ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना जोकि मथुरा में जन्मीं, औरैया की साहित्यकार हैं जिनकी लिखी हुई सामाजिक क्रांति से भरपूर कई किताबें, भजन संग्रह, कविता संग्रह, नाटक, कहानी संग्रह आदि एमाजोन पर ऑनलाइन पढ़ी जाती हैं। वह वर्तमान में वाराणसी से सच की दस्तक मैग्जीन की न्यूज एडीटर व ‘समाज और हम’ नाम के ब्लॉग की चर्चित ब्लॉगर हैं।इसके साथ ही वह सामाजिक कार्यकर्ता हैं वह हेयर डोनेशन समिति से जुड़ी हुईं हैं और कैंसर पीड़ित को हेयर डोनेशन कर चुकी हैं। उन्होंने एक लिफापा मदद वाला श्लोगन लेकर कई जरूरतमंदों की मदद की और कई बंजारा समाज के जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से जोड़ दिया। उन्होंने स्वंय जाकर उन बच्चों का दाखिला कराया। उन्होंने पॉलिथन रोक व बाजार में खुली बिकने वाली चीजों पर अखबार व बटर पेपर डालकर, बाजार में मुहिम चलाई। उन्होंने सोसलमीडिया फ्रॉड पर, सोसलमीडिया क्राईम पर जनजागरण हेतु अपनी कलम चलाई। आकांक्षा के कार्यों को देखते हुये भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुत्रवधू श्री मती नीरा शास्त्री जी शॉल उड़ाकर सम्मानित कर चुकी हैं। आकांक्षा स्वाभिमानी लेखक हैं। उन्होंने कई मंचों के सम्मान लेने से इसलिये इंकार कर दिया कि वह मंच पैसे लेकर सम्मान बांटते हैं।
आकांक्षा कहतीं हैं कि वो सम्मान क्या लेना जो व्यापार से मिलता है इससे तो एक लाइक कमेन्टस अच्छा जो दिल के मंच से मिलता है। वह सोसलमीडिया पर एक्टिव महिला हैं फेसबुक पर उनके पचास हजार से ज्यादा फोलोवर हैं। इसके अतिरिक्त वह स्क्रीन राईटिंग एसोसिएशन मुम्बई की सदस्य हैं। उनके लिखे गीत दर्दफेहमियां पर एक दर्दफेहमियां नाम शॉर्ट फिल्म भी यूट्यूब पर मौजूद है जिसकी स्क्रिप्ट, डायलॉग, थीम, आकांक्षा सक्सेना ने ही दी है। इसके साथ वह इंडोनेशिया के कुटई कीराजॉन किंग डाॅ. एचसी.एमएसपीए. लानस्याहरीशज़ा की संस्था एडूकेंडा पैरा पाजा की उत्तर प्रदेश की रीजनल प्रैसीडेंट हैं व अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद में बतौर स्वयंसेवक हैं। व संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (यूएनडीईएसए) के सदस्य, डायनेमिक पीस रेस्क्यू मिसाइल इंटरनेशनल (शांति अकादमी) नाइजीरिया की ऑनलाइन सदस्य है।
बता दें कि आकांक्षा सक्सेना वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर हैं। उन्हें यह वर्ल्ड रिकार्ड भी इंडोनेशिया के कुटई कीराजॉन किंग डाॅ. एचसी.