दिशा निर्देशों में लापरवाही की कार्यवाही के साथ किशोर न्याय अधिनियम 2015 पॉक्सो (संशोधन) अधिनियम 2019 की धाराओं में भी स्कूल प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जा सकता है
स्कूल प्रबंधन, प्रधानाचार्य, प्रभारी प्रमुखों तथा शिक्षकों द्वारा स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा में लापरवाही के प्रति जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर ज़ोर देना समय की मांग- एड. के.एस. भावनानी
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां में किसी भी देश के विकास का दरवाजा शिक्षा रुपी चाबी से ही खुलता है, क्योंकि शिक्षा ग्रहण कर छात्र वैज्ञानिक डॉक्टर इंजीनियर प्रौद्योगिकी मास्टर से लेकर कौशलता विशेषज्ञ तक बनते हैं, जिनके सहयोग से एक बुद्धिजीवी वर्ग तैयार होता है और नए-नए अविष्कार होते हैं, व्यापार व्यवसाय फलता फूलता है और देश तेजी से विकास की ओर बढ़कर विकसित देश बनता है। यही प्रक्रिया हमारे भारत देश में भी जारी है जिसकी सीढ़ी पर चढ़कर हम विजन 2047@ विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं। परंतु कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि इस सीढ़ी के प्रमुख पहिए शिक्षा क्षेत्र में अनेक बाधाएं आ रही है जैसे पेपर लीक मामले, कोलकाता आर.जी. कर कॉलेज में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से रेप और हत्या कांड व बदलापुर महाराष्ट्र के मामले अभी सामने आए हैं और पूरे देश में ऐसे अनेकों मामले होंगे जो जानकारी में नहीं आए हैं, परंतु एक मीडिया की रिपोर्ट में आया है कि महाराष्ट्र में भी 72 घंटे में 11 कैसे आए हैं, उनमें स्कूलों का भी मामला हैं, यानें करीब करीब अनेकों मामले शिक्षा के पावन मंदिर स्कूल, कॉलेज में से जुड़े हैं।सबसे शर्मनाक बात यह है कि स्कूलों में ऐसी छेड़खानी व गलत हरकतों के मामले बहुत आ रहे हैं।
हालांकि इसके पूर्व भी ऐसे अनेकों मामले आते रहे हैं जिस पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 1 अक्टूबर 2021 को जॉइंट सेक्रेटरी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 91 पेज का स्कूल सुरक्षा और संहिता दिशा निर्देश 2021 जारी किया था। जिसका सख़्ती से पालन जरूरी है, इसी कड़ी में फिर दोबारा दिनांक 23 अगस्त 2024 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा इसे सख़्ती के साथ पालन करने का निर्देश सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किया गया है। मेरा मानना है कि पूरे देश में जिला प्रशासन व कलेक्टर द्वारा अपने कार्यक्षेत्र के स्कूलों का औचक निरीक्षण करना चाहिए, ताकि सभी नियमों विन्यमों कानूनों का पालन सख़्ती से हो सके जिसमें खामी पाए जाने पर प्रधानाध्यापक, प्रभारी तथा शिक्षकों को सस्पेंड व स्कूल के मैनेजमेंट पर भी जवाबदेही की कार्रवाई कर उन पर किशोर न्याय अधिनियम 2015 वपॉक्सो (संशोधन) अधिनियम 2019 की धाराओं में कार्रवाई करना समय की मांग है। चूंकि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का निर्देश है कि सभी राज्यों के स्कूलों में सुरक्षा और संरक्षा दिशानिर्देश 2021 लागू करें, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, स्कूल प्रबंधन, प्रधानाचार्य, विभाग प्रमुखों, शिक्षकों के द्वारा स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा व संरक्षा में लापरवाही के प्रति जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर ज़ोर देना समय की मांग है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 23 अगस्त 2024 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश की करें तो, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूल सुरक्षा और सुरक्षा दिशा निर्देश- 2021 लागू करने का निर्देश दिया है।मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम दिशा निर्देशों के अनुरूप विकसित किए गए थे। प्रक्रियाओं, जवाबदेही को मजबूत करने और छात्रों की सुरक्षा के लिए, रिट याचिका (आपराधिक) संख्या 136/ 2017और रिट याचिका (सिविल) संख्या 874/2017 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल सुरक्षा और संरक्षा के बारे में दिशा निर्देश 2021 विकसित किए हैं, जो पॉक्सो दिशा निर्देशों के अनुरूप हैं। इन दिशा निर्देशों में अन्य बातों के साथ-साथ सरकारी, गैर सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा के मामले में स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही तय करने का प्रावधान हैं। इसके अलावा, ये दिशा निर्देश निवारक शिक्षा, विभिन्न हितधारकों की जवाबदेही, रिपोर्टिंग प्रक्रिया संबंधित कानूनी प्रावधानों, सहायता और परामर्श तथा सुरक्षित माहौल के बारे में उपाय प्रदान करते हैं। ये दिशा निर्देश पहुंच, समावेशिता और सकारात्मक शिक्षण परिणामों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन दिशा निर्देशों का उद्देश्य इस प्रकार है :
(1) बच्चों के समग्र विकास के लिए एक सुरक्षित और संरक्षित स्कूली माहौल के सह-निर्माण की आवश्यकता के बारे में छात्रों और अभिभावकों सहित सभी हितधारकों के बीच समझ पैदा करना।
(2) सुरक्षा और संरक्षाके विभिन्न पहलुओं अर्थात भौतिक, सामाजिक भावनात्मक संज्ञानात्मक और प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर पहले से उपलब्ध अधिनियमों नीतियों, प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों के बारे में विभिन्न हितधारकों को जागरूक करना।
(3) विभिन्न हितधारकों को सशक्त बनाना तथा इन दिशा निर्देशों के कार्यान्वयन में उनकी भूमिका को स्पष्ट करना।
(4) स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए (जिसमें बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने, स्कूल जाने या स्कूल परिवहन में उनके घर वापस जाने के दौरान सुरक्षा भी शामिल है) निजी/गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में स्कूल प्रबंधन और प्रधानाचार्यों तथा शिक्षकों पर तथा सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के मामले में स्कूल के प्रमुख/प्रभारी प्रमुख, शिक्षकों और शिक्षा प्रशासन की जवाबदेही तय करना।
(5) इसका मुख्य उद्देश्य स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा के मामले में किसी भी व्यक्ति या प्रबंधन की ओर से किसी भी प्रकार की लापरवाही के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ पर जोर देना है।
साथियों बात अगर हम 1अक्टूबर 2021 को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी स्कूलों के बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा दिशा निर्देश 2021 की करें तो, इन निर्देशों का पालन न करने पर जुर्माना लग सकता है। यहां तक कि स्कूलों की मान्यता भी छीन ली जा सकती है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक विशेषज्ञ समिति द्वारा स्कूल सेफ्टी एंड सिक्योरिटी पर दिशा निर्देश तैयार किए गए थे। यह आदेश 2017 में गुड़गांव के इंटरनेशनल स्कूल में मारे गए एक छात्र के पिता द्वारा दायर एक रिटयाचिका के जवाब में आया था, जिसमें स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूल मैनेजमेंट की जवाबदेही तय करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग की गई थी। शिक्षा मंत्रालय का निर्देश : बच्चों की सुरक्षा संबंधी स्कूलों की जिम्मेदारी से जुड़ी नई गाइड लाइन्स जारी, इसे स्कूल सेफ्टी रूल्स के अलावा लागू किया जाएगा बच्चों की सुरक्षा संबंधी स्कूलों की जिम्मेदारी से जुड़ी नई गाइडलाइन्स जारी, इसे स्कूल सेफ्टी रूल्स के अलावा लागू किया जाएगा। केंद्र सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूलों की जवाबदेही तय करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों का पालन न करने पर जुर्माना लग सकता है। यहां तक कि स्कूलों की मान्यता भी छीन ली जा सकती है।
शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ 1 अक्टूबर को शेयर किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि स्कूल मैनेजमेंट, प्रिंसिपल या स्कूल प्रमुख के पास स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। पेरेंट्स यह निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि क्या स्कूल अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। इसमें कहा गया है कि “जब बच्चा स्कूल में होता है, तो स्कूल का बच्चे पर नियंत्रण होता है। स्कूल जानबूझकर बच्चे की उपेक्षा करता है, तो वह गैर जरूरी मानसिक या शारीरिक पीड़ा का कारण बन सकता है। इसे किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के उल्लंघन के रूप में माना जा सकता है। दिशा निर्देशों में लापरवाही की 11 कैटेगरी की पहचान की गई। इन दिशा निर्देशों को पहले से मौजूद सभी स्कूल सेफ्टी गाइडलाइन्स के अतिरिक्त लागू किया जाएगा। इसके अंतर्गत दिशा निर्देशों में लापरवाही की 11 कैटेगरी की पहचान की गई। इसके लिए स्कूल प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
(1) इसमें सुरक्षित बुनियादी ढांचे की स्थापना में लापरवाही।
(2) सुरक्षा उपायों से संबंधित लापरवाही।
(3) परिसर में उपलब्ध कराए जाने वाले भोजन और पानी के स्तर में लापरवाही।
(4) छात्रों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने में देरी।
(5) एक छात्र द्वारा रिपोर्ट की गई शिकायत के खिलाफ कार्रवाई में लापरवाही।
(6) मानसिक भावनात्मक उत्पीड़न, बदमाशी को रोकने में लापरवाही। भेद भावपूर्ण कार्रवाई।
(7) स्कूल परिसर में मादक द्रव्यों का सेवन।
(8)आपदा या अपराध के समय निष्क्रियता सहित सजा।
(9) कोविड -19 दिशानिर्देशों के सख्त पालन में लापरवाही जो छात्रों की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
(10) इसके साथ ही दिशा निर्देशों में किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण की रोकथाम, या पीओसीएसओ (संशोधन) विधेयक, 2019 की विभिन्न धाराएं भीनिर्धारित की गई हैं।
इसके तहत स्कूल प्रशासन को उपरोक्त लापरवाही के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है। यदि ये पाया जाता है कि स्कूल ने सुरक्षा दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया है, तो पिछले वर्ष में अर्जित कुल राजस्व के 1 प्रतिशत के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा दिशा निर्देशों में कहा गया है कि गैर-अनुपालन की दूसरी और तीसरी शिकायतों के मामले में जुर्माना 3 प्रतिशत और 5 प्रतिशत तक बढ़ सकता है और यहां तक कि स्कूलों को प्रवेश लेने से भी रोका जा सकता है। केंद्र ने बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूलों की जवाबदेही तय करने के लिए नई गाइड लाइन जारी की हैं। गाइड लाइन का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। यहां तक कि स्कूलों की मान्यता भी रद्द हो सकती है। कहा गया है कि स्कूलों को एक सुरक्षित बुनियादी ढांचा देने, समय पर चिकित्सा सहायता मुहैया कराने, छात्रों द्वारा रिपोर्ट की गई शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने, डराने-धमकाने की रोकथाम करने, शारीरिक दंड भेदभाव और मादक पदार्थों के सेवन का उपयोग रोकने और कोविड-19 दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन कराना होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक विशेषज्ञ समिति द्वारा स्कूल सुरक्षा और सुरक्षा पर दिशा निर्देश तैयार किए गए थे।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का निर्देश सभी राज्यों के स्कूलों में सुरक्षा और संरक्षा दिशा निर्देश 2021 लागू करें। दिशा निर्देशों में लापरवाही की कार्यवाही के साथ किशोर न्याय अधिनियम 2015 पॉक्सो (संशोधन) अधिनियम 2019 की धाराओं में भी स्कूल प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जा सकता है। स्कूल प्रबंधन प्रधानाचार्य प्रभारी प्रमुखों तथा शिक्षकों द्वारा स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा में लापरवाही के प्रति जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर ज़ोर देना समय की मांग है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।