मैं खड़गपुर का सेरसा स्टेडियम बोल रहा हूं

तारकेश कुमार ओझा , खड़गपुर : मेरी गोद में खेल कर कई पीढ़ियां किस्से – कहानियों का हिस्सा बन चुकी है लेकिन आज मैं आपको खुद अपनी कहानी सुनाता हूं । मैं खड़गपुर का सेरसा स्टेडियम बोल रहा हूं… ऐतिहासिक खड़गपुर रेलवे स्टेशन और मैं न सिर्फ हमउम्र और पास – पास रहते हैं बल्कि हमारे बीच एक अजीब समानता भी है। स्टेशन जहां यात्रियों को उनके गंतव्य की मंजिल तक पहुंचाने का माध्यम है , मैं ऊर्जा से भरपूर नौजवानों को उनके सपनों की मंजिल तक पहुंचाता हूं। मेरी गोद कभी फुटबॉल तो कभी क्रिकेट का मैदान बन जाती है। मैं फूला नहीं समाता जब सैकड़ों स्कूली बच्चे मेरे आंगन में खेलने – कूदने आते हैं। मेरा सीना चौड़ा हो जाता है जब 26 जनवरी और 15 अगस्त को मैं तिरंगा लहराता देखता हूं। मेरे इतिहास में उपलब्धियों के अनेक रत्न जुड़े हैं।

इतिहास के पन्ने पलटते हुए मैं 2001 के उस दिन को बार – बार याद करता हूं। जब 20 साल का एक नौजवान मेरे पास आया। तत्कालीन डीआरएम स्वर्गीय अनिमेष गांगुली ने कथित परीक्षा के तौर पर उसे लगातार 60 गेंदें फेंके थे। गांगुली साहब को अपनी रेलवे की क्रिकेट टीम के लिए विकेट कीपर की तलाश थी , जो उसी युवक से पूरी हुई। रेलवे में टिकट चेकर की नौकरी करते हुए वह लड़का तकरीबन रोज मेरे आंगन में आता और टीम इंडिया का झंडा बुलंद करने खूब पसीना बहाता। उसकी मेहनत रंग लाई और इसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया। उसका नाम था महेन्द्र सिंह धौनी ….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

19 + six =