गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि भारत का लक्ष्य आगामी 25 वर्षों में ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनना है और इसके लिए नवान्वेषण एवं वैकल्पिक साधनों को हर संभव बढ़ावा दिया जाएगा। मोदी ने यहां महात्मा मंदिर सभागार में मारुति सुज़ुकी के इलैक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी विनिर्माण संयंत्र के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, भारत में जापान के राजदूत सातोशी सुज़ुकी, जापानी कंपनी सुज़ुकी मोटर्स के अधिकारी आदि मौजूद थे।
मोदी ने यहां समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और भारत के लोगों के साथ सुज़ुकी का पारिवारिक रिश्ता अब 40 वर्ष का हो गया है। आज एक ओर गुजरात में इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरी के विनिर्माण के लिए एक विशाल संयंत्र का शिलान्यास हो रहा है साथ ही हरियाणा में नये कार विनिर्माण संयंत्र की शुरुआत भी हो रही है। ये विस्तार सुजुकी के लिए भविष्य की अपार संभावनाओं का आधार बनेगा।उन्होंने कहा कि मारुति-सुजुकी की सफलता भारत-जापान की मजबूत साझीदारी का भी प्रतीक है। बीते आठ वर्षों में तो हम दोनों देशों के बीच ये रिश्ते नई ऊंचाइयों तक गए हैं।
आज गुजरात-महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन से लेकर उत्तर प्रदेश में बनारस के रुद्राक्ष सेंटर तक, विकास की कितनी ही परियोजनाएं भारत-जापान दोस्ती का उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री ने भारत एवं जापान के बीच बहुआयामी एवं जीवंत मित्रता के लिए जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे काे याद करते हुए कहा, “इस दोस्ती की जब बात होती है, तो हर एक भारतवासी को हमारे मित्र पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय शिंजो आबे जी की याद जरूर आती है। आबे सान जब गुजरात आए थे, उन्होंने जो समय यहां बिताया था, उसे गुजरात के लोग बहुत आत्मीयता से याद करते हैं।
हमारे देशों को और करीब लाने के लिए जो प्रयास उन्होंने किए थे, आज प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा उसे आगे बढ़ा रहे हैं। इसके लिए श्री किशिदा अभिनंदन के अधिकारी हैं।” मोदी ने कहा कि गुजरात और जापान के बीच जो रिश्ता रहा है, वो राजनयिक दायरों से भी ऊंचा रहा है। मुझे याद है जब 2009 में वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम का आयोजन शुरू हुआ था, तभी से जापान इसके साथ एक साझीदार देश के तौर पर जुड़ गया था और तबसे लगातार इस आयोजन में जापान की भूमिका सबसे अहम होती आयी है।
उन्होंने भारत में मारुति सुज़ुकी की सफलता का उल्लेख किया और नये वक्त की जरूरतों के लिए कंपनी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “इलेक्ट्रिक वाहनों की एक बड़ी खासियत ये होती है कि वो शोरमुक्त होते हैं। 2 पहिया हो या 4 पहिया, वो कोई शोर नहीं करते। ये शोरमुक्ति केवल इसकी इंजीनियरिंग का ही नहीं है, बल्कि ये देश में एक शोरमुक्त क्रांति के आने की शुरुआत भी है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार जितनी तेजी से बड़ा हो रहा है, कुछ वर्ष पहले तक उसकी कल्पना भी नहीं होती थी।
आज लोग इलैक्ट्रिक वाहन को एक अतिरिक्त वाहन नहीं समझ रहे हैं, बल्कि उसे प्रमुख साधन मानने लगे हैं। देश भी पिछले 8 वर्षों से इस बदलाव की जमीन तैयार कर रहा था। उन्होंने कहा कि भारत ने कोप-26 में ये घोषणा की है कि वो 2030 तक अपनी स्थापित इलैक्ट्रिकल क्षमता की 50 प्रतिशत क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से हासिल करेगा। हमने 2070 के लिए ‘नेट ज़ीरो’ यानी शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भारत में इलैक्ट्रिक वाहनों की मांग एवं आपूर्ति दोनों मोर्चाें पर विस्तार देने का काम कर रही है।
इलैक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग स्टेशनों की श्रृंखला से लेकर बैटरी स्वैपिंग यानी एक बैटरी देकर दूसरी बैटरी ले लेना, की भी नीति को मंजूरी दी गयी है। सरकार लोगों को इलैक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए कर में छूट देने के साथ ही ऋण लेने में भी उदार शर्तें रखीं गयीं हैं। मोदी ने कहा कि उन्हें आशा है कि भारत आज़ादी के इस अमृतकाल में अगले 25 वर्ष में ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य को जरूर पूरा करेगा और इसके लिए इसके लिए नवान्वेषण एवं वैकल्पिक साधनों को हर संभव बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सुज़ुकी परिवार भी जाे सपने लेकर यहां आया है, उसे केन्द्र एवं गुजरात की सरकार गति देने का काम करेगी।