भारत-कनाडा संबंध अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंचे?
भारत-कनाडा की लंबे समय से आंख मिचौनी चल रही है, परंतु अब भारत का दुनिया में कद रुतबा व प्रतिष्ठा है कि एक्शन पर त्वरित रिएक्शन होता है- एड. के.एस. भावनानी
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर यह सर्वविदित है के दुनिया में भारत का कद रुतबा व प्रतिष्ठा बहुत अधिक बढ़ गई है। यहाँ तक कि, अब विकसित देश अनेक अंतरराष्ट्रीय मामलों में किसी भी तरह का हस्तक्षेप कार्रवाई या कोई निर्णय लेते समय भारत का साथ और सहमति लेना जरूरी समझते हैं, क्योंकि अब भारत का दुनिया के हर विकसित देश के साथ करीब हर क्षेत्र में सामायिक सामरिक व रणनीतिक सहभागिता है। आज दुनिया भारत की शक्ति बौद्धिक क्षमता जनसंख्यकीय तंत्र युवा भारत और विजन 2047 के रूप में देख रहा है। दुनिया समझती है कि अब लद गए वो दिन जब भारत कोई भी अंतरराष्ट्रीय कदम या काम डरकर पूछकर उठता था। अब भारत इस स्थिति में आ गया है की एक्शन पर तुरंत रिएक्शन होता है, एयर स्ट्राइक होती है।
आज हम इस विषय पर इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि दिनांक 14 अक्टूबर 2024 को देर शाम भारत ने दो बड़े फैसले लिए पहला कनाडा से अपने राजनयिकों को वापस बुलाने और दूसरा कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित किया, जिन्हें 19 अक्टूबर 2024 को 11.59 पर देश छोड़ना होगा। यह है भारत का दाम! कनाडा जैसे विकसित देश व पश्चिम एशिया का सहयोग एवं रुतबा रखने वाले देश की आंखों में आंखें डालकर त्वरित एक्शन पर रिएक्शन कर दिया है। वैसे तो कनाडा व भारत की आंख मिचौनी 1985 से चल रही है जब 23 जून 1985 को 86 बच्चों सहित 329 यात्रियों से भरे विमान में धमाका हुआ था और सब कुछ खत्म हो गया था।आरोप कनाडा में बैठे संगठन पर लगा जो कि ऑपरेशन ब्लू स्टार का जवाब समझा गया था, परंतु कनाडा ने कुछ नहीं किया! इस मामले को अनदेखा किया जिसे पूरी दुनिया ने देखा था। चूंकि भारत कनाडा संबंध अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंचे है? इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे। भारत का कनाडा के एक्शन पर त्वरित रिएक्शन, नया भारत तत्काल प्रतिक्रिया देना जानता है।
साथियों बात अगर हम भारत कनाडा मामले में एक्शन पर रिएक्शन की करें तो, कनाडा से रिश्तों में तनाव के बीच भारत ने सोमवार,14 अक्टूबर को कार्यकारी हाई कमिश्नर स्टीवर्ट रॉस व्हीलर समेत 6 कनाडाई डिप्लोमैट्स को देश से निष्कासित कर दिया। उन्हें 19 अक्टूबर की रात11.59 बजे तक का समय दिया है। उधर, रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा ने भी भारत के 6 डिप्लोमैट्स को देश छोड़कर जाने के लिए कहा है।
भारत-कनाडा ने एक-दूसरे के 6-6 डिप्लोमैट्स निकाले : भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने राजदूत को कनाडा से बुलाया, कहा- वहां उनकी सुरक्षा का भरोसा नहीं। कनाडा के राजदूत स्टूअर्ट व्हीलर ने विदेश मंत्रालय से बाहर आकर मीडिया से बात की, दरअसल, यह कार्रवाई ट्रूडो सरकार की रविवार को भेजी एक चिट्ठी के बाद हुई। इसमें भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया था। हालांकि कनाडाई नागरिक की जानकारी नहीं दी, लेकिन इसे खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके एक दिन बाद भारत ने आज शाम 6 बजे सख्त रुख अपनाया और कनाडाई राजदूत को तलब कर कहा, कनाडा ने जो आरोप लगाए हैं, वह आधारहीन हैं। इसके बाद भारत ने कनाडा में अपने हाई कमिश्नर अन्य डिप्लोमैट्स वापस बुलाने की जानकारी दी। विदेश मंत्रालय ने कहा- आरोप बेतुके भारत में कनाडा के डिप्टी हाई-कमिश्नर स्टूअर्ट व्हीलर ने विदेश मंत्रालय से बाहर निकलने के बाद कहा, कनाडा की सरकार ने वो कर दिया है जिसकी मांग भारत लंबे समय से कर रहा था।
हमने कनाडा की जमीन पर कनाडा नागरिक की हत्या में भारत के एजेंट्स के शामिल होने से संबंधित पुख्ता सबूत मुहैया करवाए हैं। अब देखना होगा कि भारत इन आरोपों पर क्या कार्रवाई करता है। यह दोनों देशों के हित में है। कनाडा सहयोग के लिए तैयार है।विदेश मंत्रालय ने कहा, हमें कनाडा की सरकार पर भरोसा नहीं है कि वह हाई कमिश्नर को सुरक्षा दे पाएंगे। भारत इन बेतुके आरोपों को सिरे से खारिज करता है। इसके पीछे ट्रूडो सरकार का पॉलिटिकल एजेंडा है, जो कि वोट बैंक से प्रेरित है। कनाडा लंबे समय से ऐसा करते आ रहा है। उनकी कैबिनेट में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जो भारत के खिलाफ चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से जुड़े हुए हैं। ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे। हालांकि, कनाडा सरकार ने कई बार कहने के बावजूद भारत सरकार के साथ एक भी सबूत साझा नहीं किया है। यह नया आरोप भी ऐसे ही लगाया गया है।
