इंटरपोल महासभा लियोन, फ्रांस में भारत का आगाज- वैश्विक सुरक्षा के लिए ऑनलाइन कट्टरपंथ महत्वपूर्ण चुनौती है

कट्टरपंथी विचारधारा को लाइक शेयर से बचकर, जनता को पुलिस और नीति निर्धारकों का सहयोग करना जरूरी
प्रौद्योगिकी युग में अब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पुलिस और नीति निर्धारकों के साथ, हम सबके उंगलियों के नीचे है, इसलिए लाइक शेयर सोच समझकर करें- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर आंधी से तेज गति से बढ़ती हुई सूचना प्रौद्योगिकी से जितनी अधिक सहूलियतों से लाभ मिल रहे हैं तो, हानियां भी कुछ कम नहीं हो रही है जिसको रेखांकित करना हम सबका काम है क्योंकि, हमारी जीवन शैली, राष्ट्र के लिए विकास और दुनियां हमारी मुट्ठी और उंगलियों पर आ गई है, तो उतनी ही हमारी मानवीय जिंदगी भी खतरे की ओर अग्रसर हो रही है, क्योंकि अब इस सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स को आतंकवाद और ऑनलाइन कट्टरपंथी के लिए भी उपयोग होने से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसी कुछ ऑनलाइन साइट्स आ गई है जो ऑनलाइन कट्टरपंथ को तेजी से बढ़ावा देकर अपने आतंकवाद के लिए नए रास्तों को बनाया जा रहा है, जो के मानवीय कार्य से कहीं बहुत अधिक सरल आसान व सुरक्षित भी उनके लिए है तो कई मेल क्लिप सूचनाओं कोडवर्ड में भी कार्य होता है जिसे हम गहराई से न लेकर मजाकिया व हंसी मजाक के लहजे में लेकर उसे लाइक व शेयर भी करते रहते हैं, परंतु अब समय आ गया है कि हम इस विषय पर गंभीरता से ध्यान दें क्योंकि, कट्टरपंथी आख्यानों को समझने का कठिन कार्य जनता पर आता है।

जिन्हें जानकारी का विश्लेषण करना चाहिए और लाइक, शेयर के माध्यम से इसकी पहुंच को बनाए रखने से बचना चाहिए। कभी-कभी बिना सोचे-समझे हम सामग्री साझा करते हैं क्योंकि हमें लगता है कि यह हास्यास्पद या बेतुका है, अनजाने में कथा का प्रचार करते हैं और इसे किसी अधिक कमजोर व्यक्ति तक पहुंचने की अनुमति देते हैं। आतंकवादी इंटरनेट का उपयोग कट्टरपंथी बनाने, भर्ती करने और आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में सुविधा प्रदान करने के लिए करते हैं। यूरोपीय आयोग ने इसे रोकने में मदद के लिए स्वैच्छिक और विधायी उपायों और पहलों की एक श्रृंखला सामने रखी है। अभी हाल ही में फ्रांस के लियोन शहर में संपन्न हुई इंटरपोल की महासभा का समापन हुआ जिसमें 136 देश के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो, जिसमे भारत में सीबीआई है ने भाग लिया। इसमें भारत ने अपने रुख वैश्विक सुरक्षा के लिए ऑनलाइन कट्टरपंथ महत्वपूर्ण चुनौती है का आगाज किया। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, प्रौद्योगिकी युग में अब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पुलिस और नीति निर्धारकों के साथ हम सबकी उंगलियों के नीचे है, इसलिए लाइक शेयर सोच समझकर करना है।

साथियों बात अगर हम फ्रांस के लियोन शहर में समाप्त हुई इंटरपोल महासभा की करें तो, महासभा में भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक ने किया। भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने संगठित अपराध, आतंकवाद और चरमपंथी विचार धाराओं के बीच सांठगांठ से उत्पन्न चुनौतियों पर बात की, कहा कि ऑनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इसके अलावा, आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की और कहा कि अच्छे आतंकवाद, बुरे आतंकवाद के बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता। भारत में सीबीआई नोडल एजेंसी प्रत्येक देश में राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (एनसीबी) इंटरपोल के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार नोडल संगठन है। इंटरपोल में सभी सदस्य देश एक प्लेटफॉर्म अपने देश में मौजूद बड़े अपराधियों की जानकारी एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं। भारत में सीबीआई ऐसे मामलों में इंटरपोल के संपर्क में रहती है। सीबीआई ही इंटरपोल और अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी का काम करती है।

भारत से जब भी कोई अपराधी विदेश भाग जाता है या उसके विदेश भागने की आशंका होती है तो उसके खिलाफ लुकआउट या रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाता है।भारत ने आतंकवाद, ऑनलाइन कट्टरपंथ और साइबर सक्षम वित्तीय धोखाधड़ी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने और उन्हें रोकने के लिए इंटरपोल चैनलों के जरिए ठोस कार्रवाई की मांग की है। साथ ही अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद के बीच कोई अंतर नहीं होने की बात पर जोर दिया और कहा कि ऑनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है। सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर इंटरपोल चैनलों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ संबंधों का भारत ने भी लाभ उठाया है। पिछले साल 29 अपराधियों और भगोड़ों को वापस लाया गया है, जो एक साल में सबसे अधिक है।

