तुलसी जयंती महोत्सव में तुलसी साहित्य में शगुन, संस्कार और लोक विश्वास पर महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया प्रो. शर्मा ने

उज्जैन तुलसीदास जी का काव्य मंगल भवन अमंगल हारी है, इसीलिए कहा गया, चली सुभग कविता सरिता सी, तुलसी काव्य में लोक की मंगल कामना है। वह भारत की निगमागम संस्कृति का जीवन्त स्वरूप है। सुविचारित साहित्य का दर्शन महाकवि संत तुलसीदास जी के साहित्य में मिलता है। उपर्युक्त विचार विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने व्यक्त किए। प्रसंग रहा श्री मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति द्वारा आयोजित ‘तुलसी जयन्ती समारोह’ जिसमें ‘तुलसी साहित्य में शगुन-संस्कार एवं लोक विश्वास’ विषय पर विद्वान वक्ता ने कई महत्वपूर्ण उदाहरणों के आधार पर व्याख्या की। शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों की लोक स्वीकृति का अद्भुत दर्शन तुलसीदास जी के रामचरित मानस में होता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कविवर समिति के सभापति सत्य नारायण सत्तन ने कहा तुलसी के साहित्य में भाषा भणिती प्रभाव मिलता है। वे युग दृष्टा कवि हुए उनका साहित्य जीवन की विसंगतियों को संगति में परिवर्तित करने की शक्ति रखता है। शगुन के प्रकार उनका प्रभाव और लोक स्वीकारोक्ति का अनुपम साहित्य तुलसी बाबा ने रखा और ‘राम बोला’ हो गए।

विषय प्रवर्तन करते हुए वीणा के सम्पादक राकेश शर्मा ने कहा कि जो स्वयं के बारे में कहता है कि कवित्त विवेक एक नहि मोरे वह विश्व का सर्वश्रेष्ठ कवि हो गया। गो गोचर सबकी बात करता है लोक में जो देखा उसे लिखा। आरम्भ में माँ सरस्वती अर्चना के साथ तुलसीदास की मूर्ति की श्रद्धापूर्वक अर्चना की गई। उनके जीवन चरित्र सन्दर्भ संचालन कर रहे प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी ने बताया।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में गुरुषा दुबे ने अपनी मधुर आवाज में तुलसी के पदों की सुन्दर प्रस्तुतियाँ दी। तबले पर सोपान बाकोरे एवं हारमोनियम पर निकुंज गुप्ता ने संगत की। शब्दों से स्वागत कार्यक्रम सन्दर्भ प्रधान मंत्री अरविन्द जवलेकर ने बताया एवं अतिथियों का स्वागत जवलेकर, डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, अनिल भोजे, डॉ. मीनाक्षी स्वामी, राजेश शर्मा, छोटेलाल भारती आदि ने किया। इस अवसर पर सर्वश्री वी. डी. ज्ञानी, सूर्यकान्त नागर, डॉ. अरुणा भूषण सराफ, डॉ. जी.डी. अग्रवाल, सदाशिव कौतुक, प्रदीप नवीन, डॉ. शशि निगम, कृष्ण कुमार अष्ठाना, वाणी अमित जोशी, गोपाल माहेश्वरी, डॉ. वसुधा गाडगिल, मणिमाला शर्मा, उमेश पारिख, राधिका इंगले आदि काफी संख्या में साहित्यकार, सुधीजन व युवा छात्र-छात्राएं उपस्थित थी। आभार साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने व्यक्त किया।

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