पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी । आज बात करते हैं केतु ग्रह के बारे में। केतु और राहु हमेशा एक दूसरे के विपरीत होते हैं। केतु लग्न में है तो राहु सप्तम में होगा, राहु लग्न में है तो केतु सप्तम में होगा। केतु जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान की चिंता जरूर देता है, उसी स्थान से संबंधित क्षेत्रों में समस्या जरूर देता है। कुंडली के 12 घरों में केतु जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान की समस्या हर व्यक्ति को होती है। किसी भी हजारों लाखों कुंडलियों में देख ले। लग्न में केतु निर्णय लेने की क्षमता को कम करेगा साथ में यदि मंगल का प्रभाव हुआ यहां तो जैसे लोगों को ब्रेन हेमरेज जरूर होता है। द्वितीय स्थान का केतु धन के लिए संघर्ष कर आएगा। इसका संबंध मुख से है वाणी से है ऐसे लोगों की वाणी ठीक नहीं होती। परिवार में ऐसे लोगों का मतभेद जरूर रहता है। ऐसे जातक से परिवार वाले हमेशा नाखुश रहते हैं। धन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। जीवन में 41 वर्ष के बाद धन में स्थिरता आती है। कभी-कभी ऐसे लोगों के दांत आगे पीछे या एक के ऊपर एक ही होते हैं।
* तृतीय स्थान का केतु – दाई भुजा में एक जख्म जरूर देता है।
* छोटे भाई, बहनों से विवाद होता है ऐसे जातक का। ऐसे जातक को अपने परिवार के नियम धर्म में काफी रहना होगा।
* मकान भूमि की समस्या से समस्या रहती है, साथ में हृदय में कभी-कभी दर्द भी होता है ऐसे लोगों को।
* पंचम में केतु संतान सुख मै कमी लाता है, शिक्षा अध्ययन में फेरबदल, पेट में विकार उत्पन्न करता है।
लक्षण :
1. धन हानि।
2. संतान को कष्ट।
3. खराब स्वास्थ्य।
4. कामवासना का बढ़ना
5. वैवाहिक जीवन में कलह।
6. कोट कचहरी के मामलों में फंस जाना।
7. भूत प्रेत बाधाओं द्वारा परेशान करना।
8. शत्रुओं का बढ़ना।
9. लोगों से अनावश्यक झगड़े होने।
10. बुरी संगती में पड़ना।
अगर ये सारे लक्षण आपको दिखाई दें तो समझ लीजिये आपकी कुंडली में केतु की स्थिति अशुभ है।
बीमारियाँ :
1. सिर के बाल झड़ना।
2. शरीर की नसों में कमज़ोरी आना।
3. पथरी होना।
4. जोड़ों में दर्द रहना।
5. चर्म रोग होना।
6. कान में समस्या के कारण सुनने की क्षमता कम होना।
7. अक्सर खांसी रहना।
8. संतान उत्पत्ति में रूकावट।
9. पेशाब की बीमारी।
10. रीढ़ की हड्डी में दिक्कत।
11. कोई गुप्त रोग होना।
केतु के कुप्रभाव से बचने हेतु उपाय :
* दुर्गा जी, हनुमान जी और गणेश जी की आराधना करें।
* दो रंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं।
* भैरव जी को केले के पत्ते पर चावल का भोग लगाएं।
* शुद्ध गाय के घी का दीपक अपने घर में पूजा के स्थान पर जलाएं और हो सके तो घर के आस-पास कोई मंदिर हो तो उसमे भी जलाएं।
* तिल के लड्ड़ओं का दान करें।
* रविवार के दिन कन्याओं को मीठी दही और हलवा खिलाएं।
* दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को केतु के निमित्त व्रत रखें।
* गरीबों में दान करें।
* हरे रंग का रुमाल हमेशा अपने पास रखें।
* पके हुए चावल में मीठी दही मिलाकर उसे एक दोने में डाल लें साथ ही उसमें कुछ काले तिल के दाने भी डाल दें और पीपल के वृक्ष के नीचे दोने को रखकर केतु दोष की शान्ति की प्रार्थना करें। ऐसा आप कृष्ण पक्ष में करे।
जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848