राज कुमार गुप्त, कोलकाता/सिंहभूम : पान समाज के प्रेरणा पुरुष, स्वतंत्रता सेनानी, भूतपूर्व विधायक, पानगुरु बाबू मुकुन्द राम तांती जी का जन्म : 15 मार्च 1902 को तत्कालीन बिहार के पश्चिमी सिंहभूम के जगन्नाथपुर के पोखरिया गांव में हुआ था। इनके पिता जी का नाम गंगाधर दास और माता जी का नाम जेमा देवी था। मुकुंद बाबू शुरु से ही सामाजिक प्रवृत्ति के आदमी थे। चुकी इनका इलाका भी पहले से ही पिछड़ा क्षेत्र था अतः पिछड़े और वंचित वर्ग के लिए उनके दिल में एक खास जगह थी। वर्तमान झारखंड और तत्कालीन बिहार के नोआमुंडी जोड़ा माइंस में वे श्रमिक संगठन के लोकप्रिय नेताओं में से एक थे। इसी प्रसिद्धि के चलते हैं 1952 में बिहार के प्रथम विधानसभा चुनाव में बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीत कर विधायक बने तथा तत्कालीन बिहार विधानसभा में पिछड़े और वंचितों की आवाज बने।
नोआमुंडी जोड़ा माइन्स यूनियन कमेटी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके बाबू मुकुंद राम तांती जी 29 वर्षों तक जोड़ा माइन्स टाटा स्टील में कार्यरत थे। 2007 में इनकी प्रतिमा जगन्नाथपुर मेन चौक पर स्थापित की गई तथा विधानसभा में भी इनका तैल चित्र लगा हुआ है। पान समाज के लोग इन पर आज भी गर्व महसूस करते हैं। पूर्व मे उनके द्वारा किए गए प्रयासों के कारण तथा बाद में समाज के नेताओं के सम्मिलित प्रयासों से पान समाज के लोगों को संवैधानिक रूप से बिहार सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों में 2015 में सम्मिलित किया गया। उनका निधन 103 वर्ष की आयु में 18 अप्रैल 2005 को अपने गांव जगन्नाथपुर में हुआ था।
पारिवारिक परिचय :
इनका विवाह जूही देवी से हुई थी और इनके तीन पुत्र थे। बड़े पुत्र का नाम निर्मल कुमार दास, मझले पुत्र का नाम अशोक कुमार दास तथा छोटे पुत्र का नाम खगेंद्र पान था। वर्तमान में इनके तीनों पुत्रों का निधन हो चुका है। बड़े पुत्र स्व. निर्मल कुमार दास के दो पुत्र शेखर दास तथा स्व. शिव शंकर दास एवं दो पुत्रियां ज्योति कुमारी तथा बीना कुमारी है। मझले पुत्र स्व. अशोक कुमार दास के एक पुत्री चंद्र प्रभा तथा दो पुत्र विवेकानंद दास और कुंदन दास है। छोटे पुत्र स्वर्गीय खगेंद्र पान के एक पुत्र निरंजन दास और एक पुत्री ममता दास है। इनके परिवार के सभी सदस्य अपने-अपने रोजी रोजगार में लगे हुए हैं तथा सम्मानित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इनके सबसे बड़े प्रपौत्र शेखर दास जी रेलवे में नौकरी करते हैं। जिनसे फोन पर ये सारी बातचीत हुई और बाबू मुकुंद राम तांती जी के परिवार से संबंधित यह समस्त जानकारी संभवत पहली बार पान समाज के लोगों के बीच में आ रही है, जो की अभी तक लगभग गुमनाम थी या सिर्फ कुछ लोगों को ही पता हो!
शेखर दास जी से यह पूछने पर कि तत्कालीन बिहार सरकार से आपके परिवार में किसी को कोई सहायता प्राप्त हुई थी? के जवाब में उन्होंने कहा : जी नही।
अपने पान समाज के बिहार/झारखंड या देश के किसी भी पान संगठन से या समाज के किसी व्यक्ति विशेष से मुकुंद बाबू के परिवार को कोई आर्थिक या नैतिक समर्थन की गई है? के जवाब में उन्होंने कहा कि, दादा जी के 2005 में निधन के बाद से समर्थन या सहायता तो दूर की बात है हमारे परिवार की कोई खोज खबर तक नहीं लेता है। इक्का दुक्का कभी कोई स्वजातीय भाई बंधु का फोन आ गया तो अलग बात है, परन्तु हमारे दादा जी या परिवार के संबंध में पूछने के लिए आज तक किसी ने विशेष पहल नहीं किया है।
यह पूछे जाने पर कि आप या आप लोगों का परिवार पूरे भारत के पान समाज को क्या संदेश देना चाहता है के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरी या हम लोगों के परिवार की यही इच्छा है कि हमारे दादा जी के कामों को समाज की सभी संस्थाएं आगे बढ़ाए और हमारे परिवार के लोगों के बारे में कभी-कभी खोज खबर भी ले लिया करें। हमारे दादा जी मुकुंद बाबू के सपनों के मुताबिक पान एसोसिएशन और इस जैसी कुछ स्वजातीय संस्थाएं संपूर्ण भारत के पान समाज के लोगों को एक मंच पर लाने का कार्य कर रही है, यह आने वाले समय में समाज के लिए मील का पत्थर साबित होगा। मैं धन्यवाद देता हूं अपने उन सभी पान समाज के संस्थाओं का जो हमारे दादा जी के निधन के बाद से उनकी जयंती और पुण्यतिथि का पालन करती आ रही है।
फोटो सौजन्य : शेखर दास