इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने इजरायल पीएम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंटी जारी किया

अंतरराष्ट्रीय मानवीय मदद को रोकने, मानवता के खिलाफ आपराधिक युद्ध, अन्य अपराधों का आरोप
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट वारंट को अपने 124 सदस्य देशों को भेजेगा, जो केवल सलाह भर होती है, मानने के लिए बाध्य नहीं- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर हर देश के संविधान के अनुसार उनकी न्यायिक प्रणाली होती है, जो एक स्वतंत्र निष्पक्ष व पारदर्शिता पूर्ण निर्णय कर न्याय प्रदान करती है, परंतु बीते कुछ दशकों से हम देख रहे हैं इसमें संसद में कानून बनाकर राजनीतिक हस्तक्षेप का दौर बढ़ता जा रहा है जो हमने इसराइल, पाकिस्तान सहित अनेक देशों में देखे हैं कि किस तरह संवैधानिक संशोधन कर न्यायपालिकाओं के पर कतरे गए हैं, दूसरी ओर 124 देशों की सदस्यता वाली इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी आईसीसी भी है, जिसकी 1 जुलाई 2002 को शुरुआत हुई थी। ये संस्था दुनिया भर में होने वाले वॉर क्राइम नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है। ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए गए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का मुख्यालय द हेग में है। ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं।

आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि गुरुवार दिनांक 21 नवंबर 2024 को देर शाम अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, दोनों नेताओं पर आरोप है कि गाजा के नागरिकों को जानबूझकर भोजन, पानी, बिजली, ईंधन और चिकित्सा आपूर्ति से 8 अक्टूबर 2023 से 20 मई 2024 के बीच वंचित किया गया। मानवीय सहायता को रोकने और इसे बाधित करने का आरोप भी लगाया गया है, इसके अलावा राजनीतिक और राष्ट्रीय आधार पर गाजा के लोगों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करना भी आरोपों में शामिल है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट ने इजरायल पीएम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चर्चा का विषय बना।

साथियों बात अगर हम आईसीसी द्वारा इजरायली पीएम नेतेन्याहु के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने की करें तो, नेतन्याहू और गैलेंट पर मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप लगाया। जिसमें हत्या, उत्पीड़न और अमानवीय कृत्यों की बात कही गई। आरोप है कि आवश्यक आपूर्ति को प्रतिबंधित कर दिया है, जिससे बच्चों की मौत हुई है और कई लोगों को संकट का सामना करना पड़ा है। जानकारी के अनुसार, आरोप में यह कहा गया है कि कोर्ट को यह मानने के लिए उचित आधार भी मिला है कि नेतन्याहू ने जानबूझ कर नागरिकों को निशाना बनाया और जरूरी सहायता रोक दी, जिससे लोगों को भारी पीड़ा उठानी पड़ी, कोर्ट ने कहा, हमने आंकलन किया कि यह मानने के उचित आधार है कि नेतन्याहू और गैलेंट गाजा की नागरिक आबादी के खिलाफ जानबूझकर हमलों को निर्देशित करने के युद्ध अपराध के लिए जिम्मेदार है।

साथियों बात कर हम गिरफ्तारी वारंट के कारणों की करें तो आईसीसी ने इजरायली नेताओं पर मुकदमा चलाने का आधार पर बात करते हुए कहा कि न्यायालय को यह मानने के लिए उचित आधार मिला है कि बेंजामिन नेतन्याहू और योआव गाजा को भुखमरी की ओर ले जाना चाहते हैं, इसलिए इसकी जिम्मेदारी उन पर ही दी जाती है। एक बयान में कहा गया है कि एक प्री-ट्रायल चैंबर ने अदालत के अधिकार क्षेत्र में इजरायल की चुनौतियों को खारिज कर दिया था और बेंजामिन नेतन्याहू और योआव गैलेंट के लिए वारंट जारी किए थे मोहम्मद जईफ के लिए एक वारंट भी जारी किया गया है, हालांकि इजरायली सेना ने कहा है कि वह जुलाई में गाजा में एक हवाई हमले में मारा गया था लेकिन हमास ने अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है। इसमें पाया गया कि इस बात के उचित आधार हैं कि तीनों लोग इजराइल और हमास के बीच युद्ध के दौरान कथित युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए आपराधिक जिम्मेदारी लेते हैं।

आईसीसी के इस निर्णय से नेतन्याहू और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वांछित संदिग्ध बन गए हैं तथा इससे उनके अलग-थलग पड़ने एवं 13 महीने से जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए संघर्ष विराम पर बातचीत करने के प्रयासों में जटिलता आने की आशंका है। हालांकि, इसके व्यावहारिक प्रभाव सीमित हो सकते हैं क्योंकि इजरायल और उसका प्रमुख सहयोगी अमेरिका आईसीसी के सदस्य नहीं हैं। आईसीसी के न्यायधीशों नें कहा कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध के दौरान कथित युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए तीनों लोगों पर आपराधिक जिम्मेदारी होने के उचित आधार थे। इजरायल और हमास दोनों ने आरोपों को खारिज कर दिया है। अब यह आईसीसी के 124 सदस्य देशों पर निर्भर करेगा जिसमें इजरायल या उसका सहयोगी, संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल नहीं है- यह तय करना कि वारंट को लागू करना है या नहीं।

साथियों बात अगर हम गिरफ्तारी वारंटी की स्थिति को समझने की करें तो इजराइल – हमास जंग को 13 महीने हो चुके हैं। 7 अक्टूबर 2023 को इसकी शुरुआत हुई थी। हमास के सैकड़ों आतंकी गाजा पट्टी के रास्ते साउथ इजराइल में घुस गए। अंधाधुंध फायरिंग की।1139 लोगों को मार दिया और 251 लोगों को अगवा करके ले गए। चंद घंटों बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया।इस जंग के शुरू होने के बाद से गाजा में 44 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार, ये गाजा की आबादी का करीब 2 प्रतिशत है। इजराइली सेना के मुताबिक, इनमें 17 से 18 हजार हमास के लड़ाके थे। इजराइल और हमास के बीच शुरू हुई जंग अब बढ़ते-बढ़ते लेबनान और ईरान तक पहुंच गई। जून में जारी यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के अनुसार, गाजा में खाना जुटाना चुनौती बन गया है। यहां के 50 हज़ार बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं। गाजा का हेल्थ सिस्टम ध्वस्त हो चुका है।

साथियों बात अगर हम आईसीसी के फैसले के असर की करें तो, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट वारंट के अपने फैसले को सभी सदस्य देशों को भेजेगी, हालांकि इसका वारंट मेंबर देशों के लिए एक सलाह भर होती है, वो इसे मानने के लिए बाध्य नहीं हैं, इसके पीछे तर्क यह है कि हर देश अपनी आंतरिक और विदेश नीति तय करने के लिए स्वतंत्र होता है। इसी कारण, अन्य इंटरनेशनल संस्थाओं की तरह आईसीसी भी इसे मानती है।रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ भी कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, उन्हें यूक्रेन में नरसंहार के मामलों में दोषी पाया गया था, इसके बावजूद, पुतिन कई देशों की यात्रा कर चुके हैं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने इजरायल पीएम के खिलाफ गिरफ्तारी वारंटी जारी किया- अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मामला चर्चा का विषय बना। अंतरराष्ट्रीय मानवीय मदद को रोकने, मानवता के खिलाफ आपराधिक युद्ध, अन्य अपराधों का आरोप। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट वारंट को अपने 124 सदस्य देशों को भेजेगा, जो केवल सलाह भर होती है, मानने के लिए बाध्य नहीं है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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