मादक पदार्थों के सेवन से मानवीय जीव शारीरिक मानसिक आर्थिक व नैतिक हानि का शिकार हो जाता है
तमिलनाडु में नशाखोरी के दुष्परिणामों की त्रासदी के मंजर को रेखांकित करना होगा, जहां 58 मौतों व सैकड़ो की हालत गंभीर बनी हुई है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर नशाखोरी जिसमें इसके अनेक किस्म व प्रकार हैं, इससे सारी दुनियां का हर देश पीड़ित है जो अपने-अपने स्तर पर रणनीतिक कानून नियम विनियम बनाकर निपटने की पूरी-पूरी कोशिश करते रहे हैं। नशे को जड़ से समाप्त करने के लिए सबसे अधिक जरूरत मानवीय जीव को जन जागृत करने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 26 जून को अंतर्राष्ट्रीयनशा निरोधक दिवस घोषित किया है, जो पूरी दुनियां में अपने-अपने तरीके से नशे को समाप्त करने जन जागरण शिविर चलाकर मनाया जाता है। भारत में तो 272 जिलों को चिन्हित कर 2020 से ही नशे के खिलाफ सतत अभियान चलाया जाता है, परंतु उसके बाद भी अभी तीन चार दिन पूर्व तमिलनाडु के कल्लाकुरिची करुणपुरम इलाके में अवैध शराब सेवन से 58 लोगों की मौत व 156 से अधिक लोगों की हालत गंभीर है, जिसको रेखांकित करना जरूरी है, क्योंकि 272 चिन्हित जिलों निराशा निरोधक के लिए सतत अभियान चलाने के बाद भी ऐसी जघन्य घटनाएं होती है तो गंभीर बात है।
मेरा मानना है कि ऐसी विभीषण अवैध शराब सेवन से मृत्यु की जवाबदेही स्थानीय नारकोटिक्स विभाग व पुलिस की है, क्योंकि मेरा मानना है कि अवैध शराब भट्टी सेटिंग के बिना नहीं चल सकती। मैं अपनी राईस सिटी गोंदिया में भी कुछ जानकारी के माध्यम से सटीकता से पाया हूं कि अवैध शराब का धंधा सेटिंग से ही होता है। मैंने ऐसे दो व्यक्तियों से बातचीत की जिन्होंने अब अवैध शराब का धंधा छोड़ दिया है, व दूसरे व्यवसाय कर रहे हैं मेरा मानना है कि यह स्थिति भारत के हर जिले में होगी जिसका संज्ञान लेकर केंद्र व राज्य सरकार आपसी सहयोग से सख्त बुलडोजर रूपी कार्रवाई करेंगे तो तमिलनाडु शराब कांड जैसी जाघ्यन्य घटनाएं दोबारा नहीं होगी। हालांकि यह अलग बात है कि इसके पूर्व भी ऐसी घटना हुई थी व अनेकों लोग मारे गए थे। चूंकि आज 26 जून 2024 को अंतर्राष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, मादक पदार्थों के सेवन से मानवीय जीव शारीरिक मानसिक आर्थिक व नैतिक हानि का शिकार हो जाता है।
साथियों बात अगर हम 26 जून 2024 को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाने की करे तो हर वर्ष 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है। नशीली वस्तुओं और पदार्थों के निवारण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर 1987 को यह प्रस्ताव पारित किया था और तभी से हर साल लोगों को नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इसे मनाया जाता है। नशा, एक ऐसी बीमारी है जो कि युवा पीढ़ी को लगातार अपनी चपेट में लेकर उसे कई तरह से बीमार कर रही है। शराब, सिगरेट, तम्बाकू एवं ड्रग्स जैसे जहरीले पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा नशे का शिकार हो रहा है।
आज फुटपाथ और रेलवे प्लेटफार्म पर रहने वाले बच्चे भी नशे की चपेट में आ चुके हैं। लोग सोचते हैं कि वो बच्चें कैसे नशा कर सकते है जिनके पास खाने को भी पैसा नहीं होता। परंतु नशा करने के लिए सिर्फ मादक पदार्थो की ही जरुरत नहीं होती बल्कि नेल पॉलिश, पेट्रोल आदि की गंध, ब्रेड के साथ विक्स और झंडु बाम का सेवन करना, कुछ इस प्रकार के नशे भी किए जाते हैं, जो बेहद खतरनाक होते हैं। नशे की लत ने इंसान को उस स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है कि अब व्यक्ति मादक पदार्थों के सेवन के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। वह नशे के लिए जुर्म भी कर सकता है। नशे के मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं है। महिलाओं द्वारा भी मादक पदार्थों का बहुत अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है। व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में तनाव, प्रेम संबंध, दांपत्य जीवन व तलाक आदि कारण, महिलाओं में नशे की बढ़ती लत के लिए जिम्मेदार है।
