नयी दिल्ली। केन्द्रीय इस्पात मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि भारत इस्पात क्षेत्र में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता बन गया है और तैयार इस्पात की खपत 2024-25 तक लगभग 16 करोड़ टन और 2030-31 तक लगभग 25 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है। सिंह की अध्यक्षता में ‘इस्पात उपयोग’ विषय पर इस्पात मंत्रालय के लिए संसद सदस्यों की सलाहकार समिति की एक बैठक सोमवार को गुजरात में आयोजित की गई। सिंह ने इस बैठक में कहा कि इस्पात भारत के औद्योगिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, क्योंकि यह बुनियादी ढांचे, निर्माण, इंजीनियरिंग और पैकेजिंग, ऑटोमोबाइल और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है।
भारत इस्पात का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता बन गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान, देश में कुल तैयार इस्पात की खपत 9़ 62 करोड़ टन थी और 2024-25 तक लगभग 16 करोड़ टन और 2030-31 तक लगभग 25 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकार इस्पात उत्पादन क्षमता को घरेलू स्तर पर बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और साथ ही साथ घरेलू मांग और इस्पात के उपयोग को भी बढ़ा रही है।
उन्होंने कहा कि विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्र इस्पात के प्रमुख उपभोक्ता हैं और लगातार बढ़ती खपत के कारक बने रहेंगे। सरकार का हाल ही में घोषित गतिशक्ति मास्टर प्लान अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100 लाख करोड़ की निवेश योजना का पूरक साबित होगा इससे देश में इस्पात के इस्तेमाल को और बढ़ावा मिलेगा।
इस दौरान सांसदों ने इस्पात क्षेत्र के संबंध में और विशेष रूप से उन पहलों के बारे में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए जो देश में इस्पात के उपयोग को और बढ़ावा दे सकते हैं। इस बैठक में सांसदों- श्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, विद्युत बरन महतो, सतीश चंद्र दुबे, अखिलेश प्रसाद सिंह, चंद्र प्रकाश चौधरी, सप्तगिरि शंकर उलाका और प्रतापराव गोविंदराव पाटिल चिखालीकर ने भी बैठक में भाग लिया।