकारक है। गुप्त शत्रु या किसी रोग के कारण हानि, सुख व आय में कमी अनुभव होगी। मातुल पक्ष को भी छठा राहु कष्टप्रद है। 13 अप्रेल से पांचवें स्थान में गुरु शुभ फलदायक है कार्यों में सफलता, उन्नति से सुख और आनन्द की वृद्धि होगी। भाग्य का सितारा चमकेगा। तर्कशक्ति, सूझबूझ और सद्गुणों में वृद्धि से कोई स्थिर होगा। घर में मांगलिक उत्सव सम्पन्न होंगे। नव शिशु जन्म की संभावना बनेगी। वर्ष में 29 अप्रेल से चतुर्थ शनि पारिवारिक सुख में कमी, स्थान परिवर्तन, सम्बन्धियों से वियोग, आत्मविश्वास में कमी करता है किन्तु शनि की ढैय्या रजतपाद से होने से व्यापार, सुख-सम्पदा में वृद्धि होगी। भूमि, राज्य से लाभ होगा। 4 जून से शनि वक्री होकर 12 जुलाई से पुनः छः माह के लिये तृतीय स्थान में रजतपाद से गतिशील होगा। फलतः आरोग्य, पराक्रम, सुख में वृद्धि, कार्यों में सफलता से धनवृद्धि होगी। पशुधन, भूमि आदि से भी लाभ होगा। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। 23 अक्टूबर से शनि मार्गी होकर 17 जनवरी 2023 से पुनः चतुर्थ स्थान में ढैय्या के रूप में स्वर्णपाद से गतिशील होगा।
“कुटुम्बरोधं बहुरोगयुक्तं क्लेशोदयं च करोति नित्यम्। द्रव्यार्थनाशो बहुलं करोति सुवर्ण पादे स्वजने विरोधम्।।”
अर्थात् परिवार में कलह, धनहानि, चिन्ता, निजजनों से विरोध, रोगभय, शत्रु से हानिकारक है।
शनि व राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिये तेल, काली वस्तुओं का दान, मंत्र जप, स्तोत्र पाठ आदि धर्मशास्त्रोक्त उपाय करने चाहिये। भावी आरक्षण सुयोग विकास हेतु सिद्ध विधान की शनि मुद्रिका धारण करें, साथ ही गुरुवार का व्रत भी योग्य रहेगा।
।।मासिक राशिफल।।
जनवरी : मिश्रित फल प्राप्त होंगे। रचनात्मक गतिविधियों में आपकी रुचि बढेगी एवं धन के नये स्रोत आप पायेंगे। मांगलिक कार्यों में आपका समय व्यतीत होगा। भोजन की। अनियमितता से शरीर कमजोर होगा। कोर्ट कचहरी के मामलों में सफलता मिलेगी। अपने ही लोग विश्वासघात करेंगे।
माह का प्रथम सप्ताह अति उत्तम रहेगा।
फरवरी : माता को लेकर चिंतित हो सकते हैं। धार्मिक व सामाजिक कार्यों में गतिविधि बढ़ेगी एवं कुछ कार्य आपको जबर्दस्ती करने पड़ सकते है। वाहन के कारण धनहानि का योग बनेगा। उच्चाधिकारियों से तनाव हो सकता है। कलंक से छवि खराब हो सकती है।
माह की 2, 11, व 20 तारीख निराशाजनक होगी।
मार्च : परिवार में नए सदस्य का आगमन संभव है। रुपया अटक जायेगा, जिससे साजिश या षड्यंत्र का शिकार हो सकते। है। पुराने इष्टमित्रों से मुलाकात होगी। प्रशासन के साथ अनबन हो सकती है। शत्रुपक्ष कमजोर होगा। कार्यक्षेत्र में माहौल उत्साहजनक होगा।
माह की 1, 2, 3, 8, 9, 10, 11, 12, 17, 19, 20, 21, 23 व 28 तारीख शुभ है।
अप्रैल : सोच समझ कर फैसले लेने की आवश्यकता है। परिवार में सौहादपूर्ण माहौल बनेगा। कार्यक्षेत्र में नई जिम्मेदारी मिल सकती है। प्रभावशाली व्यक्तियों से सम्पर्क बढ़ेगा एवं आर्थिक पक्ष पहले से सुदृढ़ होगा। गुरु व चन्द्रमा का योग धन का आगमन करेगा।
माह के दुसरे व तीसरे सप्ताह शुभ हैं।
