जमीन विवाद के कारण बंगाल में बंद हो गए जेएनवी स्कूल

कोलकाता। बंगाल में जमीन विवाद के कारण केंद्र सरकार की ओर से संचालित जवाहर नवोदय विद्यालय बंद हो गए। इसे लेकर केन्द्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर शिकायत की है। यही नहीं केन्द्रीय मंत्री ने स्कूल के मामले को देखने के लिए ममता बनर्जी से व्यक्तिगत रूप से अनुरोध किया है। पत्र में केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया है कि दक्षिण 24 परगना 1 और मालदह में 2 जवाहर नवोदय विद्यालय जमीन के विवाद को लेकर बंद हो गए। दक्षिण 24 परगना में साल 2007-08 में अस्थायी जमीन पर जवाहर नवोदय विद्यालय खोला गया था।

उसके बाद 2021 तक भी वहां स्थायी भवन का निर्माण नहीं हुआ। इसके कारण दक्षिण 24 का स्कूल बंद हो गया। वहीं मालदह में साल 2016 में स्कूल के खोलने के बीत कही थी, पर अभी तक निर्माण काम शुरू नहीं हुआ। प्रधान ने कहा कि जेएनवी खोलने के लिए लगभग 30 एकड़ उपयुक्त भूमि का प्रावधान है। पत्र में धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा है कि बंगाल में प्रशासनिक उदासीनता के कारण इन दोनों आवासीय विद्यालयों में दूर ग्रामीण क्षेत्रों के मेधावी विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

इस मामले में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप करने और व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने का अनुरोध किया है। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संबंधित अधिकारियों को उपयुक्त भूमि और अस्थायी आवास की पहचान और हस्तांतरण में तेजी लाने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया। ताकि इन दोनों जिलों के ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के लिए विद्यालयों को जल्द से जल्द चालू किया जा सके।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पत्र में लिखा है कि जवाहर नवोदय विद्यालयों में छात्रों की शिक्षा को लेकर केंद्र सरकार उत्साहित है। लेकिन उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि उस जगह अब पश्चिम बंगाल के दो स्कूल बंद हैं। आपको बताते चलें कि देश के पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने देश के दूरदराज के क्षेत्रों से गरीब और मेधावी छात्रों विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय की शुरुआत की।

इस स्कूल में छात्रों का चयन ऑल इंडिया मेरिट टेस्ट के माध्यम से किया जाता है। ये आवासीय विद्यालय छठी से बारहवीं कक्षा के लिए हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करते हैं। इन आवासीय विद्यालयों में मेधावियों छात्रों को निःशुल्क आवास एवं भोजन दिया जाता है।

उस समय गरीबी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित छात्रों को आधुनिक शिक्षा व्यवस्था से परिचित कराना था। वर्तमान समय में देश में 1,200 से अधिक नवोदय स्कूलों में लगभग 3 लाख से अधिक पढ़ रहे हैं। ये आवासीय विद्यालय छठी से बारहवीं कक्षा के लिए हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करते हैं।

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