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किरण नादगांवकार : सैंचुरीयन टेस्ट जीतने के बाद कहां तो हम दूसरा टेस्ट जोहान्सबर्ग जीत कर दक्षिण अफ्रीका में पहली टेस्ट श्रृंखला जीतने का सपना पाल रहे थे। लेकिन आजकल हमारे देश में क्रिकेट मैदानों में होने वाले ड्रामें की तरह ड्रेसिंग रुम में भी ड्रामें होने लगे है। ऐसा ही एक ड्रामा यह देखने मिला की जोहान्सबर्ग टेस्ट के टॉस से कुछ ही देर पहले कप्तान विराट कोहली पीठ में जकड़न के कारण टेस्ट से बाहर हो गए और जिस वाँडरर्स टेस्ट को जीत कर श्रृंखला जीतने का हम ख्वाब पाल बैठे थे वो जल्द ही धूल धूसरित हो गया। और नए कप्तान केएल. राहुल के नेतृत्व में यह टेस्ट हार कर सब गूड-गोबर हो गया।
आज से तीसरा और निर्णायक टेस्ट कैपटाउन में शुरु हुआ है और कप्तान कोहली की पीठ अब जकडन से दूर है और वापसी के साथ पहले दिन का खेल जब समाप्त हुआ तब भारत फिर मुश्किल परिस्थिति में ही दिख रहा है। टेस्ट मैचों में यदि कोई भी टीम टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करती है तो वो एक बड़ा स्कोर ही बोर्ड पर लगाना चाहेंगी। क्योंकि एक बड़े स्कोर कि नींव के आधार पर ही पाँच दिन के खेल का खाका बनता है। हमारी बल्लेबाजी इन दिनों जम कर संघर्ष कर रही है। यही आज फिर देखने मिला।
आज भी हमारे पूरे बल्लेबाजों ने २२३ रन ही बनाएँ है। पहली पारी में इतने कम रन से टेस्ट मैच जीते नहीं जा सकते। हमने पहले टेस्ट सैंचुरीयन की पहली पारी में जब तीन सौ से उपर स्कोर (३२७) बनाया तब कहीं हम वह टेस्ट जीत सके। हालांकि हमारी टीम दूसरी पारी में सिर्फ १७४ रन पर ढेर थी। लेकिन पहली पारी के अच्छे रनों का असर पूरे टेस्ट पर रहा, जो जीत का कारक बना। विपरीत इसके दूसरे टेस्ट मैच जोहान्सबर्ग में हम पहली पारी में सिर्फ २०२ रन बना सके और यही वजह रही हम यह टेस्ट बुरी तरह हार गए।
आज फिर कैपटाउन में पहली पारी में हमारा सिर्फ २२३ का स्कोर बना है। क्या इस स्कोर से टेस्ट मैच जीता जा सकता है? शायद नहीं। यह स्कोर हार का सबब भी बन सकता है। यदि आपके ओपनर राहुल १५, मयंक १२ रन बनाएँ। यदि आपका मध्यक्रम पूजारा ४३, रहाणे ९ बनाए, पंत २७ बनाएँ, और पूछल्लों का यकायक जूलूस निकल जाय तब आप टेस्ट मैच और श्रृंखला जीतने का दीवास्वप्न भी नहीं देख सकते। इन २२३ रनों में खुश होने वाली बात सिर्फ विराट कोहली के ७९ रन रहे। कोहली आज अपना ७१ वा अंतरराष्ट्रीय शतक लगभग बना चूके थे, लेकिन लगता है।
उनकी किस्मत के सितारें अभी भी गर्दिश में है और इस शतक के लिए अभी और कितना इंतजार करना होंगा कहना मुश्किल है। कोहली वैसे भी दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज है और आज कैपटाउन में उन्होंने अपनी क्लास बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया। उनके कवर ड्राईव और ऑफ ड्राईव देखने लायक थे। कोहली का प्रशंसक होने के नाते उनकी यह पारी दिल खुश कर गई। लेकिन तीसरे सैशन में जिस तरह छह विकेट धड़ाधड़ गीरे उसने कोहली की मेहनत पर पानी फेर दिया। हालांकि इसमें कोहली का भी विकेट था।
लेकिन पूछल्लों से आज ऐन वक्त पर विराट को साथ नहीं मिला अन्यथा कोहली का शतक आज तय था। कुल मिलाकर दिन दक्षिण अफ्रीका के तेज़ गेंदबाजों के नाम रहा है। हमारे बल्लेबाजों ने एक बार फिर खराब बल्लेबाजी कि है। २२३ रन बनाकर हम हमारे गेंदबाजों से यह उम्मीद नहीं कर सकते की वह मेजबान टीम को सवा सौ के स्कोर पर चमत्कारी रुप से आउट कर सौ रन की बढ़त दिला दें। पहली पारी में सौ रन की विजयी बढत के लिए हमारें बल्लेबाजों को बोर्ड पर तीन-साढ़े तीन सौ रन बनाने थे। “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता” (कोहली ७९)। पहली पारी में टॉस जीतकर भी सिर्फ २२३ का कम स्कोर हार का सबब ना बन जाए।