अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक की वार्षिक बैठक वाशिंगटन में भारत का आगाज

विश्व बैंक उच्च प्राथमिकता वाले कौशल क्षेत्र की पहचान कर रोजगार कौशल प्लान व श्रम बनाए रखने में देशों के साथ सहयोग की सलाह दी
हरित नौकरियों व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चलन के बाद, उभरते रुझानों से नौकरी छूटने तथा नौकरी सृजन पर प्रभाव का संज्ञान लेना ज़रूरी- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर बदलते परिवेश में हर क्षेत्र में डिजिटाइजेशन व प्रौद्योगिकी विकास में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा प्रौद्योगिकी तकनीक के तेजी से विकास के कारण अब ऑफिस स्टाफ को संकुचित करना व्यापार, उद्योग, सेवा वाणिज्य क्षेत्र के लिए जरूरी हो गया है, क्योंकि इस वैश्विक प्रतिस्पर्धा ऑनलाइन युग में कम कीमतें अधिक सेवा वाला फंडा चल रहा है, जो एआई के बिना संभव नहीं हो सकता, जिसका सीधा प्रभाव नौकरियों पर पड़ रहा है। वैश्विक स्तर पर बड़ी तादाद में नौकरियां खत्म हो रही है, बेरोजगारी अत्यधिक बढ़ रही है। जिसका उपाय पूरी दुनियाँ के लिए करना जरूरी है। जिसमें विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मॉनेटरी फंड की भूमिका अहम हो जाती है। क्योंकि अब ट्रेंड कौशलता विकास की ओर बढ़ रहा है जिसके लिए अब आईएमएफ डब्लूबी का रोल अहम हो गया है।

इस विषय पर आज हम बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि केंद्रीय वित्तमंत्री 20 से 26 अक्टूबर 2024 तक अमेरिका की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों, चौथी जी20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर (एफएमसीबीजी) बैठकों के अलावा एफएमसीबीजी पर्यावरण मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की जी 20 संयुक्त बैठक और जी 7-अफ्रीका मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया, और उन्होंने आईएमएफ तथा डब्ल्यूबी व अनेक संस्थाओं से चर्चा कर उपरोक्त विषय पर विचार विमर्श किया है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक क़ी वार्षिक बैठक वाशिंगटन में भारत का आगाज।

साथियों बात अगर हम वर्तमान हरित नौकरियों व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण विश्व के अनेक देशों को बेरोजगारी से बचाने, कौशलता विकास रोजगार सृजन को समझने की करें तो, वित्तमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपने आधिकारिक खाते पर इस बात पर जोर दिया कि निरंतर आर्थिक चुनौतियों और तेजी से हो रहे प्रौद्योगिकी बदलावों को देखते हुए नौकरियां सबसे बड़ी वैश्विक समस्या बनी हैं, जो युवाओं के लिए नौकरी बाजार में प्रवेश करने के लिए आवश्यक कौशल को पुनर्परिभाषित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक ने इससे पहले क्षेत्रीय रुझानों तथा रोजगार पर उनके संभावित प्रभाव पर कई अध्ययन किए हैं। इनमें हरित नौकरियां, कृत्रिम मेधा के चलन में आने के बाद नौकरियां और बदलती जनसांख्यिकी के कारण बदलाव जैसे क्षेत्र आदि विषयों पर अध्ययन किए गए।

हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समय की मांग है कि अधिक व्यापक, बहु-क्षेत्रीय विश्लेषण किया जाए। इसमें इस बात पर गौर किया जाए कि उभरते रुझान किस प्रकार परस्पर क्रिया करते हैं और कैसे नौकरी छूटने तथा नौकरी सृजन दोनों को प्रभावित करते हैं। वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में विश्व बैंक से आग्रह किया कि वह डेटा विश्लेषण तथा ज्ञान कार्य के आधार पर उच्च प्राथमिकता वाले कौशल क्षेत्रों की पहचान करने में देशों के साथ सहयोग करे। जिसमें रोजगार सृजन, कौशल मिलान और श्रम बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जाए।

साथियों बात अगर हम केंद्रीय वित्तमंत्री के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक की वार्षिक सभा में व्यक्ति किए गए विचारों की करें तो, उन्होंने मझोले इनकम वाले देशों के लिए विश्व बैंक से किफ़ायती लोन की मांग की, वित्त मंत्री ने वैश्विक इंडेक्स और देश की तुलना करने में विश्व बैंक के डेटा-संचालित, साक्ष्य-आधारित नजरिया अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। वित्तमंत्री ने आईएमएफ के साथ अपनी सालाना बैठक के दौरान विश्व बैंक से और अधिक किफायती और सस्ते लोन की मांग की है।

शुक्रवार को वाशिंगटन, डीसी में विश्व बैंक की 2024 की वार्षिक बैठकों में भविष्य के लिए तैयार विश्व बैंक समूह पर विकास समिति के पूर्ण सत्र में बोलते हुए ये बातें कही। वित्त मंत्रालय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा केंद्रीय वित्त मंत्री ने व्यापक भागीदारी को बढ़ावा देने, मध्यम आय वाले देशों को अधिक उधार लेने के लिए प्रोत्साहित करने और विकास प्रभाव को गहरा करने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण मॉडल के साथ एक अधिक किफ़ायती विश्व बैंक की मांग की। उन्होंने भारत की इस स्थिति की पुष्टि की कि विश्वव्यापी गवर्नेंस इंडिकेटर और नए प्रस्तावित बी-रेडी इंडेक्स जैसे ऑब्जेक्टिव डेटा पर आधारित होने चाहिए।

साथियों बात अगर हम केंद्रीय वित्तमंत्री द्वारा आईएमएफ डब्ल्यूबी बैठक में दिए गए सुझावों की करें तो, उन्होंने विश्व बैंक से अपने ऋण मॉडल को और अधिक किफायती बनाने और मध्यम आय वाले देशों से व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण की अपील की, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस तरह का नजरिया इन देशों को विश्व बैंक के साथ अधिक जुड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे अंततः बैंक के कार्यक्रमों के विकास प्रभाव में वृद्धि होगी।

बहुपक्षीय विकास बैंकों के इतिहास पर विचार करते हुए, उन्होंने 1944 के ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में इन संस्थानों की नींव को आकार देने में ग्लोबल साउथ की अहम भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने समावेशी, वैश्विक विकास ढांचे की स्थापना के लिए विश्व बैंक की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अलग-अलग नजरिए को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया। अपनी सिफारिशों के हिस्से के रूप में, सीतारमण ने विश्व बैंक को डिजिटल समावेशन और सतत ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में ग्लोबल साउथ के परिवर्तनकारी अनुभवों से इनोवेशन्स के दोतरफ़ा आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि ये योगदान समान चुनौतियों का सामना कर रहे बाकी देशों के लिए मूल्यवान आंतरिक नजरिया और समाधान प्रदान कर सकते हैं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन का इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक की वार्षिक बैठक वाशिंगटन में भारत का आगाज। विश्व बैंक उच्च प्राथमिकता वाले कौशल क्षेत्र की पहचान कर रोजगार व कौशल प्लान व श्रम बनाए रखने में देशों के साथ सहयोग की सलाह।हरित नौकरियों व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चालन के बाद, उभरते रुझानों से नौकरी छूटने तथा नौकरी सृजन पर प्रभाव का संज्ञान लेना जरूरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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