भारत का लक्ष्य संस्कृति को प्राथमिकता देखकर वैश्विक चुनौतियों के प्रति ब्रिक्स देशों की आपसी समझ सामूहिक प्रतिबद्धता को मजबूत करना है
दुनियां के हर देश को भारत का संज्ञान लेकर अपनी संस्कृति सभ्यता विरासत कलाओं प्रथाओं व धरोहर के प्रति जागरूकता फैलाना जरूरी- एड. के.एस. भावनानी
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत की संस्कृति सभ्यता विरासत कलाएं प्रथाएं व धरोहर जग प्रसिद्ध है। पूरी दुनियां जानती है कि भारत का इन पर पूरा भरोसा है और हर क्षेत्र में इनका संज्ञान लेता है। मेरा मानना है कि वर्तमान रूस-यूक्रेन, हमास-इजरायल युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर अनेक देशों के बीच संबंधों में दरारें आ गई है इस गहरी होती खटास रूपी खाई को पाटने के लिए दुनियां में देशों के बीच संस्कृति की बेहतर समझ के लिए सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने और इन देशों के लोगों को एक साथ जोड़ने वाले सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया दिए जाने की विशेष जरूरत है। देशों के नेताओं के संकल्प के बाद उनके बीच संस्कृति की बेहतर समझ और क्षेत्र के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने तथा सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है। संस्कृति मंत्रियों ने क्षेत्र में सांस्कृतिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए अपने नेताओं की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने के लिए अपना दृष्टिकोण स्थितियों परिस्थितियों को देखते हुए बदलने की जरूरत है। साझा बौद्ध विरासत एक पोषित आध्यात्मिक बंधन है, जिसे सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए आगे बढ़ाने और प्रचारित करने की आवश्यकता है। परस्पर ऐतिहासिक, पारंपरिक और प्राचीन संबंधों को स्वीकार करने तथा सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक साथ आने का समय आ गया है। हम देख रहे हैं कि वैश्विक स्तर पर दुनियां के हर देश में विकास की एक आंधी सी चल रही है। हर देश वैश्विक वित्तीय मंचों संस्थाओं से अपने देश के लिए धन आवंटित कराने की दिशा में कार्य कर रहे हैं, ताकि अपने देश को आधुनिकता की दिशा में आगे बढ़ा सकें। भारत ने भी अपना विजन 2047 रूपी विकसित भारत का विकासपत्र तैयार किया है, जिसमें आगे बढ़ाने का प्लान हमने पूर्ण बजट 23 जुलाई 2024 में भी देखें। परंतु इस बजट में ध्यान देने योग्य बात यह थी कि माननीय वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में देश के विकास पथ में विकास और विरासत दोनों पर सरकार के जोर को रेखांकित किया जो ध्यान देने योग्य बात है। वित्तमंत्री ने 2024 के लिए संस्कृत क्षेत्र के लिए 326.93 करोड़, पुरातत्व सर्वेक्षण क्षेत्र के लिए 1273.91 करोड़, पुस्तकालय एवं अभिलेखागार के लिए 188.21 करोड़ व संग्रहालय के लिए 123.72 करोड़ व पर्यटन के लिए 2479.62 करोड रुपए आवंटित किए हैं जो रेखांकित करने वाली बात है।
आज हम इस संस्कृत विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि शनिवार दिनांक 14 सितंबर 2024 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स संस्कृत मंत्रियों की 9वीं बैठक हुई जिसमें भारत द्वारा संस्कृति को अपनाने का आगाज किया, क्यों कि दुनिया के हर देश को भारत का संज्ञान लेकर अपनी संस्कृति सभ्यता विरासत कलाओं प्रथाओं धरोहर के प्रति जागरूकता फैलाना जरूरी है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत का लक्ष्य संस्कृति को प्राथमिकता देकर वैश्विक चुनौतियों के प्रति ब्रिक्स देश की आपसी समझ सामूहिक प्रतिबद्धता को मजबूत करना ध्येय है।
साथियों बात अगर हम भारत का रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स संस्कृत मंत्रियों की 9 वीं बैठक में आगाज की करें तो, भारत के संस्कृति मंत्रालय में सचिव ने वैश्विक विकास रणनीतियों के केंद्र में संस्कृति को रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि इसे सशक्तिकरण, समावेशन और आपसी समझ के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। अपने बयान में उन्होने सतत विकास और वैश्विक सहयोग के लिए संस्कृति की शक्ति का उपयोग करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। यह भारतीय पीएम की सांस्कृतिक रचनात्मकता, वाणिज्य और सहयोग के बीच तालमेल के दृष्टिकोण के अनुरूप है ताकि एक समान, टिकाऊ और समावेशी दुनिया का निर्माण किया जा सके। वर्ष 2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 में भारत के रुख को जारी रखते हुए, भारत ने 2030 के बाद के वैश्विक विकास एजेंडे में संस्कृति को एक स्वतंत्र लक्ष्य के रूप में मान्यता देने की वकालत की, जिसमें आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और सतत विकास को आगे बढ़ाने में इसकी परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला गया। यह भारत के अपने