विश्व सभ्यता और संस्कृति को सदियों तक रोशनी देने वाले साहित्यकार हैं प्रेमचंद- प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा
मुंशी प्रेमचंद ने सभी वर्गों के लिए लिखा- डॉ. पाल
उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में मुंशी प्रेमचंद और समकालीन भारतीय समाज विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। संगोष्ठी में डॉ. हरिसिंह पाल, महामंत्री नागरी लिपि परिषद्, दिल्ली, सुवर्णा जाधव, पुणे सहित अनेक वक्ताओं ने विषय के कई पक्षों पर प्रकाश डाला।
मुख्य वक्ता डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने कहा कि प्रेमचंद, विश्व सभ्यता और संस्कृति को सदियों-सदियों तक रोशनी देने वाले साहित्यकार हैं। वे युग परिवर्तनकारी साहित्यकार हैं। प्रेमचंद किसान, स्त्री और शोषित वर्ग के जीवन के यथार्थ चित्रण में भारतीय साहित्य में अद्वितीय दिखाई देते हैं। हाल के दशकों में उभरे कई विमर्शों के मूल सूत्र प्रेमचंद के यहां मौजूद हैं।
अपना मंतव्य देते हुए मुख्य अतिथि डॉ. हरिसिंह पाल, महामंत्री नागरी लिपि परिषद्, दिल्ली ने कहा कि हमारा लेखन कालातीत और प्रेरणादायी होना चाहिए। प्रेमचंद ने धार्मिक पाखंड को तोड़ा है। सुवर्णा जाधव कार्यकारी अध्यक्ष पुणे ने कहा कि, आज भी प्रेमचंद के विचार प्रासंगिक हैं। उन्होंने मानवता का संदेश दिया है। डॉ. प्रभु चौधरी, कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा प्रेमचंद के साहित्य ने भारतीय जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला है।
पदमचंद गांधी ने कहा, मुंशी प्रेमचंद्र का साहित्य भावनाओं और संवेदनाओं से भरपूर है, साथ ही साथ यथार्थ का चित्रण भी है। डॉ. सिंह, यूएसए ने कहा, चेतना के अभाव में हम सामाजिक मूल्यों से दूर हो रहे हैं। बच्चों का निर्माण राष्ट्र समाज के लिए जरूरी है। डॉ. शहनाज शेख, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, प्रेमचंद्र ने किसान जीवन के विविध पहलुओं का वर्णन किया है। डॉ. रश्मि चौबे, राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने संचालन करते हुए कहा, मुंशी प्रेमचंद्र भारत की जड़ों से जुड़े हुए साहित्यकार हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी विद्वानों ने डॉ. प्रभु चौधरी, कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना राष्ट्रीय मुख्य संयोजक सुवर्णा जाधव एवं महासचिव डॉ. शहनाज शेख को जन्म दिवस की बधाइयां दीं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने किया कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. संगीता पाल कच्छ गुजरात की सरस्वती वंदना से हुई। प्रस्तावना डॉ. प्रभु चौधरी, उज्जैन ने व्यक्त की, आभार डॉ. शहेनाज शेख, नांदेड़ ने व्यक्त किया कार्यक्रम में डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, राष्ट्रीय संयोजक, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं डॉ. शहनाज शेख, महाराष्ट्र, सच्चिदानंद, गरिमा प्रसन्न आदि अन्य अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।
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