बांग्लादेश से जान बचाकर लौटे भारतीय छात्रों ने सुनाई आपबीती

कोलकाता : बांग्लादेश में चल रहे नौकरी में आरक्षण सुधार छात्र आंदोलन के कारण उपजी हिंसक स्थिति से बचने के लिए 33 मेडिकल छात्र उत्तर बंगाल से सटी सीमा से भारत लौट आए। शुक्रवार को कूचबिहार के भारत-बांग्लादेश सीमा स्थित मेखलीगंज गेट से इन छात्रों ने प्रवेश किया।

इनमें छह भारतीय, नौ नेपाली और 18 भूटानी छात्र शामिल हैं। बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को इस बारे में जानकारी दी।

बांग्लादेश के रांगपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे नेपाली छात्र राहुल राय ने भारत में प्रवेश के बाद बताया कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति में हम किसी तरह जान बचाकर यहां तक पहुंचे हैं।

उनके चेहरे पर चिंता के स्पष्ट निशान थे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हर जगह हिंसक स्थिति है, वहां रहना अब सुरक्षित नहीं है, इसलिए हम लौट आए हैं।

कूचबिहार के पुलिस अधीक्षक द्युतिमान भट्टाचार्य ने पुष्टि करते हुए कहा कि रांगपुर मेडिकल कॉलेज के कुल 33 छात्रों ने शुक्रवार को भारत में प्रवेश किया। इनमें छह भारतीय, 18 भूटानी और नौ नेपाली छात्र शामिल हैं। ये सभी अपने-अपने देश लौट रहे हैं।

बांग्लादेश में पिछले तीन दिनों में कोटा सुधार आंदोलन के चलते हुई हिंसा में मरने वालों की संख्या 30 हो गई है। गुरुवार को ही आरक्षण विरोधियों के कम्पलीट शटडाउन कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में 21 लोगों की जान चली गई।

Indian students who returned from Bangladesh after saving their lives narrated their ordeal

जिनमें से आधे से अधिक की मौत ढाका में हुई। ढाका में बार-बार हो रही हिंसा के कारण वहां की मेट्रोपोलिटन पुलिस ने राजधानी में सभी प्रकार की सभाओं, रैलियों और जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस के डिप्टी कमिश्नर (मीडिया) फारुक हुसैन ने बताया कि शुक्रवार दोपहर से अगले आदेश तक राजधानी में सभी प्रकार की सभाओं, रैलियों और जुलूसों पर प्रतिबंध रहेगा।

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