चश्मा बनवाते समय रखें ये सावधानियां, आंखों को करती हैं प्रभावित

जिन किसी के आंखों की दृष्टि कमजोर होती हैं वे चश्मे का इस्तेमाल करते हैं और आजकल तो चश्मा भी स्टाइल स्टेटमेंट के तौर पर जाना जाता हैं जिसके लिए बाजार में कई तरह की फ्रेम मिल जाती हैं। लेकिन अक्सर देखा जाता हैं कि चश्मा बनवाते समय लोग सावधानी नहीं रखते हैं और कुछ गलतियां कर बैठते हैं जिसका प्रभाव आंखों पर भी पड़ता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको चश्मा बनवाने से जुड़ी उन्हीं महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जो जिनपर ध्यान देना जरूरी हैं।

गलत पॉवर का चश्‍मा लगाना : लोग समय का बहाना बताकर महीनों तक आंखों का चेकअप नहीं करवाते। इससे उनकी आंखों का नंबर बढ़ जाता है पर वो उसी चश्‍मे का इस्‍तेमाल करते रहते हैं। हर उम्र में आपके ल‍िए आंखों का चेकअप जरूरी होता है। कुछ हेल्‍थ कंडीशन जैसे डायब‍िटीज आपके व‍िजन में बदलाव ला सकती हैं। इसल‍िए जरूरी है क‍ि समय रहते चेकअप करवा लें। आंखों का चेकअप करवाते रहते से ग्‍लूकोमा, रेट‍िनल ड‍िसीज, कैटरेक्‍ट आद‍ि का पता समय रहते चल जाता है। इसल‍िए अपनी आंखों को जोखिम में डालने की गलती न करें।

डॉक्‍टर से आंखों का चेकअप न करवानाा :  कुछ लोग आलस या डर के चलते डॉक्‍टर के पास नहीं जाते और चश्‍मे की दुकान से चेकअप करवा लेते हैं पर आप इस बात का ध्‍यान रखें क‍ि चश्‍मे की दुकान पर केवल आपकी आंखों का नंबर ही पता चलेगा अगर आंखों में कोई बीमारी है तो वो स‍िर्फ एक डॉक्‍टर ही बता सकता है। इसल‍िए हेल्‍दी आंखों के ल‍िए दुकान के बजाय डॉक्‍टर से आंखों का चेकअप करवाएं। अगर आपकी आंखों में कोई परेशानी हुई और आपको सही समय पर उसका पता नहीं चला तो आगे चलकर समस्‍या बढ़ सकती है। इससे ड्राय आई, स‍िर दर्द, धुंधलापन जैसी समस्‍या बढ़ जाती है।

लो-क्‍वॉल‍िटी का चश्‍मा : कुछ लोग पैसे बचाने के ल‍िए लो-क्‍वॉल‍िटी का चश्‍मा खरीद लेते हैं। ऐसा करना अपनी आंखों के साथ ख‍िलवाड़ करने के बराबर है। अगर लो-क्‍वॉल‍िटी का चश्‍मा आप घंटों तक लगाए रहते हैं तो कान के पीछे और नाक में दर्द हो सकता है। धीरे-धीरे इससे स‍िर में दर्द की समस्‍या भी होने लगती है। चीप प्‍लास्‍ट‍िक से बैक्‍टेर‍िया बढ़ते हैं और वो बैक्‍टेर‍िया आपकी स्‍किन पर च‍िपक जाते हैं ज‍िससे बाद में इंफेक्‍शन हो सकता है। बहुत से स्‍टोर में ड‍िसकॉउंट ऑफर चलते रहते हैं आप तब चश्‍मे खरीदें पर जब भी लें क्‍वॉल‍िटी से समझौता करने की गलती न करें।

चश्‍मे में नहीं है यूवी प्रोटेक्‍शन : बहुत लोग सोचते हैं क‍ि चश्‍मा बनवाते समय दुकान पर यूवी प्रोटेक्‍टेड चश्‍मे क्‍यों द‍िए जाते हैं। ऐसा इसल‍िए क्‍योंक‍ि आपकी आंखों को सूरज की क‍िरणों से बचाना भी जरूरी है। जब आप धूप में ज्‍यादा समय रहते हैं तो आपकी आंखों में सूरज की हानिकारण रेज पड़ती हैं। ये आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन रेज से आपकी स्‍क‍िन भी खराब हो सकती है। इसल‍िए अब जो चश्‍मे बन रहे हैं उनमें यूवी प्रोटेक्‍शन का ऑप्‍शन रहता है। यूवी प्रोटेक्‍टेड चश्‍मा महंगा जरूर होता है पर आपको वही खरीदना चाह‍िए।

पुराने नंबर पर नया चश्‍मा बनवाना : बहुत से लोग ये गलती करते हैं। अगर आपका चश्‍मा टूट गया है और आप दूसरा बनवाने से पहले आंखों का चेकअप नहीं करवा रहे हैं तो ये ठीक नहीं है। आपको अपनी आंखों का ख्‍याल रखना है उसके ल‍िए जरूरी है क‍ि पुराने नंबर पर नया चश्‍मा न बनवाएं। आपको दोनों आंखों का चेकअप समय-समय पर और खासकर नया चश्‍मा बनवाते समय करवाना चाहि‍ए। अगर आप डॉक्‍टर के पास नहीं जा सकते और आंखें स्‍वस्‍थ्‍य हैं तो आप चश्‍मे की दुकान पर ही चेकअप करवा सकते हैं।

कंप्‍यूटर वाले चश्‍मे को न समझें रीड‍िंग स्‍पैक्‍स : कुछ लोग कंप्‍यूटर पर काम करते समय पढ़ने वाले चश्‍मे ही लगा लेते हैं पर आप ऐसी गलती न करें। जो शब्‍द कहीं छपे होते हैं और ज‍िन्‍हें आप स्‍क्रीन पर देखते हैं उन में बहुत फर्क होता है। प्रिंटेड टेक्‍ट को कम दूरी से पढ़ा जाता है वहीं जो टेक्‍ट स्‍क्रीन पर होता है उसे ज्‍यादा दूरी से पढ़ते हैं। कुछ लोग पढ़ने वाले चश्‍मा लगाने के कारण कंप्‍यूटर पर काम करते समय स‍िर को पीछे की ओर झुका लेते हैं ज‍िससे गर्दन पर जोर पड़ता है। इसल‍िए आप इस गलती को न करें। पढ़ने के ल‍िए और स्‍क्रीन के ल‍िए अलग-अलग चश्‍मे बनवाएं।

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