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संविधान जो कहेगा हम वही मानेंगे, अपनी किताबों में भारत और इंडिया दोनों लिखेंगे- एनसीईआरटी का मत
नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव में 19 सदस्यों की कमेटी द्वारा भारत नाम के सुझाव के बाद एनसीईआरटी के बयान को रेखांकित करना होगा- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक व मानव मेड अनेक परिस्थितियां कैसे बदल जाती है, उस पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है, खासकर राजनीतिक परिस्थितियों में किस ओर सरकार करवट बदलेगी, यह कहां नहीं जा सकता। बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि पल में तोला पल में मासा, यानें जो बात एक पल में कही जाती है तुरंत दूसरे पल में उसका उल्टा कर दिया जाता है।
हम देखते हैं कि राजनीतिक रणनीति की स्थिति में यह परिस्थितियां कैसे बदलली, जिसका हमने 2024 के लोकसभा चुनाव में देखे, अति उम्मीद करने वाली राजनीतिक पार्टी का लक्ष्य धराशाही हो गया तो स्वाभाविक ही है, परिस्थितियों के हिसाब से अब रणनीति चेंज यानें कठोर को सॉफ्ट बनानें की ओर कदम बढ़ा दिए गए हैं, जिसका सबसे सटीक उदाहरण हम दिनांक 17 जून 2024 को मीडिया में पीटीआई के हवाले से आए एनसीईआरटी अध्यक्ष के बयान को इस परिपेक्ष में देखा जा सकता है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक ने कहा है कि एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में भारत और इंडिया का परस्पर उपयोग किया जाएगा, जैसा कि देश के संविधान में है। उन्होंने कहा कि दोनों शब्दों का इस्तेमाल किताबों में किया जाएगा और परिषद को भारत या इंडिया से कोई परहेज नहीं है। एनसीईआरटी के निदेशक ने कहा है कि देश के संविधान की तरह एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में भी भारत और इंडिया का परस्पर उपयोग किया जाएगा।
सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम पर काम कर रहे एक उच्च स्तरीय पैनल ने सभी कक्षाओं की स्कूली पाठ्य पुस्तकों में इंडिया की जगह भारत शब्द रखने की सिफारिश की है, जिसके मद्देनजर यह टिप्पणी महत्वपूर्ण हो जाती है। मीडिया को मुख्यालय में बातचीत में एनसीईआरटी प्रमुख ने कहा कि किताबों में दोनों शब्दों का इस्तेमाल किया जाएगा और परिषद को भारत या इंडिया से कोई परहेज नहीं है।
उन्होंने कहा, यह परस्पर उपयोग योग्य है। हमारा रुख वही है जो हमारा संविधान कहता है और हम उसका समर्थन करते हैं। हम भारत का इस्तेमाल कर सकते हैं, हम इंडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें क्या दिक्कत है? हम इस बहस में नहीं हैं। जहां भी हमें सुविधा होगी हम इंडिया का इस्तेमाल करेंगे, जहां भी हमें सुविधा होगी हम भारत का इस्तेमाल करेंगे। हमें इंडिया या भारत से कोई परहेज नहीं है।
आगे कहा, आप देख सकते हैं कि हमारी पाठ्य पुस्तकों में दोनों का इस्तेमाल पहले से ही हो रहा है और नई पाठ्य पुस्तकों में भी यह जारी रहेगा। यह एक बेकार की बहस है। उन्होंने कहा, यह अदला बदली योग्य है। हमारा रुख वही है जो हमारा संविधान कहता है और हम उसका समर्थन करते हैं। हम भारत का इस्तेमाल कर सकते हैं, हम इंडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें समस्या क्या है? हम इस बहस में नहीं हैं।
जहां भी हमें सुविधा होगी हम इंडिया का इस्तेमाल करेंगे, जहां भी हमें सुविधा होगी हम भारत का इस्तेमाल करेंगे। हमें इंडिया या भारत दोनों से कोई परहेज नहीं है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे नई शिक्षा नीतिके तहत बदलाव में 19 सदस्य कमेटी के भारत नाम के सुझाव के बाद एनसीईआरटी के बयान को रेखांकित करना होगा।
