कोलकाता। कोलकाता की सड़कों पर दशकों से चल रही पीली एम्बेसडर टैक्सियाँ अब इतिहास का हिस्सा बनने जा रही हैं। 2024 के अंत तक ये टैक्सियाँ सड़कों से गायब हो जाएंगी, जिसके विरोध में आज कोलकाता में इंटक और सेवादल के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए।
1950 के दशक से कोलकाता की सड़कों पर चलने वाली ये पीली टैक्सियाँ शहर की पहचान और आत्मा मानी जाती रही हैं। अपनी मजबूत संरचना और कम रखरखाव के कारण ये टैक्सियाँ स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी एक अहम साधन रही हैं।
पश्चिम बंगाल परिवहन विभाग ने अब वाहनों की उम्र 15 साल तय कर दी है, जिससे इन टैक्सियों की संख्या आधी हो जाएगी।
कानूनी बदलाव से होगा बड़ा असर: जनवरी में ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद 15 साल से पुरानी इन टैक्सियों को हटाना अनिवार्य हो जाएगा, जिसके कारण करीब 4,500 टैक्सियाँ, जो कुल संख्या का आधा हिस्सा हैं, सेवा से बाहर हो जाएंगी।
इसका सीधा असर इन टैक्सी चालकों और उनके परिवारों पर पड़ेगा, क्योंकि उनके पास जीविकोपार्जन का संकट खड़ा हो जाएगा।
टैक्सी चालकों का विरोध: इस फैसले का विरोध करते हुए इंटक और सेवादल के श्रमिक संघ के सदस्यों ने रैली निकाली और सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई। टैक्सी चालकों और उनके परिवारों का कहना है कि यह नियम उनके जीवन और रोजी-रोटी के लिए बड़ा संकट पैदा करेगा।
कोलकाता की पहचान से जुड़े यादें: कोलकाता में पीली टैक्सी न सिर्फ एक परिवहन साधन रही है, बल्कि यह शहर की संस्कृति और पहचान का हिस्सा बन गई है।
दुर्गा पूजा के दौरान पंडालों की सैर हो या पहली डेट की यादें, पीली टैक्सी कोलकाता की हर गली में अपना स्थान रखती है। अब ये टैक्सी सड़कों से गायब होने जा रही हैं, लेकिन इनसे जुड़ी यादें कोलकाता की सड़कों पर हमेशा जिंदा रहेंगी।
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