भारत का बिम्सटेक व ग्लोबल साउथ के जरिए अपने नेतृत्व को विश्व पटल पर मजबूती से रखने का प्रयास

बिम्सटेक विदेश मंत्रियों का दूसरा रिट्रीट 11-12 जुलाई 2024 सफल-भारत का क्षेत्रीय नेतृत्व महत्वाकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है
भारत के वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बिम्सटेक, ग्लोबल साउथ सहित क्षेत्रीय नेतृत्व की महत्वाकांक्षा मील का पत्थर साबित होगी- एड. के. एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर जिस तरह अनेक देशों में सत्ता रूपांतरण का क्रम जारी है, परंतु फिर भी भारत के हैट्रिक 3.0 के रूप में स्टेबल नेतृत्व मिलने से कुछ देशों में मायूसी भी शायद हो सकती है। उस पर भी इस तीसरे टर्म में सबसे पहले विदेश यात्रा 9-10 जुलाई 2024 को रूस और 41 वर्षों के बाद किसी भारतीय पीएम की पहली ऑस्ट्रिया यात्रा की सफलता को अंजाम देकर मेरा मानना है कि छकों व चौकों की बारिश कर दी है। माननीय पीएम की रूस यात्रा से शायद अमेरिका को नागवार गुजरी है इसलिए अमेरिकी राजदूत के बयान पर भारतीय एनएसए भी एक्शन में आ गए और उन्होंने वहां के सुरक्षा सलाहकार से फोन पर आपसी संबंधों पर खुलकर बात की। इधर 11-12 जुलाई 2024 को भारत में बिम्सटेक विदेश मंत्रियों का दूसरा रिट्रीट सफलता से संपन्न हुआ। उसके बाद इन देशों के विदेश मंत्रियों ने माननीय पीएम से भी मुलाकात की। इधर ग्लोबल साउथ के अफ्रीकन यूनियन को जी20 का मेंबर बनाकर भारत ने अपना जलवा दिखाया, ग्लोबल साउथ का मन भी जीत लिया है और अब बिम्सटेक की अगस्त 2024 में होने वाले थाईलैंड में शिखर सम्मेलन में, माननीय पीएम के शामिल होने की संभावना है। यह विषय आज हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि भारत बिम्सटेक, ग्लोबल साउथ सहित अनेक क्षेत्रीय मंचों के जरिए अपने नेतृत्व को मजबूती से रखने के जोरदार प्रयास कर रहा है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत के वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बिम्सटेक, ग्लोबल साउथ सहित अनेक क्षेत्रीय नेतृत्व की महत्वाकांक्षा मील का पत्थर साबित होगी।

साथियों बात अगर हम दूसरे बिम्सटेक रिट्रीट 11-12 जुलाई 2024 की करें तो, विदेश मंत्री ने सात पड़ोसी देशों के संगठन बिम्सटेक के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन की मेजबानी करते हुए कहा कि यह संगठन भारत के लिए पड़ोसी पहले, एक्ट ईस्ट और सागर दृष्टिकोण को जोड़ने का जरिया है। बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (बिम्सटेक) के साथ रणनीतिक जुड़ाव को स्पष्ट करते हुए उन्होंने ने कहा कि भारत के व्यापक भू-राजनीतिक ढांचे में पड़ोसी पहले, एक्ट ईस्ट नीति और सागर दृष्टिकोण बेहद अहम हैं। उन्होंने कहा, हम पिछली बार इसी तरह की बैठक में पिछले साल जुलाई में बैंकॉक में मिले थे। उसके बाद से बिम्सटेक की गतिविधियों को गहरा और व्यापक बनाने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा मिला है। इस साल 20 मई से बिम्सटेक चार्टर लागू हो गया है। वैश्विक और क्षेत्रीय विकास के लिए यह बेदह जरूरी है कि हम आपस में मिलकर चुनौतियों का सामना करें और समाधान खोजें। हमारे सामने क्षमता निर्माण और आर्थिक सहयोग जैसे दीर्घकालिक लक्ष्य हैं, जिन्हें काफी अहमियत मिली है।

