भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और फिलहाल ये लोकतांत्रिक देश विश्व में अन्य लोकतांत्रिक देशों की तुलना में सबसे ज्यादा इंटरनेट सेवा को बंद करने वाला देश भी बन गया है। अभी तो 2021 की शुरूआत ही हुई है और सरकार ने दिल्ली के बोर्डरों सहित देश के अन्य स्थानों पर 10 बार से ज्यादा इंटरनेट शटडाउन कर दिया है। इंटरनेट, एसएमएस और बाकी अन्य सेवाओँ को दिल्ली और हरियाणा में दो बार 24 घंटे के लिए बंद किया जा चुका है। 6 जनवरी को भी दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बोर्डरों पर इंटरनेट की सेवा को बंद कर दिया गया था। इन तीनों बोर्डरों पर 26 जनवरी की टैक्टर रैली के बाद से ही लगभग इंटरनेट सेवा बंद ही रही है।
जम्मू और कश्मीर में सबसे लंबे समय रहा इंटरनेट शटडाउन : हॉलिवुड पॉप स्टार रिहाना भी भारत सरकार के इस तरह से इंटरनेट सुविधाओं के सस्पेंशन पर सवाल खड़ी कर चुकी हैं. देश में जम्मू और कश्मीर एक ऐसा राज्य है, जहां अभी तक सबसे लंबे समय के लिए इंटरनेट सेवाओं को बंद रखा गया है। देश के इस हिस्से में सरकार ने 552 दिन तक 4G इंटरनेट सेवा को बंद रखा है। आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट सेवा को 5 अगस्त 2019 से बंद कर दिया गया था। जम्मू और कश्मीर के बाद देश में सबसे ज्यादा समय इंटरनेट बंद करने वाले राज्य की सूची में राज्यस्थान का नाम है।
2012 से 2020 के बीच 437 बार रही इंटरनेट सेवा बंद : देश में पिछले 8 सालों में 437 बार इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया हैै। इसमें से बीते 3 सालों में 323 बार इंटरनेट सेवा को बंद किया गया है। 2018 में 134, 2019 में 106 और 2020 में 83 बार इंटरनेट बंद किया गया था।
इंटरनेट सेवा के बंद होने से होता है अर्थव्यवस्था को नुकसान : इंटरनेट सेवा के बंद होने से केवल आमजन को ही परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता बल्कि देश की आर्थिक व्यवस्था को भी इंटरनेट शटडाउन से खासा नुकसान उठाना पड़ता है। 2019 में सरकार ने देशभर में 4,196 घंटों तक इंटरनेट बंद रखा था, जिससे अर्थव्यवस्था को 1.3 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा था। इसी के ही साथ 2020 में 8,927 घंटों तक इंटरनेट बैन रहा था। जिससे सरकार को 2.8 अरब डॉलर यानि लगभग 20,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।