तारकेश कुमार ओझा,खड़गपुर : सतत ग्रामीण विकास और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, झाड़ग्राम जिले के जामबनी ब्लॉक में ढाडसा ग्राम पंचायत के जामडहरी गांव ने विश्व पर्यटन दिवस पर ग्रामीण पर्यटन स्थल के रूप में अपनी शुरुआत की।
पर्यावरण अनुसंधान संगठन ट्रॉपिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्थ एंड एनवायर्नमेंटल रिसर्च और दक्षिण एशिया का ग्लोबल फोरम फॉर सस्टेनेबल रूरल डेवलपमेंट, जिनकी पहल पर्यावरण के अनुकूल और लोक कल्याणकारी परियोजनाओं की योजना बनाने के लिए कार्यान्वित की जा रही है।
विश्व पर्यटन दिवस पर ग्रामीण पर्यटन मंच के शुभारंभ के साथ एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। अन्य अतिथियों की उपस्थिति में जिलाधिकारी सुनील अग्रवाल की अनुपस्थिति में ग्रामीण पर्यटन स्थल का उद्घाटन जिला प्रशासन की ओर से अपर जिलाधिकारी गोविंद दत्त ने किया।
आयोजक संस्था के सचिव प्रोफेसर डॉ. प्रणब साहू ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया।
अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष प्रोफेसर विनय चंद ने की। मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में विद्यासागर विश्वविद्यालय के मानद कुलपति प्रोफेसर डॉ. सुशांत चक्रवर्ती उपस्थित थे।
भूटान के थिम्पू जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण अनुसंधान केंद्र के प्रोफेसर डॉ. ओम क्यूटेल अंतरराष्ट्रीय सम्माननीय अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।
झाड़ग्राम साधु राम चंद मुर्मू विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और झाड़ग्राम राज कॉलेज के प्राचार्य डॉ देवनाराण रॉय, अंतर्राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ..कंचन भौमिक, कोलकाता विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केंद्र के निदेशक प्रो.डॉ. लक्ष्मी नारायण सतपति,
बर्दवान विश्वविद्यालय के पर्यटन प्रबंधन विभाग के प्रमुख मीर अली सफीक, विष्णुपुर रामानंद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. स्वप्ना घोरुई, विद्यासागर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर देवदुलाल बनर्जी, कापगारी कॉलेज के प्राचार्य डाॅ देबप्रसाद साहू, झाड़ग्राम जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जिला पर्यटन अधिकारी मोहम्मद अलीम अंसारी,
जामबनी खंड विकास अधिकारी देबब्रत जाना, पुलिस थाने के आईसी बिस्वजीत विश्वास, झाड़ग्राम राज परिवार के सदस्य दुर्गेश मल्लदेव और ग्राम पंचायत बिमलेंदु महतो आदि समारोह में उपस्थित थे।
पर्यावरण अनुसंधान संगठन के सचिव और आयोजन सचिव प्रो. प्रणब साहू ने कहा, ‘झाड़ग्राम जिले के जामबनी ब्लॉक के ढाडसा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले जामडहरी गांव को जून 2020 से कोविड महामारी अवधि के दौरान गोद लिए गए गांव के रूप में स्वीकार किया गया है।
पिछले चार वर्षों के दौरान टिकाऊ कृषि, मछली पालन, प्रोटीन फार्म, नर्सरी हब, फल उद्यान, पोषण उद्यान, सब्जी और मसाला उद्यान और हस्तशिल्प आदि का विकास और आरंभ किया गया है।
पेयजल समस्या का समाधान, सड़क, बिजली सेवाओं में सुधार आदि मुद्दों में सुधार हुआ है। सबसे बढ़कर, ग्रामीण विकास और मानव संसाधन विकास के लिए पहल की गई है। ग्रामीणों के बीच काफी पहल और सुधार किया गया है।
सुंदर प्राकृतिक सुंदरता से लिपटा शांत गांव, जैविक और देशी सब्जियां और ग्रामीणों की ईमानदारी और उनकी अपनी लोक संस्कृति ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए आदर्श हैं। तो यह हमारा विचार है।
हमारा मुख्य लक्ष्य इस गांव का सतत विकास और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना और झाड़ग्राम जिले यानी जामडहरी गांव को विश्व मानचित्र पर लाना है। इस अवसर पर जिले एवं राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राचार्य, प्रोफेसर, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
लगभग साढ़े तीन सौ ग्रामीण उपस्थित थे। ग्रामीण दिलीप मांडी और संटू महतो ने कहा कि पंद्रह स्वयंसेवकों और ग्रामीणों ने पंद्रह दिनों तक गांव को सजाया।
पंद्रह स्टॉल, बैलगाड़ियाँ, झूले, मछली पकड़ने के घाट, जैविक भोजन, बांसुरी संगीत, लोक गीत और नृत्य और थीम गीत दिन के उत्सव के महत्वपूर्ण हिस्से थे।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए कार्यक्रम की शुरुआत पौधों पर पानी डालकर की गई। अलग-अलग समय में स्थानीय कलाकारों द्वारा लोक संगीत और लोक नृत्य की विभिन्न शैलियों का प्रदर्शन किया गया।
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