सबसे अहम बात यह है कि एक ऐसा समूह जो अपनी सदस्यता में इतना पूरक और अनुकूल है कि इससे बड़ी आकांक्षाओं को जन्म मिलेगा। इन साझा आकांक्षाओं को बिम्सटेक के महत्वाकांक्षी विजन के रूप में व्यक्त किया जाएगा। दो दिवसीय बिम्सटेक विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के समापन के बाद विदेश मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि हमारी बातचीत में बिम्सटेक सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई। कनेक्टिविटी को मजबूत करने, संस्थागत निर्माण, व्यापार और व्यवसाय में सहयोग, स्वास्थ्य और अंतरिक्ष में सहयोग, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना क्षमता निर्माण और सामाजिक आदान प्रदान के साथ-साथ नए तंत्रों के गुणों पर भी चर्चा हुई।सात देशों का क्षेत्रीय संगठन है बिम्सटेक विदेश मंत्री ने शिखर सम्मेलन की सराहना करते हुए इसे काफी फलदायी बताया और बैठकों को अत्यधिक उपयोगी बताया। बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) समूह के सदस्य देशों के विदेश मंत्री बंगाल की खाड़ी के देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आज दिल्ली में एकजुट हुए। बता दें कि बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें सात सदस्य देश शामिल हैं – बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड।

साथियों बात अगर हम बिम्सटेक को समझने की करें तो ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (बिम्सटेक) बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। इसमें भारत, श्रीलंका नेपाल भूटान म्यांमार, बांग्लादेश और थाइलैंड शामिल हैं।इसका मकसद बंगाल की खाड़ी से लगे देशों में तीव्र आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने और साझा हितों के मुद्दों पर समन्वय स्थापित करने के लिए सकारात्मक वातावरण बनाना है। बैंकॉक डिक्लेरेशन, 1997 के तहत इसे स्थापित किया गया। पाकिस्तान ने भी इसमें शामिल होना चाहा था, लेकिन उसे अलग रखा गया है। शुरुआत में इसमें चार देश थे और इसका नाम बिसटेक यानी बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग संगठन था। 22 दिसंबर, 1997 में म्यांमार इसमें शामिल हो गया, तो इसका नाम बिम्सटेक हो गया था। 2004 में भूटान और नेपाल को इसमें शामिल किया गया। विदेश मंत्री ने भूटान और बांग्लादेश के समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की उन्होंने आज बांग्लादेश और भूटान के अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर फोकस किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, आज शाम नई दिल्ली में बांग्लादेश के विदेश मंत्री से मिलकर अच्छा लगा।

बार-बार उच्च स्तरीय आदान प्रदान भारत-बांग्लादेश मैत्री की ताकत को दिखाता है। हमने इसे आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।भूटान के विदेश मंत्री डीएन ढुंगयेल के साथ अपनी बातचीत पर जयशंकर ने कहा कि भारत और भूटान के बीच मित्रता और सद्भावना के अनूठे संबंधों को आगे ले जाने पर विचारों का आदान-प्रदान किया गया। जयशंकर ने एक्स पर लिखा, बिम्सटेक सम्मेलन से इतर ढुंगयेल से मिलकर खुशी हुई। दोस्ती और सद्भावना के हमारे अनूठे संबंधों को आगे ले जाने पर विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने अपने श्रीलंका के विदेश राज्य मंत्री थरका बाला सूर्या से भी मुलाकात की। इसको लेकर उन्होंने कहा, श्रीलंका के विदेश राज्य मंत्री का स्वागत करके खुशी हुई। हमने हमारी द्विपक्षीय साझेदारी पर चर्चा की।

साथियों बात अगर हम दिनांक 12 जुलाई 2024 को बिम्सटेक विदेश मंत्रियों द्वारा माननीय पीएम से मुलाकात की करें तो, बिम्सटेक सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों से संयुक्त रूप से मुलाकात की। पीएम ने मंत्रियों के समूह के साथ कनेक्टिविटी, ऊर्जा, व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, विज्ञान, सुरक्षा और लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर सार्थक चर्चा की। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक विकास के इंजन के रूप में बिम्सटेक की भूमिका पर बल दिया।पीएम ने एक शांतिपूर्ण, समृद्ध, हर स्थिति के अनुकूल और सुरक्षित बिम्सटेक क्षेत्र के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की तथा भारत की ने बरहुड फर्स्ट और लुक ईस्ट नीतियों के साथ-साथ क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के संदर्भ में सागर विजन में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। सितम्बर में होने वाले आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के लिए थाईलैंड को भारत का पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।