नशे से हानियां : (1) मादक पदार्थों के सेवन से सबसे बड़ी हानि, स्वास्थ्य की हानि है। इससे आपके शरीर के कई अंगों पर एक साथ विपरीत असर पड़ता है। खास तौर से यह आपके दिमाग को भी अपनी चपेट में ले लेता है।
(2) नशा करने वाला व्यक्ति हमेशा चिढ़ा हुआ और मानसिक तनाव से ग्रसित होता है।
(3) नशा करने वाला व्यक्ति सदैव अपने ख्यालों में ही रहता है, उसे अपने आस-पास के माहौल से ज्यादा मतलब नहीं होता है।
(4) नशा करने वाला व्यक्ति आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक सभी से कमजोर होता है।
(5) नशा करने वाला व्यक्ति अपने समाज एवं परिवार से बिलकुल दूर हो जाता है।
(6) नशा करने वाला व्यक्ति सबसे ज्यादा दुर्घटनाओं का शिकार होता है। यह जरुरी नहीं है कि नशा सिर्फ मादक पदार्थों का सेवन कर ही किया जाए, नशा किसी भी प्रकार का हो सकता है।
केवल आपकी जानकारी के लिए जानिए नशे के विभिन्न प्रकार
(1) मादक पदार्थों का सेवन – मादक पदार्थों के सेवन में शराब, सिगरेट, ड्रग्स, हेरोइन, गांजा, भांग आदि शामिल हैं।
(2) अन्य – शोधकर्ताओं के अनुसार हर वह चीज जो आपको जिसकी आपको लत लग जाए, नशे की श्रेणी में ही आता है। ऐसी ही कुछ आदतें हैं जिन्हें छोड़ना बेहद मुश्किल होता है जैसे – मादक पदार्थों के अलावा चाय, काफी, वर्तमान समय के नवीन यंत्र जैसे – विडियो गेम्स, स्मार्ट फोन, फेसबुक आदि का ज्यादा मात्रा में उपयोग भी नशे की श्रेणी में आते है।
साथियों बात कर हम तमिलनाडु में अवैध शराब सेवन कांड की करें तो, तमिलनाडु के कल्लाकुरिची करुणापुरम इलाके में अवैध शराब के सेवन से बीमार होने वाले लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अवैध शराब के सेवन के चलते 24 जून दोपहर 12 बजे तक 58 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 156 लोगों की हालत गंभीर है, उनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है. इस त्रासदी के कारण जहां दिन-ब-दिन बढ़ती मौतों की खबर ने सभी को काफी दुखी कर दिया है।जहरीली शराब के कारण इलाके की 44 महिलाओं ने अपने पतियों को खो दिया है। यह जानकारी समाज कल्याण एवं महिला अधिकार विभाग की ओर से 23 जून तक कराए गए सर्वे में सामने आई है। इस जहरीली शराब ने उन 44 परिवारों की जड़ें पूरी तरह से हिलाकर रख दी हैं,जो पति-पत्नी और बच्चों के रूप में हंसी-खुशी रह रहे थे, उनमें से 20 से 40 साल की उम्र की 19 महिलाएं, 40 साल से अधिक उम्र की 24 महिलाएं और 11 महीने के शिशु वाली एक महिला ने अपने पति को खो दिया। जब एक टीवी चैनल के ग्राउंड रिपोर्टिंग में संवाददाता ने कल्लाकुरिची में एक इलाके का निरीक्षण किया तो वे दंग रह गये। उन्होंने एक बेबस महिला को देखा जिसने अभी-अभी अपने पति को खोया है। संवाददाता ने देखा कि महिला अपने बच्चे को गोद में लिए काफी रोए जा रही थी। महिला ने संवाददाता से कहा कि पति की जहरीली शराब पीने के कारण मौत हो गई है, अभी तो वे जवान ही थे। महिला की बात सुनकर संवाददाता ने उसे धैर्य दिया और सरकार से महिला की मदद करने की अपील की।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा तंबाकू मुक्त शिक्षा संस्थान अभियान की करें तो भारत में तम्बाकू के उपयोग से बहुत से रोग पैदा होते हैं और इसके इस्तेमाल से व्यक्ति मृत्यु की कगार तक पहुंच सकता है। देश में हर साल लगभग 1.35 मिलियन मौतें तम्बाकू के कारण होती हैं। भारत तम्बाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक भी है। ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (जीवाईटीएस) 2019 के अनुसार, देश भर में 13 से 15 वर्ष की आयु के 8.5 प्रतिशत स्कूली छात्र विभिन्न रूपों में तम्बाकू का सेवन करते पाये गये हैं। हमारे स्कूल भवनों और परिसरों के आसपास तम्बाकू उत्पादों की विभिन्न रूपों में आसान पहुँच को उपरोक्त स्थिति पैदा करने वाले प्रमुख कारकों में से एक माना जाता है। