उमेश तिवारी, हावड़ा : भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का रचयिता माना गया है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु सृजन के देवता हैं। इस वर्ष माघ मास के शुक्ल त्रयोदशी तिथि यानी 25 फरवरी को भारतीय विश्वकर्मा समाज ने जयंती मनाई। गुरुवार को भारतीय विश्वकर्मा समाज ने विश्वकर्मा महोत्सव का आयोजन लिलुआ स्थित अग्रसेन स्मृति भवन में किया था। उक्त समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर वेद-वेदांताचार्य परमहंस परिवाजकाचार्य राष्ट्रीय संत स्वामी शिवात्मानंद सरस्वती जी, दांडी स्वामी उपस्थित थे। समारोह का शुभारम्भ परमपूज्य स्वामी जी के कर कमलों द्वारा भगवान विश्वकर्मा का पूजन वंदन तथा आरती के साथ संपन्न हुआ।
इस मौके पर संस्था के महासचिव बृजमोहन शर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर जुलूस निकाला गया था, लेकिन इसबार कोरोना को ध्यान में रखते हुए जुलूस न निकालकर भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि पिछले 1980 से विश्वकर्मा जी की जयंती मनायी जा रही है। वहीं संस्था के चेयरमैन सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि संस्था द्वारा एक फेडरेशन बनाया जा रहा है जिसमें समाज के सभी लोगों को शामिल किया जायेगा। इस महोत्सव में भारी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया था। इस मौके पर सागर विश्वकर्मा, दिनेश कुमार शर्मा, प्रभुनाथ शर्मा, संजय कुमार शाण्डलिय, राजकुमार शर्मा सहित संस्था के सभी सदस्य उपस्थित थे।