पिछले 7 वर्षों में भारत को हर दिन बैंकिंग धोखाधड़ी से 100 करोड़ रुपये का नुकसान

नई दिल्ली। पिछले सात वर्षों में बैंक धोखाधड़ी या घोटालों में भारत को हर दिन कम से कम 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, हालांकि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इसमें शामिल कुल राशि में साल-दर-साल कमी आई थी। देश की वित्तीय राजधानी महाराष्ट्र इस लिस्ट में टॉप पर है। जहां धन का 50% हिस्सा है। इसके बाद दिल्ली, तेलंगाना, गुजरात और तमिलनाडु का नंबर आता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन पांच राज्यों ने कुल मिलाकर 2 लाख करोड़ रुपये या 83 फीसदी से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी का नुकसान हुआ है। पिछले साल 1 अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर के बीच राज्यों में 2. 5 लाख करोड़ रुपये की बैंकिंग धोखाधड़ी का पता चला था।

हालांकि, वित्त मंत्रालय ने कहा कि त्वरित रिपोर्टिंग और रोकथाम के लिए किए गए उपायों से साल दर साल धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आई है।आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में 67,760 करोड़ रुपये धोखाधड़ी में खोए गए। वहीं ये आंकड़े 2016-17 में घटकर 59,966.4 करोड़ रुपये हो गई। इसके बाद के दो साल 45,000 करोड़ रुपये से कम रहे। 2019-20 में, यह संख्या और गिरकर 27,698.4 करोड़ रुपये और फिर 2020-21 में 10,699.9 करोड़ रुपये हो गई। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में यह राशि 647.9 करोड़ रुपये है।

आंकड़ों के अनुसार 1 2015 से 31 दिसंबर 2021 तक देश में 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी का पता चला है। दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वासघात; जाली लिखतों के माध्यम से धोखाधड़ी से नकदीकरण, खाते की पुस्तकों में हेरफेर या काल्पनिक खातों के माध्यम से और संपत्ति का रूपांतरण; इनाम के लिए या अवैध परितोषण के लिए प्रदान की गई अनधिकृत ऋण सुविधाएं; लापरवाही और नकदी की कमी; धोखाधड़ी और जालसाजी; विदेशी मुद्रा लेनदेन में अनियमितताएं और किसी अन्य प्रकार की धोखाधड़ी जो ऊपर दिए गए विशिष्ट शीर्षों के अंतर्गत नहीं आती हैं।

नेत्रिका कंसल्टिंग के प्रबंध निदेशक संजय कौशिक, जिनके ग्राहकों में बैंक भी शामिल हैं। उनका कहना है कि बैंक धोखाधड़ी के लिए अपनी धोखाधड़ी के मामलो को लेकर बाहरी तफ्तीश से पहले अंदरूनी लोगों को अधिक जवाबदेह बनाए तो ये प्रभावी होगा। खासकर बड़े अग्रिम और ऋण से निपटने के दौरान ऐसा किया जाए। कौशिक ने कहा, “एक ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए जो जिम्मेदारी सौंपे और ऐसे ऋणों को मंजूरी देने वालों को जवाबदेह बनाए क्योंकि इनमें से बहुत से धोखाधड़ी होती है क्योंकि अग्रिम या ऋण बिना जमानत के प्रदान किए गए हैं।

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