एमएसपीए. लानस्याहरीशज़ा का भारत में पहला इंटरव्यू जोकि भारत के पौराणिक द्वापरकालीन इतिहास से जुड़ा है वह इंडोनेशिया से मगध को जोड़ने वाला जरासंध, पुष्पमित्र शुंघ से जुड़ता था जिसे सर्वप्रथम आकांक्षा सक्सेना ने कुटई कीराजॉन किंग के इतिहास को संरक्षित करने का एक सफल प्रयास किया। और उन्हें इतिहास लिखने वाली प्रथम भारतीय महिला ब्लॉगर पत्रकार होने पर बिहार (मगध) वर्ल्ड ऑफ रिकार्ड में भी शामिल कर लिया गया है। इसके अतिरिक्त आकांक्षा सक्सेना को देश विदेश से कई महत्वपूर्ण सम्मान हासिल हैं। आकांक्षा सक्सेना ने कई देशों के लोगों को जोड़कर उनके घरों में तुलसी के पेड़ लगवाकर भारतीय आयुर्विज्ञान और आध्यात्मिक महत्व का प्रचार-प्रसार भी कर चुकी हैं। आकांक्षा सक्सेना के लेख देश विदेश में बड़ी संख्या में प्रकाशित हो चुके हैं जिसमें हाल ही में ईराकी न्यूजपेपर अल-मॉकिफ अल-फोर्थ में आकांक्षा का लेख वी आर ह्यूमन फर्स्ट को बहुत सराहना मिली और यह लेख अमेरिका, अफ्रीका, मिस्र तक की मीडिया में प्रकाशित हुआ। बता दें कि ईराकी आर्टिस्ट सलीम मो. अमिड नेे जब आकांक्षा का मानवता पर प्रकाशित लेख पढ़ा तो वह गदगद हो गया और उन्होंने आकांक्षा से सम्पर्क किया। जब भारतीय लेखक आकांक्षा सक्सेना ने ईराकी आर्टिस्ट से पूछा कि आप एक कलाकार हैं विश्व शांति और मानवता की सेवा और सहयोग की दिशा में भारत सहित विश्व को क्या संदेश देना चाहेगें?
तो इन ईराकी आर्टिस्ट सलीम ने कहा कि ”शांति आपके हाथ में है, हमारे प्रयासों में हैं”। इसके बाद सलीम ने भारत की लेखक व पत्रकार ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना से पूछा कि भारत शब्द की संक्षेप में क्या परिभाषा हो सकती है? तो आकांक्षा सक्सेना ने गर्व से कहा हे! मेरे ईराकी भाई सलीम मो. अमिड जी भारत को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता फिर भी आप पूछते हैं तो यही कहूंगी कि भारत का मतलब है शाश्वत प्रेम। भारत में अनेकों धर्म, अनेकों संस्कृतियां, अनेकों जनजातियां, अनेकों पंथ, अनेको बोलियां, अनेकों भाषाएं, अनेकों विभिन्नताएं एक साथ रहतीं हैं सिर्फ़ प्रेम से। भारत के मूल में प्रेम और मानवता है। हमारे देश का महान गौरवशाली इतिहास रहा है कि भारत ने कभी किसी देश से स्वंय से युद्ध नहीं किया। भारत ने इस भयानक कोरोना काल में विश्व के तमाम देशों में दवा भेजी है और सम्पूर्ण विश्व दवा देने वाले का आदर करता है। यह है हमारा भारतवर्ष। आप भारत आयें और आकर भारत को जियें और महसूस करें। यहां के आर्टिस्ट, महान हैं जो आपको दिलों में स्थान देगें। आपकी बेजोड़ कला का भारत में स्वागत है।
बता दें कि यह ईराकी कलाकार लकड़ी, मोम, तार, तांबे, प्लास्टिक आदि धातुओं पर अपनी कलाकारी के लिए पूरे ईराक में प्रसिद्ध है। उन्होंने अपनी शिक्षा तुर्की में पूरी की और ईराक सहित उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर के करीब 300 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मान व प्रमाणपत्र प्राप्त हैं जिन सम्मान के माध्यम से उन्होंने कई आभासी प्रदर्शनियों में भाग लिया। पेंच और तांबे के तार, कांच और काष्ठ कुछ अन्य शिल्प पर उत्कीर्णन में उन्हें महारथ प्राप्त है।इस आर्ट पर आकांक्षा सक्सेना ने कहा कि यह सिर्फ़ मेरी आर्ट नहीं यह मेरे प्रत्येक भारतीय लेखक का सम्मान है।