वाराणसी। माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत सन् 2024 ई. 20 फरवरी मंगलवार को है। एकादशी व्रत के एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं, लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। माघ शुक्ल पक्ष जया एकादशी तिथि का आरंभ 19 फरवरी सोमवार सुबह 08 बजकर 51 मिनट पर होगा और जया एकादशी तिथि 20 फरवरी मंगलवार सुबह बजकर 09 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि 20 फरवरी मंगलवार को है ऐसे में जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी मंगलवार को रखा जाएगा। जया एकादशी व्रत का पारण 21 फरवरी, बुधवार, द्वादशी तिथि को प्रातः 07.11 से 09.20 तक कर सकते है।
माघ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि, जैसे- भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है, जया एकादशी का व्रत इसलिए श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि इस दिन राजा हरिश्चंद्र ने व्रत रखकर सभी कठिनाइयों को अपने जीवन से दूर किया था,एकादशी के व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ, जप, तप, तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभफल मिलता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है।
एकादशी व्रत जीवन में संतुलन को कैसे बनाए रखना है सीखाता है। इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को स्वर्ण, भूमि, फल, वस्त्र, मिष्ठानादि, अन्न दान, विद्या, दान दक्षिणा एवं गौदान आदि यथाशक्ति दान करें।
इस दिन श्री गणेश जी, श्री लक्ष्मीनारायण, भगवान श्री कृष्ण जी तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है। श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा पक्का सुने। एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है, इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नजरिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की अराधना को समर्पित होता है। व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान श्री लक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए, इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848
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