मई : जीवनयापन के क्षेत्र में कुछ नया करेंगे। कोर्ट कचहरी में सफलता प्राप्त होगी एवं लक्ष्मी की कृपा भी होगी। कार्यक्षेत्र में तरक्की होगी। परिवार को समय दे पायेंगे। व्यापार में विस्तार की योजना बनायेंगे एवं योजनाओं के परिणाम से संतोष की प्राप्ति होगी। पुरानी गलतियों से सामना होगा।
माह की तारीख 4, 7, 13, 16, 22 व 25 शुभ नहीं है।
जून : कार्यक्षेत्र में सम्मान प्राप्ति होगी। आपके विरुद्ध षड्यंत्र होगा जिससे मन खिन्न होगा एवं परिवार में कटुता बढ़ेगी। आपकी निडरता व साहस ही आपको मजबूत बनाती है। गोपनीय बातें उजागर होने से छवि खराब हो सकती है। वाहन द्वारा क्षति हो सकती है।
माह की 1, 5, 10, 14, 19, 23 व 28 तारीख अत्यंत शुभ फलदायी होगी।
जुलाई : समय व्यर्थ न करें। भौतिक संसाधनों पर व्यय होगा। धन के आगमन के अनुपात में व्यय की अधिकता होगी। कार्यक्षेत्र में नई गतिविधियाँ होगी।
माह का तीसरा सप्ताह कष्टप्रद होगा।
अगस्त : पिता से विचार करके किसी कार्य को करें। आत्मबल मजबूत होगा, जिससे चुनौतियों के सामने आप डटकर खड़े रहेंगे। अटका हुए धन प्राप्त होगा। कार्यक्षेत्र में आपके व उच्चाधिकारियों के बीत मतभेद के प्रयास किये जा सकते है। व्यापार की स्थिति आपके पक्ष में होगी, परन्तु परिवार में खटास पैदा हो सकती है।
माह की 1, 8, 10, 17, 19, 26व 28 तारीख उत्तम रहेगी।
सितम्बर : व्यर्थ दिखावे से बचें। पैसा अटक जायेगा एवं विरोधी गुट सक्रिय होगा। भूमि के विवादों में सकारात्मक परिणाम आयेंगे। प्रयासों के परिणाम संतोषजनक होंगे। प्रियजनों से कोई अशुभ सूचना मिलेगी। प्रभावशाली व्यक्ति से सम्पर्क होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा।
माह की 1, 2, 3, 6, 9, 10, 11, 12, 15, 19, 20, 21, 29 व 30 तारीख शुभ हैं।
अक्टूबर : समय के साथ चलना अत्यंत आवश्यक है। कार्यक्षेत्र में सफलता से मन प्रसन्न होगा एवं पुरानी चिन्ताओं का नाश होगा। धन का निवेश होगा एवं कार्यों में सफलता मिलेगी। परिवार में सामंजस्य होगा एवं शुभ समाचार प्राप्त होंगे।
माह का प्रथम व चौथा सप्ताह श्रेष्ठ।
नवम्बर : दूसरों के मामले में अपने विचार न रखें। घनिष्ठ को याद करके पुरानी यादें ताजा होगी। कार्यक्षेत्र में पदोन्नति व इच्छित स्थानान्तरण से मन प्रसन्न होगा। नये प्रोजेक्ट मिलेंगे एवं सम्मान की प्राप्ति होगी। घर, ऑफिस, दुकान, जमीन संबंधी कार्यों को अंतिम रूप दे सकते है।
माह की 4, 6, 9, 13, 15, 18, 22, 24 व 27 को किसी से मतभेद हो सकता है।
दिसंबर : माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से यह माह सर्वश्रेष्ठ होगा। कार्यक्षेत्र में जल्दबाजी में निर्णय न लेवें, अन्यथा बैठे-बिठाये मुसीबत मोल ले लेंगे। प्रशासनिक हलकों में आपका रुतबा बढ़ेगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा एवं लोगों में आपकी कुशलता प्रसिद्ध होगी।
माह 4, 13 व 22 तारीख को छोड़कर सभी शुभ हैं।
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पं. मनोज कृष्ण शास्त्री
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