पीएम ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि बिम्सटेक विदेश मंत्रियों से मिलकर खुशी हुई। कनेक्टिविटी, ऊर्जा, व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, विज्ञान, सुरक्षा और लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। सफल शिखर सम्मेलन के लिए थाईलैंड को पूर्ण समर्थन दिया। उल्लेखनीय है कि बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल(बिम्सटेक) के सदस्य देशों में बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है जो बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों को जोड़ता है ताकि आर्थिक विकास, व्यापार और परिवहन, ऊर्जा और आतंकवाद-निरोध जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।

मंत्रियों के समूह के साथ कनेक्टिविटी, ऊर्जा, व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, विज्ञान, सुरक्षा और लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को और मजबूत करने पर सार्थक चर्चा की। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक विकास के इंजन के रूप में बिम्सटेक की भूमिका पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने एक शांतिपूर्ण, समृद्ध हर स्थिति के अनुकूल और सुरक्षित बिम्सटेक क्षेत्र के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की तथा भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘लुक ईस्ट’ नीतियों के साथ-साथ क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के संदर्भ में सागर विजन में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। पीएम ने सितम्बर में होने वाले आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के लिए थाईलैंड को भारत का पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।

साथियों बात अगर हम ग्लोबल साउथ के 125 देशों के भारत पर विश्वास की करें तो, ग्लोबल साउथ के नेतृत्व के सवाल पर विदेश मंत्री ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के 125 देश भारत पर विश्वास करते हैं। जबकि चीन ने 2023 में उन दो बैठकों में शामिल होना उचित नहीं समझा जिन्हें भारत ने ग्लोबल साउथ के देशों के हित में आयोजित किया था। ग्लोबल साउथ दक्षिणी भाग में स्थित विकासशील और गरीब देशों का समूह है। समूह में ज्यादातर देश एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के इस समूह में ज्यादातर देश एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के हैं। भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन में शामिल देशों को जी 20 की सदस्यता मिली। वैश्विक मंच पर उन्हें पहचान मिलने का यह नया मौका था। लेकिन इस मौके से चीनी नेतृत्व नदारद था। वैश्विक नेताओं की मौजूदगी वाले कार्यक्रम में राष्ट्रपति नहीं आए, उन्होंने पीएम को भेजकर जी20 के महत्व को कम आंकने की कोशिश की।

साथियों बात अगर हम पीएम के जी7 में ग्लोबल साउथ की बात उठाने की करें तो, पिछले दशक में, विशेष रूप से भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान ग्लोबल साउथ की आवाज को बल देने के बाद, पीएम ने सप्ताह की शुरुआत में पदभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान विकासशील देशों की चिंताओं को उजागर करने के लिए एक बार फिर एक प्रमुख वैश्विक मंच को चुना। पीएम के साथ अपनी मुलाकात के कुछ घंटों बाद, जर्मन चांसलर ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उभरते देशों और ग्लोबल साउथ की आवाज को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय। पीएम के प्रयासों का समर्थन किया। इटली के अपुलीया में आयोजित ग्रुप ऑफ सेवन (जी-7) शिखर सम्मेलन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में भारत की छवि को और मजबूत कर दिया है। जी-7 से जो तस्वीरें आई है, उससे यह साफ हो गया है कि पीएम ने ग्लोबल साउथ के लीडर के तौर पर भारत की छवि को दमदार बनाया है। पिछले दशक में, विशेष रूप से भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान ग्लोबल साउथ की आवाज को बल देने के बाद, पीएम मोदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में पदभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान विकासशील देशों की चिंताओं को उजागर करने के लिए एक बार फिर एक प्रमुख वैश्विक मंच को चुना।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का बिम्सटेक व ग्लोबल साउथ के जरिए अपने नेतृत्व को विश्व पटल पर मजबूती से रखने का प्रयास। बिम्सटेक विदेश मंत्रियों का दूसरा रिट्रीट 11-12 जुलाई 2024 सफल-भारत का क्षेत्रीय नेतृत्व महत्वाकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है।भारत के वैश्विक नेतृत्व की दिशा में बिम्सटेक, ग्लोबल साउथ सहित क्षेत्रीय नेतृत्व की महत्वाकांक्षा मील का पत्थर साबित होगी।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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