करना है मां दुर्गा को प्रसन्न तो नवरात्रि व्रत में करें इन नियमों का पालन

कोलकाता। हिन्दुओं में शरद नवरात्रि प्रमुख त्‍योहारों में से एक हैं। इसे दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं तो उसकी सभी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं।

अबकी बार नवरात्र का त्यौहार आठ दिन का ही है। 14 अक्टूबर को समापन होगा। इस बार श्राद्ध की तिथि एक दिन बढ़ गई थी। इसी का प्रभाव नवरात्रि पर पड़ा है। 9 दिन की जगह इस बार नवरात्रि महज 8 दिन का होगा। तीसरा और चौथा नवरात्रि एक ही दिन होगा।

नवरात्रि के व्रत में इन नियमों का करें पालन…
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें। पूरी श्रद्धा भक्ति से मां दुर्गा की पूजा करें। दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं।

– शाम के समय मां की आरती उतारें।
– प्रसाद को सभी में बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें।
– इसके बाद भोजन ग्रहण करें।
इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें। अष्‍टमी या नवमी के दिन नौ कन्‍याओं को भोजन कराएं और उन्‍हें उपहार और दक्षिणा दें। अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पालन करें।

हिन्‍दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्‍व रहा है। साल में दो बार नवरात्र‍ि पड़ती हैं, जिन्‍हें चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। जहां चैत्र नवरात्र से हिन्‍दू वर्ष प्रारंभ होता है। वहीं शारदीय नवरात्र अधर्म पर धर्म और असत्‍य पर सत्‍य की विजय का प्रतीक है। दुर्गा पूजा मनाए जाने के अलग-अलग कारण हैं। मान्‍यता है कि देवी दुर्गा ने महिशासुर नाम के राक्षस का संहार किया था। बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की पूजा की जाती है।

नवरात्रि का त्‍योहार पूरे भारत में मनाया जाता है। उत्तर भारत में नौ दिनों तक देवी मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। भक्‍त पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लेते हैं। पहले दिन कलश स्‍थापना की जाती है और फिर अष्‍टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्‍याओं को भोजन कराया जाता है। पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी चार दिनों यानी कि षष्‍ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा उत्‍सव मनाया जाता है।

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