तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : जब तक दुनिया में छोटे और बड़े तथा कामगार व नियोक्ता का संघर्ष है , वामपंथी संघर्ष की मशाल जलती रहेगा । एटक समेत तमाम ऐसे संगठनों का जन्म ही इसलिए हुआ है । इसलिए वामपंथी राजनीति के अप्रासंगिक होने का सवाल ही उत्पन्न नहीं होता । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के श्रमिक संगठन एटक के सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में झाड़ग्राम में आयोजित रैली में यह बात दलीय नेताओं ने कही । इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख नेताओं में विप्लव भट व प्रतीक मित्रा आदि शामिल रहे ।
रैली में शामिल कार्यकर्ताओं ने शहर परिक्रमा की । कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बदलते दौर में वामपंथी राजनीति की उपयोगिता पर सवाल खड़े किए जाते हैं । कहा जाता है कि आधुनिक युग में इसकी कोई प्रासंगिकता है या नहीं । जबकि दुनिया चाहे जितनी बदल गई हो लेकिन पूंजी और श्रम तथा कामगार और नियोक्ता का संघर्ष अब भी जस की तस कायम है । सर्वहारा और वंचित तबके की लड़ाई एकमात्र एटक जैसे वामपंथी संगठन ही लड़ सकते हैं । यह बात कई बार प्रमाणित हो चुकी है । एटक जैसे श्रमिक वर्ग के संगठन का अपनी स्थापना के सौ साल पूरे कर लेना कोई साधारण बात नहीं हैं । क्योंकि ब्रिटिश राज से लेकर अब तक संगठन को काफी दबाव में काम करना पड़ा है ।