बंगाल भाजपा में पुराने नेता नए चेहरों की अपेक्षा चाह रहे अधिक महत्व, केंद्रीय नेतृत्व लेगा संज्ञान

कोलकाता। पश्चिम बंगाल इकाई में संभावित फेरबदल से पहले भाजपा पुराने कार्यकर्ता और प्रतिबद्ध कार्यकतार्ओं की अपेक्षा हाल ही में पार्टी में शामिल हुए नए लोगों को ज्यादा महत्व देने के खिलाफ हैं। राज्य इकाई में भगवा पार्टी वर्कर्स के बीच व्याप्त इस भावना से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जे. पी. नड्डा को पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने अवगत कराया है।

भाजपा उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की भी योजना बना रही है, जो पार्टी लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। पता चला है कि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल भाजपा में एक बड़ा फेरबदल होगा और विधानसभा चुनाव के बाद से ही जमीनी स्तर पर इसकी शुरूआत हो चुकी है।

भाजपा के पुराने कार्यकतार्ओं को लगता है कि नवागंतुकों को बहुत अधिक महत्व देने से उन कार्यकतार्ओं का मनोबल टूटेगा, जिन्होंने पश्चिम बंगाल में पार्टी के निर्माण में अपना जीवन लगा दिया है।

सोमवार को नड्डा के साथ एक बैठक में पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख घोष ने राज्य में मौजूदा राजनीतिक स्थिति और संगठनात्मक मामलों के बारे में विस्तार से बताया। घोष ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने नड्डा को पार्टी की मौजूदा स्थिति और राज्यों के राजनीतिक माहौल से अवगत कराया है।

घोष ने कहा, ”मैंने नड्डा जी को पश्चिम बंगाल में पार्टी से संबंधित मामलों के बारे में जानकारी दी है। राज्य में पार्टी कैडर की भावनाओं से भाजपा प्रमुख को अवगत कराया गया है। अनुशासनहीनता और मतभेद जैसे ज्यादातर मामले केंद्रीय नेतृत्व के संज्ञान में हैं।”

उन्होंने पुष्टि की कि एक संगठनात्मक बदलाव होगा और पहला चरण शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा, ”विधानसभा चुनाव के बाद राज्य संगठन का पुनर्गठन करने का निर्णय लिया गया है और यह काम शुरू हो चुका है। यह भावना है कि जिन लोगों ने पार्टी बनाने के लिए वर्षों तक कड़ी मेहनत की, उन्हें हाल ही में शामिल होने वालों के स्थान पर अधिक जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। यह एक सामान्य भावना है कि पुराने मेहनती कार्यकतार्ओं को नए लोगों की अपेक्षा पुरस्कृत किया जाना चाहिए और मैंने इसे नेतृत्व को बता दिया है।”

नड्डा और घोष ने उन नेताओं के बारे में भी बात की जो पार्टी लाइन पर नहीं चल रहे हैं। पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख ने कहा, कुछ लोग पार्टी या उसकी नीति के खिलाफ बात कर रहे हैं और यह कार्यकतार्ओं के बीच गलत संकेत भेजता है। पार्टी के मंच के बाहर आंतरिक मामलों के बारे में बात करना अनुशासनहीनता माना जाता है और इसे लेकर कार्रवाई की जरूरत है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में भगवा खेमे के भीतर असंतोष के स्वर तेज हो गए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय और उनके बेटे ने पार्टी छोड़ दी है और वह फिर से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए हैं।

इसके अलावा सौमित्र खान, राजीव बनर्जी और यहां तक कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो जैसे कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी के फैसलों के खिलाफ आवाज उठाई है, जो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ अच्छा नहीं हुआ है। पार्टी की नीति के खिलाफ बयानबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर, घोष ने कहा, केंद्रीय नेतृत्व पश्चिम बंगाल इकाई में अनुशासनहीनता के सभी कृत्यों से अवगत है और वह तदनुसार कार्रवाई करेगा।

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