इंडिपेंडेंट रिसर्च एथिक्स सोसाइटी का 255वां आयुष समृद्धि इंटरनेशनल वेबीनार संपन्न

कोलकाता : आज का विषय रिसर्च से जुड़ा बहुत ही महत्वपूर्ण था, जिसमे देश-विदेश से करीबन 50 प्रतिनिधि वेबेक्स प्लेटफार्म से जुड़े। कार्यक्रम यूट्यूब पर भी लाइव स्ट्रीम हुआ। ‘हाउ टू प्लान क्लीनिंकल रिसर्च बिफोर लांच’ विषय, GCP यानि गुड क्लीनिकल प्रैक्टिस सीरीज का उद्घाटन डॉ. सी.के. कटियार ने किया, जो खुद जाने माने रिसर्च एक्सपर्ट हैं। प्रथम वक्ता के रूप में डॉ. पवन कुमार शर्मा, अध्यक्ष IRES ने बड़े ही सरल भाषा में विषय को समझाया कि जिन्हें आयुर्वेदिक दवा का बाजार चाहिए उन सभी छोटे उत्पादनकर्ताओं को भी अपने यहां से बनने वाली दवाओं का क्लीनिकल रिसर्च रिकॉर्ड रखना जरूरी हैं। उन्होंने ये भी बताया की इमामी ग्रुप के डॉ. राधेश्याम अग्रवाल और डॉ. राधेश्याम गोयनका की यह दूरदर्शिता ही थी कि, उन्होंने पहले से अपने प्रोडक्ट को क्लीनिकल रिसर्च करवा कर उसके बाद ही बाजार में लांच किया। अगर सभी उत्पादनकर्ता ऐसा करते हैं, तो वो दिन दूर नहीं जब आयुर्वेद का देश और विदेशों में विश्वसनीयता तथा स्वीकार्यता दोनों बढ़ जाएगी। तकनीकी रूप से और भी बहुत सारी चर्चाएं हुई।

दूसरे वक्ता के रूप में डॉ. राजीव कुरेले, फार्मारिसर्च एक्सपर्ट, उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी, देहरादून से जुड़े। उन्होंने बहुत ही सरल भाषा में कहा कि माना जाता है कि, ब्रह्माजी से आयुर्वेद की उत्पत्ति हुई। शास्त्र हमेशा सच होता, यह मानने के बावजूद हमें आज के समय के अनुसार आयुर्वेद का आधुनिक रिसर्च जरूरी है। आज की तारीख में आयुर्वेद की अनेकों कंपनियां हैं जैसे- हिमालय, डाबर, झंडू, बैद्यनाथ, धूतपापेश्वर आदि। यह सभी कंपनियां अपनी दवाओं को बाजार में लांच करने से पहले क्लीनिकल रिसर्च करवा कर अपनी आयुर्वेदिक दवाओं की विश्वसनीयता बढ़ा रहे हैं। हमें यह समझना जरूरी है कि रिसर्च में ईमानदारी और रिपोर्टिंग की जरूरत हैं। सच की अग्नि परीक्षा होने से उसका गौरव और भी बड़ा होता हैं! यह कार्यक्रम विश्व आयुर्वेद परिषद् औषध निर्माता प्रकोष्ठ, झंडू, इमामी, मेडफर्मा CRO के सहयोग से सफल हुआ। डॉ. परीक्षित देबनाथ इसके होस्ट मॉडरेटर रहे और डॉ. जयेश ठक्कर को-होस्ट रहे। कार्यक्रम को IRES की टेक्निकल टीम का पूरा सहयोग रहा। आने वाले समय में यह मील का पत्थर साबित होगा!

कार्यक्रम में डॉ. जे.पी. सिंह, श्री धन्वन्तरि हर्बल्स, डॉ. नीना शर्मा, झंडू से, डॉ. सी.बी. झा, डॉ. पी.के. प्रजापति जाने-माने रसशास्त्री, प्रो. मीना आहूजा, प्रो. अग्निहोत्री, डॉ. विष्णु प्रसाद शर्मा, डॉ. जगदीश्वर जी, वैद्य सूर्य प्रकाश शर्मा, डॉ. अनूप कुमार गुप्ता, डॉ. अनिल जहूरी, डॉ. निशांत होमियोपैथी औषधि निर्माता, प्रो. मदन थांगवेलु, कैंब्रिज तथा और भी बहुत सारे अतिथि ओपन डिस्कशन में उपस्थित थे। कन्क्लुसन प्रो. योगेश मिश्रा विश्व आयुर्वेद परिषद् के प्रधान ने अपने आशीर्वचन से किया। मुख्य रूप से इतना ही कहा जा सकता है कि दवाओं का डॉक्यूमेंटेशन बहुत ही महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक निष्कर्ष समय की मांग है और आयुर्वेद तो हमेशा से ही समय के तूफान में भी खरा साबित हुआ है। यह आधुनिक विज्ञान के मापदंडों में भी बहुत आगे निकल रहा है और निकलेगा। सर्वे सन्तु निरामया (सभी रोग मुक्त हो)!

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