सांस्कृतिक पुनर्जागरण प्रयासों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देते हुए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखना और बढ़ावा देना है। भारत ने रचनात्मक उद्योगों, नवाचार और रोजगार सृजन के महत्व पर भी जोर दिया। साथ ही, भारत ने ब्रिक्स में शामिल देशों को आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए अपनी सामूहिक सांस्कृतिक शक्तियों का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। भारत के सांस्कृतिक सहयोग एजेंडे के लिए लोगों के बीच आदान-प्रदान, जमीनी स्तर पर सांस्कृतिक कूटनीति और शिक्षा को बढ़ावा देने को भी प्रमुख क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया गया। ब्रिक्स देशों के संस्कृति मंत्रियों की बैठक और अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त संस्कृति मंच के लिए 4 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संस्कृति मंत्रालय के सचिव ने किया। इसमें अनेक उच्च अधिकारी शामिल थे। संस्कृति को प्राथमिकता देकर, भारत का लक्ष्य वैश्विक चुनौतियों के प्रति ब्रिक्स देशों की सामूहिक प्रतिक्रिया को मजबूत करना, आपसी समझ तथा सम्मान को बढ़ावा देना और एक अधिक समावेशी तथा सांस्कृतिक रूप से सजग वैश्विक समुदाय बनाना है। यह दृष्टिकोण सहयोग और आपसी समर्थन की ब्रिक्स देशों की भावना के अनुरूप है और सांस्कृतिक कूटनीति में भारत के नेतृत्व से आने वाले वर्षों में इस संगठन के सांस्कृतिक एजेंडे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
साथियों बात अगर हम ब्रिक्स समूह को समझने की करें तो ब्रिक्स ब्राज़ील, रूस, इंडिया चीन और साउथ अफ़्रीका की अगुवाई वाला समूह है। 2006 में ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन ने मिलकर ब्रिक समूह बनाया। 2010 में दक्षिण अफ़्रीका भी इसमें शामिल हो गया, जिससे यह ब्रिक्स बन गया। इस समूह की स्थापना विश्व के सबसे महत्वपूर्ण विकासशील देशों को एक साथ लाने तथा उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के धनी देशों की राजनीतिक और आर्थिक शक्ति को चुनौती देने के लिए की गई थी। ब्रिक्स देशों में चीन और रूस जैसी प्रमुख विश्व शक्तियां तथा अपने महाद्वीप पर प्रभावशाली देश जैसे दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील शामिल हैं। विस्तारित समूह की संयुक्त जनसंख्या लगभग 3.5 बिलियन है , जो विश्व की कुल जनसंख्या का 45 प्रतिशत है। संयुक्त रूप से सदस्यों की अर्थव्यवस्था का मूल्य 28.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 28 प्रतिशत है। ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे सदस्य देशों के साथ ब्रिक्स देश विश्व के लगभग 44 प्रतिशत कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं। हालांकि, समूह का तर्क है कि पश्चिमी देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसी महत्वपूर्ण वैश्विक संस्थाओं पर हावी हैं, जो सरकारों को धन उधार देते हैं। वह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए अधिक आवाज और प्रतिनिधित्व देखना चाहता है। 2014 में ब्रिक्स देशों ने बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए धन उधार देने हेतु न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना की। 2022 के अंत तक, इसने उभरते देशों को नई सड़कों, पुलों, रेलवे और जल आपूर्ति परियोजनाओं के लिए लगभग 32 बिलियन डॉलर प्रदान किए थे।
साथियों बात अगर हम भारत की दुनियां के बड़े मंचों और विकसित देशों से बॉन्डिंग की करें तो, किसी भी गुट में नहीं रहते हुए अपने राष्ट्र हितों के मुताबिक कूटनीति करने की भारत सरकार की नीति और रफ्तार पकड़ेगी। इस क्रम में भारतीय पीएम अगले हफ्ते 21 सितंबर, 2024 को ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान व भारत के संगठन क्वाड की शीर्ष स्तरीय बैठक में हिस्सा लेंगे। यह बैठक इस बार अमेरिका में होगी जिसमें पीएम के अलावा राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथोनी अलबनिजी और जापान के पीएम किशिदा फुमियो हिस्सा लेंगे। जबकि अमेरिका से वापसी के कुछ ही हफ्तों बाद 21 अक्टूबर 2024 को पीएम चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन सरीखे नेताओं के साथ ब्रिक्स संगठन की शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का रूस सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स संस्कृति मंत्रियों की 9वीं बैठक में आगाज। भारत का लक्ष्य संस्कृति को प्राथमिकता देखकर वैश्विक चुनौतियों के प्रति ब्रिक्स देशों की आपसी समझ सामूहिक प्रतिबद्धता को मज़बूत करना है।दुनियां के हर देश को भारत का संज्ञान लेकर अपनी संस्कृति, सभ्यता, विरासत, कलाओं, प्रथाओं व धरोहर के प्रति जागरूकता फैलाना जरूरी है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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