बीजिंग : लद्दाख में भारत और चीन सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद भारत चीन से बातचीत करता रहा और इसके साथ ही नापाक इरादें को अंजाम देने को पीछे से अपनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी को लद्दाख में तैनात करता रहा। इसके बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पहले चीन के 59 ऐप बैन कर दिए और अब शुक्रवार को लद्दाख से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो-टूक सुनाई है।
इससे चीन को बुरी तरह छटपटाहट हो रही है और वह ‘दोस्ती’ का राग अलाप रहा है। भारत में चीन के राजदूत जी रॉन्ग ने कहा है कि वह विस्तारवादी नहीं है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन और भारत की सेनाओं में गतिरोध के बीच शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख का औचक दौरा कर सैनिकों से मुलाकात की।
जिससे तिलमिलये चीन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी पक्ष को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे सीमा पर हालात जटिल हों। मोदी ने लेह का दौरा किया जहां उन्होंने सेना, वायु सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ बातचीत की। मोदी के साथ प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी थे।