सुधीर श्रीवास्तव । विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन, नागपुर के उपक्रम अंतरंग महिला चेतना मंच के पाक्षिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में “परीक्षाकाल और मूलमन्त्र : उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै:” इस शीर्षक के अन्तर्गत आयोजित किए गए कार्यक्रम का उद्देश्य शुभकामना संदेशों के द्वारा परीक्षा के दौरान उपजने वाले तनाव से छात्रों को बचाना और उन में सकारात्मक सोच का संचार करना था। परिश्रम का महत्व समझाते हुए बताना कि सुनियोजित ढंग से यदि अभ्यासक्रम को पूरा किया जाए तो सिद्धि स्वयं कदम चूमती है। निराशा और हतोत्साह जैसे शब्दों से छात्रों को किनारा कर लेना चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ भारती रावल के द्वारा प्रस्तुत की गई सुमधुर सरस्वती वन्दना के साथ हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि नागपुर विश्वविद्यालय की ‘हिन्दी विभाग प्रमुख वीणा दाढ़े’ और विशेष अतिथि भवन्स भगवानदास पुरोहित विद्या मन्दिर सिविल लाइंस की प्राचार्या अंजू भूटानी ने अपने उद्बोधन में अनगिनत उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। छात्रों अभिभावकों और युवा वर्ग की समस्याओं को साझा करते हुए कार्यक्रम के प्रथम चरण का संचालन अंतरंग महिला चेतना मंच की संयोजिका शगुफ्ता यास्मीन क़ाज़ी ने किया, तत्पश्चात् सह-संयोजिका रंजना श्रीवास्तव ने दूसरे चरण का संचालन करते हुए छात्रों व अभिभावकों की समस्याओं को सोदाहरण सामने रखते हुए सभी उपस्थित प्रतिभागियों से आह्वान किया कि वे इन समस्याओं के मद्देनज़र समाधानात्मक शुभकामना संदेश देकर छात्रों को आश्वस्त करें।
कार्यक्रम में पुष्पा पांडे, माया शर्मा ‘नटखटी’, प्रिया सिन्हा, रश्मि मिश्रा, रामकुमारी करनाके, डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव, रत्ना जायसवाल, माधुरी राऊलकर, सरोज गर्ग, सुषमा अग्रवाल, रेशम मदान, उमा हरगन, माधुरी मिश्रा ‘मधु’, इन्दिरा किसलय, सुषमा भांगे, संतोष बुधराजा, किरण हटवार, माधुरी यादव, सुरेखा खरे, किरण मुंदड़ा और रूबी दास के शुभकामना संदेशों से पूरा सभागृह गूँज उठा।
अंतरंग महिला चेतना मंच की संयोजिका शगुफ्ता यास्मीन क़ाज़ी ने अन्ततः सभी प्रतिभागियों और मुख्य अतिथियों के आभार प्रदर्शन की रस्म अदा की। संयोजिका सुनीता गुप्ता और सह-संयोजिका डॉ. स्वर्णिमा सिन्हा की उपस्थिति ने मंच को गौरवान्वित किया।