जंगल महल : जयंती पर याद किए गए स्वतंत्रता सेनानी हेमचन्द्र कानूनगो

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में सशस्त्र संघर्ष के प्रणेता हेमचन्द्र कानूनगो को जयंती पर जंगल महल के विभिन्न भागों में श्रद्धा पूर्वक याद किया गया। इस अवसर पर जंगल में विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। कानूनगो का जन्म 12 जून 1871 को अविभाजित बंगाल के तत्कालीन नारायणगढ़ थाना एवं अविभाजित मेदिनीपुर के राधानगर ग्राम में हुआ था। हालांकि उनके जन्मदिन को लेकर अलग-अलग मत हैं। अगस्त 2020 की शुरुआत में क्रांतिकारी के पड़पोते रंजीत कानूनगो ने साफ कर दिया कि उनके दादा का जन्म 12 जून 1871 को हुआ था। हेमचंद्र कानूनगो के उत्तराधिकारी के दावे का सम्मान करने के लिए हर साल इसी दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है।

पश्चिम मेदिनीपुर जिले के विभिन्न स्थानों पर हेमचन्द्र की प्रतिमाओं को माला पहनाकर उनका सम्मान किया जाता है। बेलदा में बीडीओ कार्यालय की ओर जाने वाली सड़क के सामने स्थित हेमचंद्र कानूनगो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। उसके बाद खा कुड़दा बस स्टैंड पर हेमचंद्र की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। क्रांतिकारी के जन्म स्थान राधानगर गांव में स्थानीय ग्राम पंचायत कार्यालय के सामने क्रांतिकारी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आज सुबह शस्त्र गुरु द्रोणाचार्य हेमचंद्र कानूनगो के आवास के सामने बारामोहनपुर भगवती देवी पीटीटीआई की पहल पर हेमचंद्र कानूनगो द्वारा बनवाए गए आवास के प्रभारी गणपति कानूनगो के सहयोग से एक लघु कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

माल्यदान के साथ हेमचंद्र की संक्षिप्त जीवनी पर चर्चा की गई है। इसके अलावा, जंगल महल उद्योग और केलेघई बगुई पार की मीठा भाषा चर्चा समिति की पहल के तहत, किरनीतला मेदिनीपुर में उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
बेलदा खाकुड़दा और राधानगर गांव के कार्यक्रम में सानंद न्यूज के शिक्षक और पत्रकार और मानद प्रधान संपादक, अखिलबंधु महापात्रा, पत्रकार और कवि विश्वसिंधु दे, राधानगर गांव निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता गौरांग आदक, पीटीटीआई की भगवती देवी, प्रो. टूम्पा गिरी, प्रो. समर माईती और गणेश माईती, गणपति कानूनगो, हेमचंद्र कानूनगो के परिवार के वंशजों में से एक अनिर्बान कानूनगो आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

अखिलबंधु महापात्रा ने राधानगर गांव के कार्यक्रम में उनके क्रांतिकारी जीवन की चर्चा की। कवि विश्वसिंधु दे ने हेमचंद्र की पत्नी शरत कुमारी देवी पर लिखी कविता का पाठ किया। मेदिनीपुर जंगल महल पहल की पश्चिम मेदिनीपुर जिला शाखा एवं केलेघाई-बघुई पर मीठा भाषा अभ्यास समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित थे। मधुप कुमार दे, शिक्षक और लेखक सुब्रत महापात्रा, नरसिंह दास, अमित साहू, सुदीप कुमार खांडा और मणिकांचन रॉय भी आयोजन के दौरान खासे सक्रिय रहे। विद्यालय के प्रधानाध्यापक दीपांकर तिवारी ने बताया कि इस दिन शशिंदा सागर चंद्र उच्च विद्यालय में स्थापित हेमचंद्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।

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