कोलकाता । राष्ट्रीय कवि संगम, पश्चिम बंगाल द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर उनके बलिदान के लिए भावपूर्ण काव्यांजलि अर्पित की गई।इस कार्यक्रम का कुशल संचालन हमारी नई पीढ़ी की ओजस्वी बाला अनन्या राय ने किया, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात हास्य कवि डॉ. गिरिधर राय ने की। साहित्य के प्रति उनके प्रेम व लगन को देख कर सभी के हृदय भाव विभोर हो उठे, उन्होंने अपनी अस्वस्थता के बावजूद इस काव्यांजलि को प्राथमिकता दी व मुख्य रूप से इसमें भाग लिया। वे वाकई सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत हिमाद्रि मिश्रा की सुमधुर आवाज़ में सरस्वती वंदना से हुई। इस काव्यांजलि के मुख्य अतिथि संस्था के राष्ट्रीय महामंत्री अशोक बत्रा ने भी झाँसी की रानी की वीरता व शौर्य का बखान करते हुए राष्ट्रीय कवि संगम की पूरी टीम की सराहना की। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साहस का वर्णन करते हुए उन्होंने चन्द पंक्तियाँ – “कामनाओं सी धधकती है जवानी….” सुना कर सभी को मंत्र – मुग्ध कर दिया। अपनी रचना के माध्यम से उन्होंने संदेश दिया कि “यूँ तो मेरे देश में एक नहीं हजा़र मोहन हुए हैं…” उनमें एक मुरली बजाने वाला मोहन यानि कृष्ण, दूसरे मोहन दास करमचंद गांधी जिसके तीन बंदर सब बर्बाद होने पर भी शांति प्रस्ताव रखते थे, तीसरे मनमोहन – देश का सिंह और किंग जिसने देश के साँपों को दूध पिलाया और चौथे शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा जो दिल्ली आतंकी हमले में शहीद हुए।
प्रान्तीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम ने रानी लक्ष्मी बाई के अनुकरणीय चरित्र पर प्रकाश डालते हुए देश प्रेम से जुडी़ कुछ अमूल्य बातों को श्रोताओं के समक्ष रख कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिये। इस कार्यक्रम में एक ओर खुशी मिश्रा, अनन्या राय और मल्लिका रुद्रा की ओज पूर्ण रचनाएं थीं तो वहीं दूसरी ओर मनोरमा झा की कविता – “हम सब एहि माटिक संतान”, श्यामा सिंह की कविता – “भुला सकेंगे कथा कभी क्या हम लक्ष्मी मर्दानी की/देश मातृका के चरणों पर मिटने वाली रानी की”, हिमाद्रि मिश्र की कविता – “अब वाणी में अंगार चाहिए, धमनी में उबाल चाहिए”, प्रांतीय महामंत्री रामपुकार सिंह की गजल – “थी वीर बाला हिंद की झाँसी की महरानी थी” और स्वागता बसु की कविता – “अब तो हम भी सीख रहे है हँसना झूठी बातों पर” ने उपस्थित श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी।
विशिष्ठ अतिथि राष्ट्रीय सह – महामंत्री महेश कुमार शर्मा ने सभी रचनाकारों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए बोले कि ऐसे कार्यक्रमों को करने की आज आवश्यकता है ताकि युवा पीढ़ी के मन में राष्ट्र धर्म की भावना जगाया जा सके। अंततः देवेश मिश्रा ने सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध “रानी लक्ष्मीबाई” कविता का पाठ करते हुए सभी रचनाकारों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस मौके पर रामाकान्त सिन्हा, सुषमा पटेल, कृष्णानन्द मिश्र, नीलम मिश्रा, विष्णु प्रिया त्रिवेदी, सीमा सिंह सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।