- रथ खींचने के लिए उमड़े हजारों भक्त, जगह-जगह हुआ स्वागत
अमितेश कुमार ओझा, खड़गपुर : जंगल महल समेत पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर जिले में आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया, रविवार को गाजे-बाजे व हरिनाम संकीर्तन के साथ बहन सुभद्रा व भाई बलराम के साथ महाप्रभु की रथयात्रा भक्तिभाव के बीच हर्षोल्लासा के साथ निकाली गई।
इस दौरान इंद्रदेव ने भी कहीं हल्की तो कहीं जोरदार बारिश कर रथयात्रा में शामिल लोगों को सराबोर किया, जिससे भक्तों का उत्साह दोगुना हो उठा। महिलाओं, बच्चे व युवाओं के साथ वृद्ध भी रथ की रस्सी खींच कर कम से कम पांच कदम तक आगे बढ़ने के लिए लालायित रहे।
रथयात्रा को लेकर जगन्नाथ मंदिर के बाहर सुबह ही देवी सुभद्रा के रथ ‘दर्पदलन’, भगवान जगन्नाथ का ‘नंदीघोष’ या ‘गरुड़ध्वज ‘ के साथ भाई बलराम के तालध्वज नामक रथ को सजाने का कार्य आरंभ हो गया।
इधर भक्तों की भीड़ भी मंदिर पहुंचने लगी थी। टकटकी लगाए लोग रथ को सजाने का कार्य देख रहे थे। इन तीनों रथों की उंचाई, पहिए और आकृति अलग-अलग होती हैं।
बताते चलें कि रथ यात्रा में सबसे आगे भाई बलराम का लाल व हरा रंग के साथ 14 पहियों वाला तालध्वज नामक रथ चलता है। मातलि इस रथ के सारथी है। इसके बाद बहन सुभद्रा का दर्पदलन नामक 12 पहियों से युक्त लाल और काला रंग वाले रथ के सारथी अर्जुन कहे जाते हैं।
सबसे पीछे 16 पहियों वाला महाप्रभु का पीला व लाल रंग से सजा गरूड़ध्वज नामक रथ खींचा गया, जिसके सारथी दारुक है।
खड़गपुर के न्यू सेटलमेंट स्थित जगन्नाथ मंदिर के साथ सुभाषपल्ली स्थित गौड़ीय मठ, तालबगीचा स्थित जगन्नाथ मंदिर व प्रेम बाजार स्थित हरे कृष्णा मंदिर के साथ अन्य कई स्थानों पर भी रथयात्रा समारोह का आयोजन किया गया।
हजारों की संख्या में श्रद्धालु रथ को खींचने व महाप्रभु का दर्शन करने के लिए उमड़े रहे। एक ओर जहां रथ यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया, वहीं शीतल पेयजल व मिष्ठान्न का भी वितरण हुआ। आयोजन के दौरान किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बचाव के लिए पुलिस-प्रशासन भी मुस्तैद रहा।
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