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंग के रूप में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने नाबालिगों और युवाओं को तम्बाकू के सेवन से बचाने के लिए शिक्षा संस्थानों को तम्बाकू रहित बनाने के लिए तम्बाकू मुक्त शिक्षा संस्थान दिशानिर्देश जारी किए हैं। तम्बाकू मुक्त शिक्षा संस्थानों के मिशन को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूलों और आस-पास के क्षेत्र में निम्नलिखित गतिविधियां शुरू करने की सलाह दी है। इस संबंध में तम्बाकू मुक्त शिक्षा संस्थान कार्यान्वयन मैनुअल के अनुसार तम्बाकू मुक्त शिक्षा संस्थानों के दिशानिर्देशों का उचित तरीके से अनुपालन करने के लिए एक विस्तृत सलाह जारी की गई है। शिक्षा संस्थान के परिसर में अधिकृत व्यक्ति के आदेश के उल्लेख के साथ तम्बाकू मुक्त क्षेत्र का साइनेज प्रदर्शित करें।
शिक्षा संस्थान के प्रवेश द्वार/चहार-दीवारी पर अधिकृत व्यक्ति के आदेश के उल्लेख के साथ तम्बाकू मुक्त शिक्षा संस्थान का साइनेज प्रदर्शित करें। परिसर के अंदर सिगरेट/बीड़ी के टुकड़े या फेंके गए गुटखा/तम्बाकू पाउच, थूकने के स्थान जैसे तम्बाकू के उपयोग का कोई सबूत नहीं होना चाहिए। शिक्षा संस्थान के परिसर में तम्बाकू के नुकसान पर पोस्टर और अन्य जागरूकता सामग्री प्रदर्शित करना। शिक्षा संस्थानों में हर छह महीने में कम से कम एक तम्बाकू नियंत्रण गतिविधि का आयोजन करना। तम्बाकू मॉनिटर का नामांकन और उनके नाम, पदनाम और संपर्क नंबर साइनेज पर दर्शाए जाने चाहिए। शिक्षा संस्थानों की आचार संहिता में तम्बाकू उपयोग न करने संबंधी दिशा-निर्देशों को शामिल करना। शिक्षा संस्थान की चहार-दीवारी/बाड़ की बाहरी सीमा से 100 गज के क्षेत्र को चिह्नित करना। शिक्षा संस्थान के 100 गज के भीतर की दुकानों में किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पाद नहीं बेचे जाएंगे। तम्बाकू मुक्त शिक्षा संस्थान के कार्यान्वयन मैनुअल के अनुलग्नक-III के अनुसार तम्बाकू के उपयोग के खिलाफ शपथ ली जाए।इसके अलावा उन्होंने नुक्कड़ नाटकों, वीडियो फिल्मों, गैर सरकारी संगठनों, संसाधन व्यक्तियों आदि द्वारा वार्ता के माध्यम से नशामुक्ति पर जागरूकता संदेश फैलाने में नागरिक समाज की भूमिका पर भी जोर दिया। तदनुसार, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई कि वे स्कूल प्रबंधन समिति की बैठकों, राष्ट्रीय सामाजिक सेवा और विद्यांजलि-स्कूल स्वयंसेवी पहल के माध्यम से संसाधन व्यक्तियों, इस क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को शामिल करें, ताकि छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और शिक्षण संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों सहित सभी हितधारकों को शामिल करते हुए तम्बाकू की रोकथाम और उपभोग के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके।
साथियों बात अगर हम भारत के 272 जिलों में 2020 से जारी नशा मुक्त भारत अभियान की करें तो, मंत्रालय द्वारा देश भर में नशा मुक्त भारत अभियान नाम से एक राष्ट्रव्यापी नशा विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) 15 अगस्त 2020 को 272 चिन्हित जिलों में शुरू किया गया था। जिसका उद्देश्य युवाओं में मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना था। जिसमें उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों, स्कूलों पर विशेष ध्यान दिया गया और समुदाय तक पहुँच कर अभियान में सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व प्राप्त करना शामिल था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस 26 जून 2024- तंबाकू मुक्त शिक्षा संस्थान अभियान शुरू मादक पदार्थों के सेवन से मानवीय जीव शारीरिक, मानसिक आर्थिक व नैतिक हानि का शिकार हो जाता है। तमिलनाडु में नशाखोरी के दुष्परिणामों की त्रासदी के मंजर को रेखांकित करना होगा, जहां 58 मौतों व सैकड़ो की हालत गंभीर बनी हुई है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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