खड़गपुर : कोरोना का कहर है, सहमा पूरा शहर है !!

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : कोरोना काल और आंशिक तालाबंदी के दौर में देश के दूसरे हिस्सों की तरह खड़गपुर का भी कुछ यही हाल है। खतरनाक वायरस कोरोना के कहर से हर कोई सहमा है। संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, मौतें भी हो रही है। अस्पतालों पर दबाव भी निरंतर बढ़ रहा है। बढ़ती मांग के बीच सामंजस्य के लिए कई स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आ रही है, संक्रमित मरीजों के लिए सेफ होम तैयार करने को। जिंदगी ठहरी हुई सी है कोरोना के खौफ में।

दुकानें और बाजारें खुलती है लेकिन न खुलने जैसी। सुबह सात से 10 बजे और शाम पांच से सात बजे तक। दुकानदार कहते हैं ” ऐसे में दुकानें खोलना न खोलना बराबर है । यानी कड़ी मशक्कत कर दुकानें खोलो , बोहनी करो और फिर दुकानें बंद कर दो। तिस पर संक्रमण और पुलिसिया लाठी का खौफ हमेशा बना रहता है। जिंदगी के दूसरे काम भी कोरोना के डर से हांफते हुए हो रहे हैं।

लोग घरों से निकलते हैं , लेकिन डरे – सहमे। कब कौन मास्क नाक के नीचे होने पर डपट दे। या बढ़ते संक्रमण का जिम्मेदार ही ऐसी लापरवाहियों को ठहरा दे। हर कोई परेशान है कि यह सिलसिला जाने कब तक चलेगा लेकिन सबसे ज्यादा परेशान तो जीवन संध्या पर पहुंच चुके वो बुजुर्ग हैं, जिनके लिए वैक्सीन संजीवनी सी हो चुकी है।

थके हारे बुजुर्ग यह संजीवनी चाहते तो हैं लेकिन इसे हासिल करने में भारी जलालत झेलनी पड़ रही है। फिर भी अधिकांश को निराशा ही झेलनी पड़ रही है। जिनके लिए अब कुछ पाने या न पाने का कोई मतलब नहीं रह गया है , कोरोना काल ने उन्हें ये दिन भी दिखा दिए कि एक वैक्सीन उनके लिए गूलर का फूल हो गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

two × 4 =