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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘जय हिंद वाहिनी’ के गठन करने का ऐलान किया था। अब राज्य सरकार ने उस प्रक्रिया को एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। ‘जय हिंद वाहिनी’ को राज्य कैबिनेट की बैठक में अंतिम मंजूरी मिल गई हैं और अब इसे लेकर अधिसूचना भी जारी की गयी है। इसमें प्रदेश के स्कूल के 11वीं और12 वीं कक्षा के विद्यार्थी शामिल होंगे। एनसीसी के तर्ज पर इसका उद्देश्य मूल रूप से छात्रों की मानसिक, सामाजिक और शारीरिक विकास को सुनिश्चित करना है, लेकिन विपक्ष इसे एनसीसी के काउंटर करने के लिए नया स्टूडेंट कैडेट बनाने का आरोप लगा रहा है।
राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदर्शों को छात्रों में विकसित किया जा सके. उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर बनाया जा सके। ‘जय हिंद वाहिनी’ का मूल उद्देश्य यही है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती के अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज के योगदान को ध्यान में रखते हुए ममता बनर्जी ने ‘जय हिंद वाहिनी’ का गठन किया है।
राज्य सरकार एक ओर एनसीसी के तर्ज पर जय हिंद वाहिनी का गठन कर रही है, दूसरी ओर, विपक्ष इसे एनसीसी के बाबत फंड को रोकने से जोड़ कर देख रहा है। बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने कथित तौर पर राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) की फंडिंग रोक दी है, जिससे एनसीसी को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वह एनसीसी का काउंटर करना चाहती है और राज्य के लोगों को धोखा देना चाहती है। ममता बनर्जी द्वारा घोषित परियोजना पहले ही फ्लॉप हो चुकी है और यह भी फ्लॉप हो जाएगी।
बता दें कि राज्य के एनसीसी के प्रभारी अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) ने एनसीसी के महानिदेशक (डीजी) को समस्या के बारे में लिखा है। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय को भी पत्र भेजा गया है। एनसीसी ने पैसे की कमी के कारण नए कैडेटों को लेना बंद करने का फैसला किया है। पत्र में उनका दावा है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने उनके लिए आवंटित बजट में कटौती की है। एनसीसी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा एनसीसी के लिए आवंटित बजट की राशि 25 प्रतिशत (प्रति वर्ष 5 करोड़ रुपये) है। उसमें से अब तक केवल 80 लाख एनसीसी को दिए गए हैं।