साथियों बात अगर हम पिछले साल एनसीईआरटी द्वारा गठित 19 सदस्य कमेटी की सिफारिश की करें तो, स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए एनसीईआरटी द्वारा गठित सामाजिक विज्ञान के लिए एक उच्च स्तरीय समिति ने पिछले साल सिफारिश की थी कि सभी कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों में इंडिया की जगह भारत शब्द होना चाहिए। समिति के अध्यक्ष, जो पैनल का नेतृत्व कर रहे थे, ने कहा था कि उन्होंने पाठ्य पुस्तकों में इंडिया नाम की जगह भारत शब्द रखने, पाठ्यक्रम में प्राचीन इतिहास की जगह शास्त्रीय इतिहास शुरू करने और सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने का सुझाव दिया है।
पीटीआई से कहा, समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं के छात्रों की पाठ्य पुस्तकों में भारत नाम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत एक पुराना नाम है। भारत नाम का इस्तेमाल प्राचीन ग्रंथों जैसे कि विष्णु पुराण में किया गया है, जो 7,000 साल पुराना है। एनसीईआरटी ने तब कहा था कि पैनल की सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
भारत नाम पहली बार आधिकारिक तौर पर पिछले साल सामने आया था, जब सरकार ने जी-20 सम्मेलन के लिए भारत के राष्ट्रपति के नाम से आमंत्रण भेजा था, न कि भारत के राष्ट्रपति। बाद में, नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम की नेमप्लेट पर भी इंडिया के बजाय भारत लिखा हुआ था।
साथियों बात अगर हम भारत और इंडिया शब्द के इतिहास की करें तो स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए एनसीईआरटी द्वारा गठित सामाजिक विज्ञान के लिए एक उच्च स्तरीय समिति ने पिछले साल सिफारिश की थी कि सभी कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों में “इंडिया” की जगह “भारत” शब्द होना चाहिए। समिति के अध्यक्ष सीआई इसाक, जो पैनल का नेतृत्व कर रहे थे, ने कहा था कि उन्होंने पाठ्य पुस्तकों में इंडिया नाम की जगह भारत शब्द रखने, पाठ्यक्रम में प्राचीन इतिहास की जगह शास्त्रीय इतिहास शुरू करने और सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने का सुझाव दिया है। ‘
उन्होंने पीटीआई से कहा, समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं के छात्रों की पाठ्य पुस्तकों में भारत नाम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। भारत एक पुराना नाम है। भारत नाम का इस्तेमाल प्राचीन ग्रंथों जैसे कि विष्णु पुराण में किया गया है, जो 7,000 साल पुराना है। एनसीईआरटी ने तब कहा था कि पैनल की सिफारिशों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। किसी देश के नामकरण की सार्थकता उसकी अर्थवत्ता में भी होती है। भारत शब्द संस्कृत के भ्र धातु से आया है, जिसका अर्थ है उत्पन्न करना, वहन करना, निर्वाह करना।
तदनुसार भारत का शाब्दिक अर्थ हुआ- जो निर्वाह, उत्पन्न या वहन करता है। इस रूप में भारत शब्द अत्यंत अर्थवान है। भारत का एक और अर्थ है-ज्ञान की खोज में संलग्न। अर्थात अपने सांस्कृतिक बोध, मूल्यवत्ता और अर्थवत्ता के धरातल पर भी ‘भारत’ नाम अधिक सार्थक है। इसके अलावा यह अभिधान सर्वसमावेशी भी है, अपने में सभी वर्ग, पंथ और समुदाय को समाहित करता है।……
यह अनायास नहीं कि संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित अधिकांश भाषाओं-पूर्व की असमिया एवं मणिपुरी से लेकर पश्चिम की गुजराती और मराठी तथा दक्षिण की तमिल, तेलुगु, कन्नड़ या मलयालम में इस देश को भारत, भारोत, भारतनाडु, भारता, भारतदेशम, भारतम आदि कहा जाता है, जो भारत शब्द के ही पर्याय हैं। सामाजिक हो या सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक हो या भाषा-विज्ञान, हर कसौटी पर भारत नाम में ही इस देश का आत्मा विराजता है।
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अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत बनाम इंडिया- यह बहस बेकार है? संविधान जो कहेगा हम वही मानेंगे, अपनी किताबों में भारत और इंडिया दोनों लिखेंगे एनसीईआरटी कामत। नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव में 19 सदस्यों की कमेटी द्वारा भारत नाम के सुझाव के बाद एनसीईआरटी के बयान को रेखांकित करना होगा।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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