प्रवक्ता ने कहा कि कई देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चर्चा के दौरान भारत ने संगठित अपराध, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी, धन शोधन, ऑनलाइन कट्टरपंथ, साइबर सक्षम वित्तीय अपराधों से निपटने और रियल-टाइम के आधार पर इन अपराधों को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई के उद्देश्य से इंटरपोल के जरिए समन्वय बढ़ाने की मांग की। तीन सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने अमेरिका, ब्रिटेन और सऊदी अरब सहित कई देशों के साथ चर्चा के दौरान इंटरपोल के जरिए सूचना साझा करने, परस्पर कानूनी सहायता भेजने और प्रत्यर्पण अनुरोध में तेजी लाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।भारत ने अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खतरे से निपटने के लिए एनसीबी के नेटवर्क को मजबूत करने, साइबर-सक्षम वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ाने, इंटरपोल नेटवर्क और वैश्विक पुलिस डेटाबेस के उपयोग को बढ़ावा देने, बाल यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई में और इंटरपोल के भीतर डेटा संरक्षण उपायों में सुधार करने जैसे प्रमुख निष्कर्षों का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा भारत की कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के अनुरोध पर पूर्व में इंटरपोल द्वारा 100 रेड नोटिस प्रकाशित किए गए थे।

साथियों बात अगर हम इंटरपोल महासभा में अच्छे और बुरे आतंकवाद में कोई अंतर नहीं होने की बात को रेखांकित करें तो, भारत ने अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद के बीच कोई अंतर नहीं होने की बात को रेखांकित करते हुए कहा है कि ऑनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। उन्होने संगठित अपराध, आतंकवाद और चरमपंथी विचारधाराओं के बीच साठगांठ से उत्पन्न चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि ऑनलाइन कट्टरपंथ वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है।उन्होंने स्पष्ट रूप से सभी प्रकार के आतंकवाद की निंदा की और कहा कि अच्छे आतंकवाद, बुरे आतंकवाद के बीच कोई अंतर नहीं किया जा सकता। इस सम्मेलन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए इंटरपोल और एनसीबी के बीच सहयोग को मजबूत करना था।

साथियों बात अगर हम ऑनलाइन युवा कट्टरवाद की करें तो, ऑनलाइन युवा कट्टरवाद वह क्रिया है जिसमें एक युवा व्यक्ति या लोगों का एक समूह तेजी से चरम राजनीतिक, सामाजिक, या धार्मिक आदर्शों और आकांक्षाओं को अपनाने के लिए आता है जो किसी राज्य की यथास्थिति को अस्वीकार या कमजोर करते हैं या समकालीन विचारों और अभिव्यक्तियों को कमजोर करते हैं, जिसमें वे निवास कर सकते हैं या नहीं भी कर सकते हैं।ऑनलाइन युवा कट्टरपंथ हिंसक या अहिंसक दोनों हो सकता है। यह घटना, जिसे अक्सर हिंसक उग्रवाद के प्रति कट्टरपंथ को उकसाना (या हिंसक कट्टरपंथ) कहा जाता है, विशेष रूप से इंटरनेट और सोशल मीडिया के कारण हाल के वर्षों में बढ़ी है।

ऑनलाइन अतिवाद और हिंसा को बढ़ावा देने पर बढ़ते ध्यान के जवाब में, इस घटना को रोकने के प्रयासों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए चुनौतियाँ पैदा की हैं। इनमें अंधाधुंध अवरोधन, सेंसरशिप की अति-पहुंच (पत्रकारों और ब्लॉगर्स दोनों को प्रभावित करना) और गोपनीयता घुसपैठ से लेकर स्वतंत्र विश्वसनीयता की कीमत पर मीडिया के दमन या उपकरणीकरण तक शामिल हैं। आतंकवाद के लिए वर्तमान युद्धक्षेत्र कोई दूर देश नहीं बल्कि हमारे ठीक बगल में मौजूद कंप्यूटर और फोन हैं। आतंकवादियों ने संघर्ष को उसकी भौगोलिक सीमाओं को पार करने की अनुमति देने के लिए इस तकनीक का लाभ उठाया है। लोगों को अपने उद्देश्य की ओर आकर्षित करने के लिए भावनात्मक रूप से प्रेरित प्रचार का उपयोग करते हुए, आतंकवादी आत्म-कट्टरपंथ के माध्यम से मानव व्यवहार को संशोधित करने की उम्मीद करते हैं। वे जानते हैं कि एक सहानुभूतिपूर्ण दर्शक तक पहुंचने से उनके एजेंडे के समर्थन में विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।

सोशल नेटवर्क अब एक ऐसा वातावरण है जहां हर कोई ऑनलाइन प्रचार या गलत सूचना का सामना करने के प्रति संवेदनशील है, जिससे हर कोई कट्टरपंथ के प्रति संवेदनशील हो जाता है। कमजोर लोगों को कभी भी प्रचार या दुष्प्रचार देखने से रोकना असंभव है, लेकिन उन्हें सही तरीके से प्रतिक्रिया देना सिखाना संभव है। ये मामले आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रौद्योगिकी सुरक्षा और सामुदायिक जागरूकता के बढ़ते महत्व को दर्शाते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत क्षेत्र की सरकारों और नागरिकों को सोशल मीडिया के दुरुपयोग से उनके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में पता होना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अब केवल नीति निर्माताओं और पुलिस के हाथों में नहीं है; इसके बजाय, यह हम में से प्रत्येक के अंगूठे के नीचे रहता है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि इंटरपोल महासभा लियोन फ्रांस में भारत का आगाज़- वैश्विक सुरक्षा के लिए ऑनलाइन कट्टरपंथ महत्वपूर्ण चुनौती है। कट्टरपंथी विचारधारा को लाइक शेयर से बचकर, जनता को पुलिस और नीति निर्धारकों का सहयोग करना जरूरी। प्रौद्योगिकी युग में अब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पुलिस और नीति निर्धारकों के साथ, हम सबके उंगलियों के नीचे है, इसलिए लाइक, शेयर सोच समझकर करें।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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