साथियों बात अगर हम इस मामले में कनाडा सरकार की मजबूरी की करें तो, ट्रूडो के लिए निज्जर का मुद्दा अहम क्यों? कनाडा में अक्टूबर 2025 में संसदीय चुनाव हैं। खालिस्तान समर्थकों को पीएम की पार्टी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। हालांकि पिछले महीने ही ट्रूडो सरकार में शामिल खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की एनडीपी पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था। 2021 की जनगणना के मुताबिक कनाडा की कुल आबादी 3.89 करोड़ है। इनमें 18 लाख भारतीय हैं। ये कनाडा की कुल आबादी का 5 प्रतिशत हैं। इनमें से 7 लाख से अधिक सिख है, जो कुल आबादी का 2 प्रतिशत हैं।
साथियों बात अगर हम भारत कनाडा के लंबे समय से चल रही आंख मिचौनी की करें तो जो कुछ मामलों में विभाजित की गई है।
(1) यह साल 1985 की बात है, 23 जून 1985 को कनिष्क विमान में सवार 86 बच्चों समेत 329 लोगों को अंदाजा तक नहीं था कि वह जीवन के अंतिम सफर पर निकल पड़े हैं, अचानक विमान में एक धमाका हुआ और सब कुछ खत्म हो गया। आरोप खालिस्तानी आतंकवादियों पर लगे और इसे ऑपरेशन ब्लू स्टार का जवाब माना गया, मगर मानव अधिकारों का ढिंढोरा पीटने वाला कनाडा अब तक इस घटना में न तो किसी आरोपी को सजा दिलवा सका और न ही इसकी जांच पूरी कर सका।भारत की तत्कालीन पीएम ने इस तरह के आतंकवादी खतरे की चेतावनी कनाडा के तत्कालीन पीएम और जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो को खुद भी दी थी। मगर उन्होंने इस मामले को अनदेखा किया और इसका नतीजा पूरी दुनिया ने देखा।
(2) ये दौर पंजाब में खालिस्तान को लेकर बढ़ती आतंकवादी घटनाओं का था। कनाडा इसे बढ़ावा दे रहा था। पड़ोसी इसके पीछे था। भारत कनाडा को इस मामले से दूर रहने और उसकी अखंडता का सम्मान करने को कह रहा था, मगर कनाडा अपने ही अहंकार में मस्त था। धीरे-धीरे भारत में खालिस्तान की मांग दम तोड़ती गई और ये कनाडा और पाकिस्तान जैसे कुछ देशों में भगोड़ों और अपराधियों के हित साधना का मंत्र बन गई।
(3) फिर आया 2023, इसी साल मार्च में, कनाडा में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के बाहर खालिस्तान समर्थकों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते भारत ने कनाडाई उच्चायुक्त को तलब किया था, उसी वक्त भारत के पंजाब में भी खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही थी, उस वक्त विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि कनाडा सरकार से उम्मीद है कि हमारे राजनयिकों तथा राजनयिक परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे लगभग दो माह के बाद भारतीय विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने ब्रैम्पटन में आयोजित एक ऐसी रैली को लेकर कनाडा सरकार पर वार किया, जिसमें भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाता एक बैनर प्रदर्शित किया गया था, डॉ. जयशंकर ने संकेत दिया था कि कनाडा सरकार द्वारा अलगाववादियों के ख़िलाफ कार्रवाई नहीं करने के पीछे वोट बैंक की राजनीति हो सकती है। उन्होंने कहा था, मुझे लगता है एक छिपी वजह है, जिसके चलते अलगाववादियों, चरमपंथियों, हिंसा की वकालत करने वाले लोगों को जगह दी जाती है और मुझे लगता है कि यह रिश्तों के लिए और कनाडा के लिए भी अच्छा नहीं है।
(4) खालिस्तानी आतंकवादी, निज्जर की 18 जून, 2023 को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में एक गुरुद्वारे के पार्किंग एरिया में कुछ नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। निज्जर की हत्या के कुछ हफ़्ते बाद एक खालिस्तानी संगठन ने हत्या के लिए कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और महावाणिज्यदूत को ज़िम्मेदार ठहराने वाले पोस्टर जारी किए थे, दोनों राजनयिकों को हत्या के लिए उत्तरदायी ठहराने वाले इन पर्चों में 8 जुलाई को टोरंटो में एक रैली की भी घोषणा की गई थी, इसकी वजह से भारत ने कनाडाई अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया भी था, उस वक्त कनाडा ने भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया था और जारी किए गए ‘प्रचार संबंधी पर्चों को अस्वीकार्य करार दिया था।
(5) नई दिल्ली में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी भारत ने साफ संकेत दिए थे कि कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों के ख़िलाफ कनाडा की प्रतिक्रिया से भारत असंतुष्ट है। शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक के दौरान पीएम ने कनाडा में चरमपंथियों की भारत-विरोधी गतिविधियां जारी रहने को लेकर भारत की चिंताओं के बारे में जस्टिन ट्रूडो को जानकारी दी थी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का कनाडा के एक्शन पर त्वरित रिएक्शन- नया भारत तत्काल प्रतिक्रिया देना जानता है। भारत-कनाडा संबंध अब तक के सबसे खराब दौर में पहुंचे? भारत कनाडा की लंबे समय से आंख मिचौनी चल रही है परंतु अब भारत का दुनिया में कद रुतबा व प्रतिष्ठा है कि एक्शन पर त्वरित रिएक्शन होता है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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